कृषि

UP : आम की फसल हो सकती है बर्बाद! बारिश-ओलावृष्टि के बाद ये कीड़े भी पहुंचा सकते हैं नुकसान

उत्तर प्रदेश के आम किसानों को बारिश, ओलावृष्टि के बाद कीटों के हमले से खतरा बढ़ गया है। आम की कुल पैदावार पर भले ही कोई असर न पड़े, लेकिन बारिश और ओलावृष्टि के बाद आर्द्र मौसम की स्थिति के कारण आम उगाने वाले कुछ क्षेत्रों में कीटों का हमला हो सकता है।
pest attack on Mango farming

आम की फसल पर कीड़े कर सकते हैं अटैक (फाइल फोटो)

लखनऊ : हाल में हुई बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के कारण उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में आम की फसलों में कीटों का प्रकोप बढ़ने की आशंका है। किसानों को समय रहते इसके लिए उपयुक्त कदम उठाने की सलाह दी गई है। आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी दामोदरन ने यह कहा है। उत्तर प्रदेश, देश के कुल 2.4 करोड़ टन आम उत्पादन में एक तिहाई का योगदान देता है। दशहरी, लंगड़ा, चौसा और आम्रपाली राज्य की प्रमुख आम की किस्में हैं। दामोदरन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में आम की कुल पैदावार पर भले ही कोई असर न पड़े, लेकिन बारिश और ओलावृष्टि के बाद आर्द्र मौसम की स्थिति के कारण आम उगाने वाले कुछ क्षेत्रों में कीटों का हमला हो सकता है।

उन्होंने कहा कि आम की फसलों में मक्खियों और कीटों की संख्या बारिश के बाद बढ़ सकती है, क्योंकि नमी और मिट्टी में नमी इन कीटों के विकास और गतिविधि के लिए अनुकूल होती है। किसानों को बारिश के बाद इन कीटों का प्रबंधन करने की आवश्यकता है। दामोदरन ने बताया कि यदि फल मक्खियों की पहली पीढ़ी पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया, तो उनकी आबादी लगातार बढ़ती जाएगी, जो मुख्य आम की फसल के पकने के साथ-साथ होगी। जब तक आम बाजार में बिकने लायक परिपक्व हो जाते हैं, तब तक मक्खियों की आबादी खतरनाक रूप से बढ़ सकती है।

कीटों को नियंत्रित करने के लिए दामोदरन ने सुझाव दिया कि 'मिथाइल यूजेनॉल ट्रैप' नर फल मक्खियों, खासकर आम के प्रबंधन के लिए एक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल तरीका है। ये ट्रैप बाजार में उपलब्ध हैं और इन्हें 1.5 से 2 मीटर की ऊंचाई पर लटकाकर लगाया जा सकता है, बेहतर यह है कि इसे पेड़ की छतरी के अंदर अर्ध-छायादार क्षेत्रों में लगाया जाये।

वयस्क फल मक्खियों को नियंत्रित करने के लिए गुड़-आधारित जहरीले चारे का उपयोग किया जा सकता है। चारा तैयार करने के लिए लगभग 20 ग्राम गुड़ को 100 भाग पानी और एक मिलीलीटर प्रतिलीटर संपर्क कीटनाशक (जैसे मैलाथियान 50 ईसी) के साथ मिलाकर उपयोग किया जा सकता है। किसानों को इस जहरीले चारा मिश्रण का पेड़ के तने, निचली शाखाओं और पत्तियों पर छिड़काव करना चाहिए।

बारिश के दौरान या दोपहर की तेज धूप में छिड़काव से बचना चाहिए और इसे सुबह या देर दोपहर में लगाना चाहिए। इसे हर 7-10 दिनों में दोहराया जा सकता है।

कीटों के नियंत्रण के लिए, इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल (0.3 मिली/ली) या थियामेथोक्सम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी (0.3 ग्राम/ली) या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी (एक मिली प्रति ली) या टॉलफेनपाइरैड 15 प्रतिशत ईसी 1.5 मिली प्रति ली जैसे किसी भी कीटनाशक का इस्तेमाल किया जा सकता है। बिजनौर, सहारनपुर और लखनऊ कुछ प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं, जहां बुधवार को बारिश हुई। उत्तर प्रदेश में आम के फलों की तोड़ाई जून से होगी।

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Pushpendra Kumar author

गंगा यमुना के दोआब में स्थित उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से ताल्लुक है। गांव की गलियों में बचपन बीता और अब दिल्ली-एनसीआर में करियर की आपधापी जारी है।...और देखें

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