क्राइम

कुलपति पर यौन उत्पीड़न का आरोप, SC का आदेश- VC के बायोडाटा में लिखा हो ये Sexual Harassment केस

शीर्ष अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता ने दिसंबर 2023 में एलसीसी में कुलपति पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी। न्यायालय ने कहा कि एलसीसी ने शिकायत को समय सीमा के बाहर का बताकर खारिज कर दिया, क्योंकि यौन उत्पीड़न की अंतिम कथित घटना अप्रैल 2023 में हुई थी, जबकि शिकायत 26 दिसंबर, 2023 को दर्ज कराई गई थी

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उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि गलती करने वाले को माफ करना उचित हो सकता है, लेकिन गलती को भूलना नहीं चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए निर्देश दिया कि एक विश्वविद्यालय के कुलपति पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों से जुड़ा उसका फैसला उनके बायोडाटा का हिस्सा बनाया जाए, ताकि यह उसे हमेशा परेशान करता रहे, भले ही शिकायत समयसीमा से बाहर होने के कारण खारिज हो गई हो। पीटीआई के अनुसार न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल स्थित एक विश्वविद्यालय के एक संकाय सदस्य की याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसने दिसंबर 2023 में कुलपति पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।

प्रतीकात्मक फोटो (Canva)

किस आधार पर शिकायत खारिज

शीर्ष अदालत ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने स्थानीय शिकायत समिति (एलसीसी) के उस फैसले को बहाल करने में कोई कानूनी त्रुटि नहीं की है, जिसमें कहा गया था कि अपीलकर्ता की ओर से शिकायत किये जाने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है और शिकायत को खारिज किया जा सकता है। पीठ ने कहा, ‘‘गलती करने वाले को माफ करना उचित हो सकता है, लेकिन गलती को भूलना नहीं चाहिए। अपीलकर्ता (संकाय सदस्य) के खिलाफ जो गलती हुई है, उसकी तकनीकी आधार पर जांच नहीं की जा सकती, लेकिन उसे भूलना नहीं चाहिए।’’ पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए कहा, ‘‘इस मामले को ध्यान में रखते हुए, हम निर्देश देते हैं कि प्रतिवादी संख्या एक (कुलपति) द्वारा कथित यौन उत्पीड़न की घटनाओं को माफ किया जा सकता है, लेकिन वह गलती उसे हमेशा सताती रहे। इसलिए, यह निर्देश दिया जाता है कि इस फैसले को प्रतिवादी संख्या एक के बायोडाटा का हिस्सा बनाया जाए, जिसका अनुपालन वह व्यक्तिगत रूप से सुनिश्चित करें।

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