भोपाल

अमेरिका के टैरिफ और भारतीय व्यापारियों पर सांसद दिग्विजय सिंह का बयान; कपास, यूरिया और वोटर लिस्ट पर भी उठाया सवाल

राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने अमेरिका और भारत के बढ़ते टैरिफ तथा विदेश नीति पर चिंता जताई है। उन्होंने व्यापारियों, किसानों और वोटिंग प्रक्रिया में मौजूद खामियों को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि यूरिया और कपास की आपूर्ति से लेकर पाकिस्तान को समर्थन तक कई मुद्दों पर भारत की स्थिति चुनौतीपूर्ण है।

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Bhopal News: राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने अमेरिका और भारत के रिश्तों पर सवालों के जवाब देते हुए कहा कि अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने से भारतीय व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि रेडिमेड गारमेंट्स और कालीन के हजारों करोड़ के ऑर्डर रुक गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के पास विकल्प हैं कि यह नुकसान चीन, रूस, अन्य एशियाई देशों और यूरोप में कैसे पूरा किया जाए। दिग्विजय सिंह ने बताया कि अगर भारत चाहती तो अमेरिका की तरह टैरिफ लगा सकती थी।

राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (फाइल फोटो)

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि चीन ने अमेरिका के सामान पर टैरिफ लगाया है और कई देशों ने अमेरिका पर उल्टा टैरिफ लगाया है। उन्होंने भारत की विदेश नीति पर भी चिंता जताई। कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा पाकिस्तान के आर्मी चीफ को विशेष महत्व देने की स्थिति चिंताजनक है। वर्तमान परिस्थिति में यह और भी गंभीर है कि अमेरिका और चीन दोनों ही पाकिस्तान को समर्थन दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने चीन में आतंकवाद पर चर्चा की, लेकिन चीन द्वारा पाकिस्तान को समर्थन दिए जाने पर भी उनसे चर्चा करनी चाहिए थी। दिग्विजय सिंह ने कहा कि पूरे देश में यूरिया की कमी है, जिसका कारण यह है कि चीन ने यूरिया का निर्यात बंद कर दिया है।

वोटर लिस्ट और वोट चोरी के आरोप

वोटर सूची और वोटिंग प्रक्रिया को लेकर दिग्विजय सिंह ने कहा कि उनकी मांग स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि देश की मतदाता सूची ऐसी होनी चाहिए, जिसे मशीन से डाउनलोड करके यह पता लगाया जा सके कि किसी व्यक्ति का नाम कहीं बार-बार तो नहीं है। बिना मैनुअल चेकिंग यह संभव नहीं है। दूसरी मांग यह है कि जैसे ही नोटिफिकेशन जारी हो, वोटर लिस्ट को फ्रीज़ कर देना चाहिए, क्योंकि अब यह वोटिंग के तीन दिन पहले तक अपडेट होती रहती है। उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि करोड़ों मतदाताओं के मामले में सिर्फ़ एक महीने में एसआईआर (Systematic Internal Review) करना असंभव है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल बयानबाज़ी कर रही है कि रोहिंग्या या बांग्लादेशी मुस्लिम अवैध रूप से आ रहे हैं, जबकि किसी एक व्यक्ति का नाम भी साबित नहीं किया गया है।

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