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Explainer: राजशाही से लोकतंत्र तक... लेकिन बैसाखी पर खड़ी नेपाल की इकोनॉमी, भ्रष्टाचार ने तोड़ी जनता की उम्मीदें, जानें पूरे हालात

Nepal Economy: नेपाल की लंबी यात्रा राजशाही से लोकतंत्र तक चुनौतीपूर्ण रही है। आज भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता ने अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया है। सोशल मीडिया बैैन के खिलाफ जनता सड़कों पर है, भारी विरोध प्रदर्शन में 20 लोगों की जान चली गई है। एक बार फिर से सत्ता परिवर्तन की गूंज सुनाई दे रही है। लेकिन क्या सत्ता परिवर्तन जनता की उम्मीदों को पूरा कर पाएगा।
Nepal economic condition

राजशाही से लोकतंत्र की छलांग पर नेपाल, लेकिन भ्रष्टाचार ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी! (तस्वीर-istock)

Nepal Economy : नेपाल हिमालय की गोद में बसा एक खूबसूरत और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश है। नेपाल ने अपने इतिहास में राजशाही से लोकतंत्र की यात्रा तय की है। लेकिन आज, इस छोटे से पहाड़ी राष्ट्र की इकोनॉमी बैसाखी पर टिकी हुई है, जबकि भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता ने जनता की उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया है। सोशल मीडिया बैन के खिलाफ लाखों युवा प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार के खिलाफ जनता में भारी असंतोष है। ऐसे में अपने पड़ोसी देश नेपाल की वर्तमान आर्थिक स्थिति, उसके पीछे के कारण और भविष्य की चुनौतियों को जानना लाजमी है।

राजतंत्र से लोकतंत्र की राह

नेपाल की राजनीतिक कहानी लंबे समय तक राजशाही के इर्द-गिर्द घूमती रही। यहां की शाह वंश की सत्ता करीब 240 वर्षों तक कायम रही, जो एक ताकतवर लेकिन कभी-कभी अत्याचारी राजशाही थी। 1990 में जनता के दबाव और जन आंदोलनों के बाद नेपाल ने बहुदलीय लोकतंत्र की शुरुआत हुई। इसके बाद 2008 में नेपाल ने अपने संवैधानिक रूप से एक गणराज्य का गठन किया और राजशाही को समाप्त कर दिया। यह परिवर्तन देश के लिए एक नए युग की शुरुआत थी, लेकिन इसके साथ ही नेपाल को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा, जिनमें राजनीतिक अस्थिरता और विकास की धीमी गति प्रमुख हैं।

बैसाखी पर टिकी नेपाल की अर्थव्यवस्था

नेपाल की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि, पर्यटन, और विदेशी सहायता है। देश का अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, लेकिन आधुनिक कृषि तकनीकों की कमी और भौगोलिक कठिनाइयों ने इस क्षेत्र को कमजोर बना दिया है। पर्यटन, जो नेपाल की दूसरी सबसे बड़ी आय का स्रोत है, कोविड-19 महामारी की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुआ। विदेशी सहायता, जो नेपाल की आर्थिक धुरी में शामिल है, राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक खामियों के कारण प्रभावी रूप से उपयोग नहीं हो पाती। नेपाल की अर्थव्यवस्था करीब 6.5 बिलियन डॉलर की है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय बेहद कम है। महंगाई बढ़ रही है, बेरोजगारी चरम पर है और ग्रामीण इलाकों में विकास की रफ्तार धीमी है। ऐसे में नेपाल की अर्थव्यवस्था बैसाखी पर टिकी हुई जान पड़ती है, जिसे कोई बड़ा झटका भी अस्थिर कर सकता है।

भ्रष्टाचार: जनता की उम्मीदों का सबसे बड़ा दुश्मन

नेपाल में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या बन चुका है। पारदर्शिता अंतरराष्ट्रीय संस्थान (Transparency International) की रिपोर्ट में नेपाल को भ्रष्टाचार के मामले में काफी नीचे रैंक दिया गया है। सरकारी अधिकारी, स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक नेताओं के भ्रष्टाचार ने विकास परियोजनाओं को बाधित किया है। कई बार विदेशी सहायता भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। भ्रष्टाचार के कारण सड़क, स्कूल, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाएं जनता तक सही तरीके से नहीं पहुंच पातीं। प्राइवेट सेक्टर में भी रिश्वतखोरी और अनियमितताओं ने निवेश को कम कर दिया है। इससे रोजगार के अवसर घटे हैं और गरीबी बढ़ी है। जनता की उम्मीदें टूट गई हैं और देश में सामाजिक असंतोष बढ़ता जा रहा है।

राजनीतिक अस्थिरता, विकास में बाधा

नेपाल की राजनीति लगातार अस्थिर रही है। कई बार सरकारें बदली हैं, गठबंधन टूटे हैं और राजनीतिक लड़ाईयों ने देश के विकास को पीछे धकेल दिया है। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच सत्ता संघर्ष ने नीति निर्माण को प्रभावित किया है। इस अस्थिरता का सीधा असर विदेशी निवेश और विकास परियोजनाओं पर पड़ता है। राजनीतिक अस्थिरता ने यह सुनिश्चित किया है कि नेपाल के संसाधनों का सही उपयोग न हो पाए। यह अस्थिरता आर्थिक सुधारों को लागू करने में भी बड़ी बाधा है, जिससे विकास के दरवाजे बंद हो गए हैं।

