Maa Movie Review: रोंगटे खड़े किए बिना आखिर में 'वन टाइम वॉच' बनकर रह गई काजोल की मां
Maa Movie Review: अजय देवगन के बैनर में बनी काजोल, रॉनित रॉय और इंद्रनील सेनगुप्ता स्टारर मां में अच्छा वीएफएक्स वर्क है और शानदार बैकग्राउंड म्यूजिक है लेकिन फिर भी ये डराती नहीं है। धीमी रफ्तार से चलने वाली फिल्म मां वन टाइम वॉच है, जो शैतान हॉरर यूनिवर्स को खास मदद नहीं करती है।

कास्ट एंड क्रू
अगर मैं आपसे पूछूं कि पका हुआ आम कैसा होता है... आप फट से जवाब देंगे कि मीठा। क्योंकि पका हुआ आम मीठा ही होता है और अगर उसमें मिठास नहीं है तो इसका मतलब है कि आम अच्छा नहीं है। अगर यही सवाल हॉरर मूवी के बारे में पूछा जाए कि वो कैसी होनी चाहिए तो ये जवाब लाजमी है कि जिसे देखकर डर लगे। अगर हॉरर फिल्म डरा नहीं रही है तो वो अच्छी हॉरर मूवी नहीं है। काजोल की नई हॉरर मूवी मां में ठीक-ठाक ट्विस्ट एंड टर्न्स हैं, अच्छा बैकग्राउंड म्यूजिक है, बेहतरीन वीएफएक्स हैं और उम्मीद पर खरी उतरने वाली परफॉर्मेंसेज भी हैं लेकिन इसके साथ परेशानी ये है कि 2 घंटे 13 मिनट की ये मूवी डराती नहीं है।
फिल्म मां पश्चिम बंगाल के चंद्रपुर नाम के गांव से शुरू होती है, जहां रक्तबीज नाम के राक्षस का अंश अम्सजा का साया है। इस राक्षस की वजह से गांव का एक परिवार पीढ़ियों से शापित है, जिस कारण इसे अपने यहां पैदा होने वाली बच्चियों को मारना पड़ता है। इस परिवार का एक लड़का शुभांकर (इंद्रनील सेनगुप्ता) इस सारी चीजों से दूर अम्बिका (काजोल) नाम की लड़की के साथ अपनी जिंदगी शुरू करता है। इनकी एक प्यारी सी बेटी है, जिसे ये चंद्रपुर से दूर ही रखते हैं लेकिन हालात कुछ बनते हैं कि शुभांकर की मौत के बाद अम्बिका को अपनी बेटी के साथ चंद्रपुर आना पड़ता है। यहां से शुरू होता है मायावी राक्षस अम्सजा (रॉनित रॉय) का वो खेल जिसे खेलने के लिए वो सालों से बैठा है। अम्बिका कैसे अम्सजा के बिछाए जाल में अपनी बेटी को फंसने से बचाएगी और कैसे मां काली के आशीर्वाद से अम्सजा का विनाश करेगी ये फिल्म मां की कहानी है...
फिल्म मां का डायरेक्शन विशाल फुरिया ने किया है। विशाल ने मां को बनाने में काफी मेहनत की है और लगभग हर डिपार्टमेंट पर उनकी पकड़ दिखती है। अच्छे वीएफएक्स और शानदार बैकग्राउंड म्यूजिक मां को इंट्रेस्टिंग बनाते हैं लेकिन परेशानी फिल्म मां का स्क्रीनप्ले है, जिस कारण काजोल की ये मूवी धीमी है। फिल्म मां की कहानी तो दर्शकों को बांधे रखती है लेकिन इसके सीन्स डराते नहीं है। यहां तक कि जब राक्षस अम्सजा स्क्रीन पर रौद्र रूप में आता है तब भी रोंगटे खड़े नहीं होते हैं। यही कारण है कि अम्बिका और अम्सजा का फाइटिंग सीक्वेंस भी वो छाप नहीं छोड़ पाता है।
एक्टिंग की बात करें तो काजोल, इंद्रनील सेनगुप्ता, रॉनित रॉय, गोपाल सिंह और दिब्येंदु भट्टाचार्य समेत सभी कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों को अच्छे से निभाया है लेकिन दिक्कत ये है कि फिल्म मां पेपर सी थिन लाइन जैसी कहानी पर आधारित है, जिस कारण इसके रोल्स को वो लेयरिंग नहीं मिल पायी है जो इन्हें डेप्थ देती।
अजय देवगन ने शैतान के साथ बॉलीवुड को शानदार मायथॉलोजिकल हॉरर यूनिवर्स देने की कोशिश की थी, जिसे मां बहुत आगे नहीं ले जा पाती है। फिल्म मां दादी-नानी की डरावनी कहानियों पर आधारित ऐसी मूवी है, जो धीमे पेस के साथ आगे बढ़ती है और बिना रोंगटे खड़े किए आखिर में वन टाइम वॉच बनकर रह जाती है। मेकर्स ने फिल्म के हर डिपार्टमेंट पर ध्यान रखा है लेकिन हॉरर मूवी में हॉरर डालना भूल गए हैं। अगर आप इस वीकेंड मां देखने का प्लान बना रहे हैं तो जरूर जाइए क्योंकि एक्टर्स के अच्छे काम के लिए इसे एक बार तो देखा ही जाना चाहिए। मैं अपनी तरफ से इस फिल्म को देता हूं 2.5 स्टार... आप इसे थिएटर में देखने के लिए जाएं और हमें बताएं कि आपको ये कैसी लगी।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। मूवी रिव्यू (Entertainment News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
आर्टिकल की समाप्ति
संबंधित खबरें





अजय देवगन की 'सन ऑफ सरदार 2' का हिस्सा ना होने पर Sonakshi Sinha ने तोड़ी चुप्पी, बोलीं 'नाराज होकर भी...'

नेपाल की मौजूदा हालत को देख Prajakta Koli ने कैंसिल की अपनी ट्रिप, कहा 'यह सच में दिल दहलाने...'

Baaghi 4 Box Office Day 5: टाइगर श्रॉफ की फिल्म का हुआ बुरा हाल, 5 दिनों में कमाए कुल इतने करोड़

Bigg Boss 19: तान्या मित्तल ने निकाली कुनिका सदानंद पर भड़ास, गौरव खन्ना के चलते अमाल मलिक ने मोड़ा दोस्तों से मुंह

Rise and Fall: धनश्री वर्मा ने बताई इंडस्ट्री में काम मिलने की वजह, क्यों बोलीं ' दुनिया वाले मेरे खिलाफ खड़े हैं'
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited