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Nepal Election: नेपाल में संसद भंग करने के फैसले पर मचा सियासी तूफान, राजनीतिक दलों और वकीलों का राष्ट्रपति पर निशाना

नेपाल में संसद भंग करने का फैसला अब सिर्फ एक राजनीतिक घटनाक्रम नहीं रह गया है, बल्कि यह एक संवैधानिक बहस और लोकतांत्रिक भविष्य का सवाल बन चुका है। इस फैसले के खिलाफ नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन (माओवादी केंद्र) जैसे सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ-साथ नेपाल बार एसोसिएशन जैसे शीर्ष कानूनी निकायों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

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नेपाल में हाल ही में राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग करने और नए चुनाव की घोषणा करने के फैसले ने देश की राजनीति में एक नया भूचाल ला दिया है। इस फैसले के खिलाफ नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन (माओवादी केंद्र) जैसे सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ-साथ नेपाल बार एसोसिएशन जैसे शीर्ष कानूनी निकायों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। आलोचकों ने इसे न सिर्फ “असंवैधानिक और मनमाना”, बल्कि नेपाल के लोकतंत्र पर एक गंभीर प्रहार करार दिया है।

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और प्रधानमंत्री सुशीला कार्की (फोटो- AP)

क्या है मामला?

शुक्रवार को अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की अध्यक्षता में हुई पहली कैबिनेट बैठक में प्रतिनिधि सभा को भंग करने की सिफारिश की गई थी। इसके कुछ ही घंटों के भीतर राष्ट्रपति पौडेल ने इस सिफारिश को मंजूरी देते हुए संसद को 12 सितंबर, 2025 की रात 11 बजे से भंग कर दिया और अगले आम चुनाव की तारीख 21 मार्च, 2026 घोषित कर दी। राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक नोटिस में इस फैसले की पुष्टि की गई, जिसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि नेपाल एक बार फिर संवैधानिक और राजनीतिक विवाद की राह पर बढ़ चला है।

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