अध्यात्म

Vasudev Diwadashi 2025: वासुदेव द्वादशी कब है 2025 में, यहां जान लें इसकी पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। ये व्रत खासतौर से उन स्त्रियों के लिए बेहद उत्तम माना जाता है जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखती हैं।
वासुदेव द्वादशी कब है 2025 में, यहां जान लें इसकी पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

वासुदेव द्वादशी कब है 2025 में, यहां जान लें इसकी पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

Vasudev Diwadashi 2025: वासुदेव द्वादशी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है, जो देवशयनी एकादशी के अगले दिन पड़ती है। 2025 में यह पर्व 7 जुलाई, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान कृष्ण, श्री हरि विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत से पापों का नाश होता है और संतान सुख मिलता है। आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र और महत्व।

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वासुदेव द्वादशी शुभ मुहूर्त (Vasudev Diwadashi Shubh Muhurat 2025)

द्वादशी तिथि प्रारंभ: 6 जुलाई 2025, रात 9:14 बजे

द्वादशी तिथि समापन: 7 जुलाई 2025, रात 11:10 बजे

व्रत पारण समय: 8 जुलाई 2025, सुबह 5:30 बजे से 8:15 बजे तक

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:10 बजे से 4:50 बजे तक

वासुदेव द्वादशी पूजा विधि (Vasudev Dwadashi Puja Vidhi)

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • हाथ में जल, तिल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।
  • लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और श्री कृष्ण, भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
  • मूर्ति को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी) और गंगाजल से स्नान कराएं। फिर फूल, रोली, हल्दी, और मौली चढ़ाएं।
  • अब भगवान वासुदेव को मोर पंख एवं पुष्प अर्पित करें।
  • खीर या मिठाई का भोग लगाएं और धूप-दीप दिखाएं।
  • "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • पूजा के बाद ब्राह्मण को दान देना शुभ माना जाता है। स्वर्ण या वस्त्र दान का विशेष महत्व है।

वासुदेव द्वादशी महत्व (Vasudev Dwadashi Mahatva)

वासुदेव द्वादशी का व्रत पौराणिक कथा के अनुसार माता देवकी और वासुदेव को भगवान कृष्ण की प्राप्ति का कारण बना। नारद मुनि ने उन्हें यह व्रत सुझाया था, जिससे उनके सारे कष्ट दूर हुए। यह व्रत संतान प्राप्ति, खोई संपत्ति की प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाता है। जो भक्त श्रद्धा से इस दिन पूजा करते हैं, उन्हें जीवन में सुख-समृद्धि और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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