Explainer: भारत की तेज ग्रोथ के बावजूद विदेशी निवेशक क्यों निकाल रहे हैं शेयर बाजार से पैसा? विस्तार से समझें

शेयर बाजार (Istock)
वैश्विक अनिश्चतता के बीच भारतीय अर्थव्यस्था मजबूती के साथ शानदार प्रदर्शन कर रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू किए गए टैरिफ वॉर का अभी तक इंडियन इकोनॉमी पर बहुत असर नहीं हुआ है। वहीं, एनएसओ की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में भारतीय जीडीपी 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी। यह दुनिया में किसी भी इकोनॉमी की बढ़ने की सबसे तेज रफ्तार है। हाल ही में भारत सरकार ने गाड़ियों से लेकर तमाम जरूरी सामान पर जीएसटी घटाने का फैसला किया है। इससे घरेलू मांग बढ़ने की पूरी उम्मीद है। लंबे समय बाद अमेरिका से ट्रेड डील होने की उम्मीद बढ़ गई है। ट्रंप और पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक दूसरे की तारीफ की है। इन सब के बावजूद भारतीय बाजार विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में भला क्यों नकाम हो रहा है? क्यों विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं? भारत की दमदार GDP ग्रोथ के बावजूद विदेशी निवेशक शेयर बाजार को लेकर क्यों नहीं हैं बुलिश? अगर आपके मन में भी ये सवाल तैर रहे हैं तो चलिए सभी के जवाब देते हैं।
विदेशी निवेशकों ने 5 में से सिर्फ 1 साल किया निवेश
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर नजर डालें तो 2021-22 से पिछले पांच वित्त वर्षों (अप्रैल-मार्च) के दौरान, केवल एक वित्त वर्ष (2023-24) में भारतीय शेयर बाजारों में 25.3 अरब डॉलर का शुद्ध निवेश किया है। अन्य सभी वर्षों में, एफपीआई ने अपने निवेश से अधिक निकासी की। वित्त वर्ष 2021-22 में 18.5 अरब डॉलर, 2022-23 में 5.1 अरब डॉलर, 2024-25 में 14.6 अरब डॉलर और 2025-26 में 2.9 अगर डॉलर (5 सितंबर तक) का निकासी है।
चालू वित्त वर्ष में भी यह रुझान जारी रहा है, अप्रैल-जून 2025 के दौरान पूंजी प्रवाह अप्रैल-जून 2024 की तुलना में 40% से ज्यादा गिर गया है। यह तब हुआ जब पिछली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर उम्मीद से ज़्यादा 7.8% रही।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर के पहले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजारों से 12,257 करोड़ रुपये (1.4 अरब अमेरिकी डॉलर) निकाले हैं। इससे पहले एफपीआई ने अगस्त में शेयरों से 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये निकाले थे। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इसके साथ ही, 2025 में अबतक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक शेयरों से कुल 1.43 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं।
क्यों पैसा निकाल रहे विदेशी निवेशक?
अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और डॉलर मजबूत होना: हाल ही में अमेरिका में ब्याज़ दरें ऊँची बनी हुई हैं। इससे US Treasury Bonds में निवेश विदेशी निवेशकों को ज्यादा सुरक्षित और रिटर्न वाला लग रहा है। यही वजह है कि FII ने भारत समेत उभरते बाजारों से पैसा निकालकर अमेरिका शिफ्ट किया।
रुपए पर दबाव: रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ है। विदेशी निवेशक मानते हैं कि करेंसी रिस्क से उनके रिटर्न पर असर पड़ सकता है। इसलिए वे अपने फंड्स निकाल रहे हैं।
प्रॉफिट बुकिंग: भारतीय बाजार रिकॉर्ड हाई पर ट्रेड कर रहा है। ऐसे में विदेशी निवेशक प्रॉफिट बुकिंग करके पैसा निकाल रहे हैं। यह रणनीति अस्थायी होती है और लंबे समय में फिर से निवेश लौट सकता है।
ग्लोबल अनिश्चितता: अमेरिका-यूरोप में मंदी की आशंका, चीन की धीमी ग्रोथ और भू-राजनीतिक तनाव (तेल की कीमतें, युद्ध की स्थिति) का असर भारतीय बाजार पर भी हो सकता है। इसलिए विदेशी निवेशक सर्तक रुख अख्तियार करते हुए पैसा निकाल रहे हैं।
वैल्यूएशन हाई होना: भारतीय कंपनियों के शेयर वैल्यूएशन अभी ग्लोबल एवरेज से महंगे दिखते हैं। विदेशी निवेशक मानते हैं कि करेक्शन आने पर सस्ते दाम पर फिर से एंट्री करेंगे। इसलिए भी वो पैसा निकाल रहे हैं।
क्या कह रहे हैं मार्केट एक्सपर्ट?
