दिल्ली-एनसीआर में रहकर एक सपनों से खूबसूरत झील के किनारे सुस्ताने का मौका मिले तो यह सपने सच होने जैसा ही है। जी हां, दिल्ली में एक ऐसी झील मौजूद है, जो आपकी थकान हर लेगी और दिल को सुकून से भर देगी। तो फिर देर किस बात की, इस वीकेंड लेक भारद्वाज (Lake Bhardwaj) घूमकर आएं।
घुमक्कड़ी में हम आपके अपने शहर की ऐसी जगहों के बारे में जानकारी जुटाकर लाते हैं, जिसे कम ही लोग जानते हैं या उसे भुला दिया गया है। इसी कड़ी में आज हम आपको लेकर चल रहे हैं भारद्वाज लेक। जी हां, दिल्ली की भागदौड़ भरी जिंदगी से कुछ पल का सुकून पाना है तो यह झील बहुत ही अच्छा ऑप्शन है। अगर आपना नैनीताल जाने का कार्यक्रम कैंसिल हो गया है, तो लेक भारद्वाज (Lake Bhardwaj) जाकर आप कुछ हद तक अपने मन को सांत्वना दे सकते हैं। इस झील की खूबसूरती और शीशे सा साफ पानी आपका मन मोह लेगा। चलिए जानते हैं लेक भारद्वाज के बारे में सब कुछ -
लेक भारद्वाज बहुत अच्छा वीकेंड डेस्टिनेशन है
कहां है भारद्वाज लेक
अगर आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं तो आसानी से लेक भारद्वाज पहुंच सकते हैं। यह दक्षिण दिल्ली के लेक असोला भट्टी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी में अरावली की पहाड़ियों में है। फरीदाबाद के पास मौजूद असोला भट्टी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी में कई झीलें हैं, लेकिन भारद्वाज लेक की बात ही कुछ और है। असोला भट्टी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी के अंदर करीब 6 किमी का ट्रैक करने के बाद आपको लेक भारद्वाज मिलेगी। घनी झाड़ियों के बीच करीब आधे-पौने घंटे के ट्रैक के बाद आप इस खूबसूरत झील तक पहुंच जाएंगे।
दिल्ली-एनसीआर के लोग जो हर वीकेंड आसपास के इलाकों में घूमने की जगह ढूंढ़ते हैं, उनके लिए यह बहुत ही अच्छी वीकेंड डेस्टिनेशन है। लेक भारद्वाज के आसपास अरावली की पहाड़ियां और जंगल हैं। यहां की खूबसूरती आपका मन मोह लेगी। कुछ ही समय पहले तक लेक भारद्वाज को ज्यादा लोग नहीं जानते थे, लेकिन अब यहां पर आने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यहां पर कई तरह के फूल-पौंधे, वनस्पति के साथ ही तितलियां, चिड़िया, खरगोश, हिरण और नीलगाय तक देखने को मिलती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर कई जंगली जानवर भी देखे गए हैं। असोला भट्टी जाते हैं तो बता दें कि यह पूरा क्षेत्र 8 किमी में फैला हुआ है।
असोला भट्टी वाइल्ड लाइफ सेक्चुरी और उसके आसपास कई खूबसूरत झीलें हैं। कहा जाता है कि अरावली की पहाड़ियों में वर्षों के अवैध खनन के कारण यह झीलें बनी हैं। यहां पर बलूआ पत्थर (Sandstone), चूना (Lime) और बदरपुर (Badarpur Sand) की खुदाई होती रही। कहते हैं कि यहां पर इतनी गहराई तक अवैध खनन हुआ कि वह ग्राउंड वाटर टेबल तक पहुंच गए और इ गड्ढों में वह पानी भर गया। इसके अलावा बारिश का पानी भी इस लेक भारद्वाज में जमा होता है।
लेक भारद्वाज की खूबसूरती
तस्वीर साभार : Twitter
कुछ दशकों पहले तक इस पूरे इलाके में बड़ी-बड़ी खदानें थीं, जिनसे अवैध खनन चलता रहता था। धीरे-धीरे इस पूरे इलाके में बड़े-बड़े गड्ढे दिखने लगे। बरसात होने पर इन गड्ढों में वह पानी भर गया और इस तरह से कोरल लेक, CITM लेक 2, डॉल्फिन लेक और लेक भरद्वाज जैसी झीलें बन गईं।
कैसे पड़ा नाम
लेक भारद्वाज के बारे में आपने इतना जान लिया है तो यह भी जान लीजिए कि इसका नाम कैसे पड़ा। सबसे पहले तो यह साफ कर दें कि इस झील का नाम पौराणिक ऋषि भारद्वाज के नाम पर नहीं पड़ा है। बल्कि पूर्व में यहां पर रही खदान के कॉन्ट्रैक्टर के नाम पर इस झील का नाम पड़ा है।
लेक भारद्वाज, असोला भट्टी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी का हिस्सा है। यह एक पिकनिक स्पॉट है, जहां पर बड़ी संख्या में लोग ट्रैकिंग के लिए आते हैं। अगर आप यहां आना चाहते हैं तो यहां कैसे पहुंचे यह आपका अगला प्रश्न होगा। तो उस प्रश्न का उत्तर यहां है -
लेक भारद्वाज पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन दिल्ली मेट्रो के वायलेट लाइन पर बदरपुर बॉर्डर मेट्रो स्टेशन है। यहां से भारद्वाज लेक और असोला भट्टी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी की दूरी करीब 12 किमी है। मेट्रो स्टेशन से आप असोला भट्टी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी के लिए कैब या ऑटो रिक्शा बुक कर सकते हैं। इसके अलावा अगर आप अपनी गाड़ी से आना चाहें तो मथुरा रोड से बदरपुर बॉर्डर और फिर सूरजकुंड रोड होते हुए आप यहां आ सकते हैं। मां आनंदमयी मार्ग से तुगलकाबाद आने के बाद महरौली-बदरपुर रोड से महरौली की ओर तुगलकाबाद किले तक और फिर वहां से शूटिंग रेंज रोड से होते हुए यहां पहुंच सकते हैं।