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टैरिफ को हथियार बना रहा अमेरिका, भारत-चीन को मिलकर करना होगा मुकाबला, बोले चीनी राजदूत

चीनी राजदूत ने यह भी कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दों पर महत्वपूर्ण सहमति बनी है और दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर किसी तीसरे पक्ष का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, उन्होंने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का जिक्र किया। अपनी टिप्पणी में शू ने अमेरिकी टैरिफ नीति की कड़ी आलोचना की।

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भारत पर लगे अमेरिकी टैरिफ को लेकर चीन ने खुलकर भारत का साथ दिया है। चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने सोमवार को कहा कि चीन ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क का कड़ा विरोध करता है, यह अनुचित और गलत है। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली और बीजिंग को इस चुनौती का मिलकर मुकाबला करने के लिए आर्थिक संबंधों को बढ़ाना चाहिए। शू ने यह भी कहा कि भारत और चीन दोनों आतंकवाद के शिकार हैं और बीजिंग इस चुनौती से निपटने के लिए नई दिल्ली सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।

चीनी राजदूत शू फेइहोंग का बड़ा बयान (AP)

कहा- भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दों पर अहम सहमति बनी

भारत में चीनी राजदूत जापान के खिलाफ चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में अपने भाषण के बाद सवालों के जवाब दे रहे थे। शू ने यह भी कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दों पर महत्वपूर्ण सहमति बनी है और दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर किसी तीसरे पक्ष का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, उन्होंने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का जिक्र किया। अपनी टिप्पणी में शू ने अमेरिकी टैरिफ नीति की कड़ी आलोचना की।

टैरिफ को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा अमेरिका

उन्होंने कहा कि अमेरिका विभिन्न देशों से अत्यधिक लागत वसूलने के लिए टैरिफ को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है और भारत व चीन, दो महत्वपूर्ण उभरती अर्थव्यवस्थाओं को इस स्थिति से निपटने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा, व्यापार युद्ध अमेरिका ने शुरू किया था। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को एक-दूसरे का पूरक होना चाहिए और पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग की ओर ले जाना चाहिए। अमेरिका लंबे समय से मुक्त व्यापार से लाभान्वित होता रहा है। लेकिन अब वह टैरिफ को एक हथियार या औज़ार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।

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