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि डॉलर में मजबूती, अमेरिकी शुल्क चिंताओं और लगातार भू-राजनीतिक तनाव के बीच एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं। हालांकि, निकट भविष्य में अस्थिरता बनी रह सकती है, लेकिन भारत की वृद्धि गाथा, जीएसटी को सुसंगत बनाने जैसे नीतिगत सुधारों और कंपनियों की आय में सुधार की उम्मीदें वैश्विक अनिश्चितताओं के कम होने पर एफपीआई वापस भारतीय बाजार की ओर आकर्षित हो सकते हैं। वहीं, जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि लगातार बड़े पैमाने पर घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी से एफपीआई उच्च मूल्यांकन पर पैसा निकाल रहे हैं। उनको तगड़ा मुनाफा हो रहा है। वह इस पैसे को चीन, हांगकांग और दक्षिण कोरिया जैसे सस्ते बाजारों में पैसा लगाने में सक्षम हो रहे हैं। इसलिए वो यहां से पैसा निकाल रहे हैं।
ग्रोथ दर में चीन, अमेरिका, जापान सब हमसे पीछे
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, जिसकी वार्षिक जीडीपी वृद्धि 2021 से 2024 के दौरान औसतन 8.2% है। यह वियतनाम (5.8%), चीन (5.5%), मलेशिया (5.2%), इंडोनेशिया (4.8%), यूनाइटेड किंगडम (3.7%) की इन चार वर्षों की दर से अधिक है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और मेक्सिको (3.6%), अर्जेंटीना (3.1%), यूरोपीय संघ (2.8%), थाईलैंड (2.2%), और जापान (1.3%) की वृद्धि दर भारत से काफी कम रही है। इस कैलेंडर वर्ष में भी विकास की गति बनी हुई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था ने जनवरी-मार्च और अप्रैल-जून 2025 तिमाहियों में क्रमशः 7.4% और 7.8% की वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर्ज की। ये भारत की ताकत है। इसके दम पर विदेशी निवेशकों को भारत आना होगा।
फिर लौटेंगे विदेशी निवेशक
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि भारत की GDP ग्रोथ दुनिया में सबसे तेज बनी हुई है। भारत के विकास पर घरेलू निवेशकों का भरोसा कायम है। हर महीने हजारों करोड़ रुपये SIP के जरिये शेयर बाजार में आ रहा है। सरकारी लगातार कंपनियों को बूस्ट करने के लिए कदम उठा रही है। इसी दिशा में जीएसटी में कटौती किया है। इससे घरेलू मांग मैन्युफैक्चरिंग-डिजिटल सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। इसलिए भारतीय बाजार निवेशकों के लिए आकर्षित बना हुआ है और रहेगा। वैश्विक हालात बेहतर होने पर फिर विदेशी निवेशक लौट कर आएंगे।
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आलोक कुमार टाइम्स नेटवर्क में एसोसिएट एडिटर के पद पर कार्यरत हैं। इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और प्रिंट मीडिया में उन्हें 17 वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव ह...और देखें

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