सावन गुरुवार पर ऐसे करें बृहस्पति देव का पूजन, जानें इस व्रत के लाभ और विधि

सावन गुरुवार व्रत का महत्व (Pic: Pinterest)
सावन गुरुवार का महत्व: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी गुरुवार को है। इस दिन आडल योग भी पड़ रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह अशुभ योग है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित होते हैं। दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से शुरू होकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर के 02 बजकर 09 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
सावन गुरुवार पर बनेगा ये योग
आडल योग, ज्योतिष में एक अशुभ योग माना जाता है। इससे पहले ऐसा योग नवरात्रि के पहले दिन साल 2022 में हुआ था। इस दिन शुभ कार्य भी वर्जित होते हैं, लेकिन बृहस्पतिदेव के पूजन से जीवन में सुख-शांति के साथ सफलता के द्वार खुलते हैं। बृहस्पति के पूजन के साथ उनका व्रत रखना भी उत्तम माना जाता है।
अग्नि पुराण में उल्लेख मिलता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने काशी में शिवलिंग की स्थापना की थी, जिस वजह से गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। अग्नि पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार गुरुवार के दिन व्रत रखने से धन, समृद्धि, संतान और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
सावन गुरुवार व्रत का महत्व
मान्यता है कि व्रत रखने के साथ ही इस दिन पीले वस्त्र धारण करने और पीले फल और पीले फूलों का दान करने से भी लाभ होता है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस दिन विद्या की पूजा करने से भी ज्ञान में वृद्धि होती है। गुरुवार के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न और धन का दान करने से भी पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से शुरू कर सकते हैं और 16 गुरुवार तक व्रत रखकर उद्यापन कर दें।
सावन गुरुवार व्रत की पूजा विधि
मान्यता है कि केले के पत्ते में भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए गुरुवार के दिन केले के पत्ते की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत शुरू करने के लिए आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। फिर केले के वृक्ष की जड़ में चने की दाल, गुड़ और मुनक्का चढ़ाकर भगवान विष्णु की पूजा करें। दीपक जलाएं और कथा सुनें और भगवान बृहस्पति भगवान की आरती करें। उसके बाद आरती करें। इस दिन पीले रंग के खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
इनपुट - आईएएनएस
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