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Removable Solar Panels on Railway Tracks: इंडियन रेलवे ने रचा इतिहास, पटरियों के बीच लगाए सोलर पैनल

भारतीय रेलवे ने इतिहास रच दिया है। अब रेल की पटरियों के बीच सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। फिलहाल इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से शुरू हुई है।
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पटरियों के बीच लगाए गए सभी पैनल रिमूवेबल, वाराणसी से हुई शुरुआत (फोटो - इंडियन रेलवे)

वाराणसी: सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारतीय रेलवे ने बड़ी छलांग लगाते हुए इतिहास रच दिया है। अब रेल की पटरियों के बीच सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। फिलहाल इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से शुरू हुई है। बनारस रेल इंजन कारखाना यानी बरेका में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पटरियों के बीच सोलर पैनल लगाए गए हैं। आने वाले दिनों में इसका दायरा बढ़ाया जाएगा।

रेलवे ने बिजली की बचत और पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। इसके तहत बरेका में 70 मीटर तक पटरियों के बीच कुल 28 सोलर पैनल लगाए गए हैं।

सभी पैनल रिमूवेबल

पटरियों के बीच लगाए गए सभी पैनल रिमूवेबल है, जिसकी क्षमता 15 किलोवाट है। बड़ी बात ये है कि पटरियों के मेंटेनेंस के वक्त सोलर पैनल का आसानी से हटाया और लगाया जा सकता है। एक सोलर पैनल का आकार 2278×1133×30 मिमी और वजन 31.83 किग्रा है। खास बात ये है कि सोलर पैनल ट्रेनों के आवागमन में बाधा नहीं डालेंगे। फिलहाल पिछले तीन दिनों में 400 यूनिट बिजली का उत्पादन भी हो चुका है।

प्लेटफॉर्म और यार्ड में लगाए जाएंगे सोलर पैनल

ट्रेनों के संचालन के लिए बड़े पैमाने पर बिजली की खपत होती है। ट्रेनों के संचालन पर करोड़ी रुपए खर्च होते हैं। ऐसे में सोलर पैनल रेलवे के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। सोलर पैनल लगने से ना सिर्फ बिजली पर होने वाले खर्च में लगभग पचास फीसदी तक कमी आएगी। बनारस रेल इंजन कारखाना के पीआरओ राजेश कुमार के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के जरिए प्रति किलोमीटर 3.19 लाख यूनिट सालाना बिजली उत्पादन का अनुमान है। फिलहाल इसे बरेका के ट्रैक नंबर 19 पर शुरू किया गया है। जल्द ही देश के दूसरे रेलवे स्टेशन के यार्ड और प्लेटफॉर्म पर लगाया जाएगा।

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