अध्यात्म

Skand Shashthi 2025: आज है स्कंद षष्ठी व्रत, इस विधि से करें पूजा, संतान प्राप्ति के लिए मिलेगा भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद

Skand Shashthi 2025 vrat today: स्कंद पुराण में स्कंद षष्ठी के व्रत की महिमा बताई गई है। यह व्रत भगवान कार्तिकेय को समर्पित है और संतान की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। 30 जून को स्कंद षष्ठी के व्रत की पूजा कैसे करें - इसकी जानकारी यहां दे रहे हैं।
kartikeya bhagwan

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Skand Shashthi 2025 vrat today: सोमवार को स्कंद षष्ठी है। यह दिन भगवान कार्तिकेय (स्कंद) को समर्पित है। स्कंद पुराण में इस दिन व्रत संतान प्राप्ति के साथ-साथ सुख, शांति और रोगों से मुक्ति के लिए भी रखा जाता है। इस दिन विशेष विधि से पूजा और व्रत से मनोवांछित लाभ प्राप्त होता है।

Skand Shashthi 2025 vrat Date and Time

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (सुबह 9 बजकर 23 मिनट तक) 30 जून को पड़ रही है। इस दिन सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे, वहीं चंद्रमा सिंह राशि में रहेंगे। दृक पंचांगानुसार 30 को पंचमी तिथि सुबह 9 बजकर 23 मिनट तक रहेगी, फिर उसके बाद षष्ठी तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा और राहूकाल का समय 7 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।

Skand Shashthi Vrat Significance in Hindi

स्कंद पुराण के अनुसार, शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी मनाई जाती है। भगवान कार्तिकेय ने आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को तारकासुर नाम के दैत्य का वध किया था, जिसके बाद इस तिथि को स्कंद षष्ठी के नाम से मनाया जाने लगा। इस जीत की खुशी में देवताओं ने स्कंद षष्ठी का उत्सव मनाया था।

स्कंद पुराण के अनुसार, जो दंपति संतान सुख से वंचित हैं, उन्हें स्कंद षष्ठी का व्रत अवश्य करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है।

Skand Shashthi Vrat Puja Vidhi in Hindi

इस दिन व्रत शुरू करने के लिए आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें और आसन बिछाएं, फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसके ऊपर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा को स्थापित करें, इसके सबसे पहले भगवान गणेश और नवग्रहों की पूजा करें।

अब व्रत का संकल्प लेने के बाद कार्तिकेय भगवान के वस्त्र, इत्र, चंपा के फूल, आभूषण, दीप-धूप और नैवेद्य अर्पित करें। भगवान कार्तिकेय का प्रिय पुष्प चंपा है, इस वजह से इस दिन को स्कंद षष्ठी, कांडा षष्ठी के साथ चंपा षष्ठी भी कहते हैं।

भगवान कार्तिकेय की आरती और तीन बार परिक्रमा करने के बाद “ॐ स्कन्द शिवाय नमः मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। इसके बाद आरती का आचमन कर आसन को प्रणाम कर प्रसाद ग्रहण करें। Input - आईएएनएस

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मेधा चावला author

टाइम्स नाउ नवभारत में मेधा चावला सीनियर एसोसिएट एडिटर की पोस्ट पर हैं और पिछले सात साल से इस प्रभावी न्यूज प्लैटफॉर्म पर फीचर टीम को लीड करने की जिम्म...और देखें

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