राजशाही खत्म होने के बाद अर्थव्यवस्था का हाल

राजशाही खत्म होने के बाद राजनीतिक अस्थिरता और बार-बार सरकार बदलने के कारण आर्थिक विकास की गति धीमी रही। खासकर माओवाद युद्ध (1996-2006) के बाद भी सुरक्षा और स्थिरता की कमी ने निवेश को प्रभावित किया। लोकतंत्र आने से आर्थिक नीतियों में सुधार और बाजार में पारदर्शिता आई। कई विदेशी निवेशकों और विकास एजेंसियों ने नेपाल में निवेश शुरू किया। नेपाल की अर्थव्यवस्था अभी भी कृषि पर बहुत ज्यादा निर्भर है, जो रोजगार का मुख्य स्रोत है। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और संसाधनों की कमी के कारण कृषि क्षेत्र में पर्याप्त सुधार नहीं हो पाया। राजशाही खत्म होने के बाद पर्यटन को बढ़ावा मिला क्योंकि देश खुला और स्थिर दिखने लगा। पर्यटन ने अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया। नेपाल को कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मदद मिली, लेकिन इस पर निर्भरता बनी रही। विदेशों में काम करने वाले नेपाली (प्रवासी श्रमिक) से आने वाली मुद्रा भी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण बनी। सड़क, बिजली, और संचार में सुधार की कोशिशें हुईं, लेकिन कई जगह अभी भी कमी है।

नेपाल की आर्थिक समस्याओं के मुख्य कारण

  • भौगोलिक बाधाएं: नेपाल एक पहाड़ी देश है, जहां भौगोलिक परिस्थितियां विकास के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। खराब सड़क नेटवर्क, प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप और बाढ़ विकास की राह में बाधा बनती हैं।
  • आधुनिक तकनीक और शिक्षा की कमी: देश में शिक्षा और तकनीकी कौशल का स्तर अभी भी निचले स्तर पर है, जिससे कृषि और उद्योग क्षेत्र में उत्पादन क्षमता सीमित है।
  • बाहरी सहायता पर निर्भरता: नेपाल की अर्थव्यवस्था काफी हद तक विदेशी सहायता पर निर्भर है, जो हमेशा स्थिर या पर्याप्त नहीं होती। इससे देश की आर्थिक स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
  • भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमता: पहले बताए अनुसार भ्रष्टाचार और प्रशासनिक कमजोरियां विकास में बड़ी बाधा हैं।
  • राजनीतिक अस्थिरता: बार-बार सत्ता परिवर्तन और राजनीतिक मतभेद नीति निर्माण को प्रभावित करते हैं।

जनता की उम्मीदें और उनका टूटना

राजशाही से लोकतंत्र तक का सफर नेपाल के लिए आशाओं से भरा था। लोगों ने एक बेहतर जीवन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और विकास की उम्मीद की थी। लेकिन भ्रष्टाचार, राजनीतिक संघर्ष और आर्थिक कठिनाइयों ने उन उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया है। कई युवा बेरोजगारी के कारण विदेशों में नौकरी की तलाश में जा रहे हैं। किसान अपनी फसलों के उचित दाम नहीं पा रहे और छोटे व्यवसाय घाटे में हैं। इस सबका असर सामाजिक स्थिरता पर पड़ रहा है।

नेपाल के लिए क्या हैं रास्ते

  • नेपाल की स्थिति भले ही चुनौतीपूर्ण हो, लेकिन संभावनाएं अभी भी बनी हुई हैं। सही दिशा में कदम उठाकर देश आर्थिक और सामाजिक सुधार कर सकता है।
  • भ्रष्टाचार पर सख्त नियंत्रण: पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई करने से संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • राजनीतिक स्थिरता और सहयोग: सभी राजनीतिक दलों को विकास को प्राथमिकता देते हुए स्थिर सरकार बनानी होगी।
  • अधुनिकीकरण और शिक्षा पर जोर: तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास से रोजगार बढ़ सकता है।
  • पर्यटन का पुनरुद्धार: कोविड-19 के बाद पर्यटन को फिर से बढ़ावा देकर विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है।
  • कृषि सुधार: आधुनिक कृषि तकनीक और बेहतर बाजार व्यवस्था से किसान की आय बढ़ाई जा सकती है।

नेपाल का इतिहास राजशाही से लोकतंत्र तक की लंबी यात्रा की कहानी कहता है। लेकिन आज देश की अर्थव्यवस्था बैसाखी पर टिकी हुई है, भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता ने जनता की उम्मीदों को झिंझोड़ दिया है। हालांकि चुनौतियां बड़ी हैं, सही नीतियां और ईमानदार प्रयासों से नेपाल फिर से विकास की राह पर लौट सकता है और अपने लोगों के सपनों को साकार कर सकता है। नेपाल की जनता की उम्मीदें अभी भी जीवित हैं, बस जरूरत है स्थिरता, पारदर्शिता और समर्पित नेतृत्व की, जो इस देश को उसकी नई ऊंचाइयों तक ले जा सके।

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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में बिजनेस डेस्क के इंचार्ज हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वो बिहार के खगड़िया जिले के र...और देखें

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