अध्यात्म

Guruvar Ka Vrat: सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करनेवाला व्रत है गुरुवार, इस विधि से करें पूजन

ऐसी पौराणिक मान्यत्ता है कि गुरुवार के दिन व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करता है । साथ ही इस व्रत को करने से जीवन में सुख,शांति और समृद्धि सहित सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
GURUWAR

धन, समृद्धि, संतान और सुख-शांति प्रदान करता है गुरुवार का व्रत

नई दिल्ली: श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी गुरुवार को है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है। इस दिन सूर्य देव कर्क राशि में रहेंगे। वहीं, चंद्रमा 18 जुलाई की सुबह 3 बजकर 39 मिनट तक मीन राशि में रहेंगे, इसके बाद मेष राशि में गोचर करेंगे। दृक पंचांग के अनुसार, गुरुवार को अभिजीत मुहूर्त दोपहर के 12 बजे से शुरू होकर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर 2 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग तब बनता है जब कोई विशेष नक्षत्र किसी विशेष दिन के साथ आता है, मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है। अग्नि पुराण के अनुसार, भगवान बृहस्पति ने काशी में शिवलिंग की स्थापना और तपस्या का उल्लेख किया है, जिससे गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है।

धन, समृद्धि, संतान और सुख-शांति की प्राप्ति का पर्व - गुरुवार

समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक अग्नि पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार गुरुवार के दिन व्रत रखने से धन, समृद्धि, संतान और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इस व्रत को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से शुरू कर सकते हैं। व्रत 16 गुरुवार तक करना चाहिए। व्रत रखने के लिए इस दिन पीले वस्त्र धारण करने और पीले फल और पीले फूलों का दान करने से भी लाभ होता है।

भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है

गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को हल्दी चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस दिन विद्या की पूजा करने से भी ज्ञान में वृद्धि होती है। गुरुवार के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न और धन का दान करने से भी पुण्य प्राप्त होता है।

गुरुवार व्रत पूजन का विधि-विधान

मान्यता है कि केले के पत्ते में भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए गुरुवार के दिन केले के पत्ते की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत शुरू करने के लिए आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। फिर केले के वृक्ष की जड़ में चने की दाल, गुड़ और मुनक्का चढ़ाकर भगवान विष्णु की पूजा करें। दीपक जलाएं और कथा सुनें और भगवान बृहस्पति भगवान की आरती करें। उसके बाद आरती का आचमन करें। इस दिन पीले रंग के खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। (इनपुट -आईएएनएस)

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संजीव कुमार दुबे author

पत्रकारिता में मेरे सफर की शुरुआत 20 साल पहले हुई। 2002 अक्टूबर में टीवी की रुपहले दुनिया में दाखिल हुआ। शुरुआत टीवी की दुनिया के उस पहलू से हुई जहां ...और देखें

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