The Bengal Files Review: नाक की सीध में लड़खड़ाते-लड़खड़ाते चलती पॉलिटिकल ड्रामा
The Bengal Files Review in Hindi: डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री की द बंगाल फाइल्स उन टीवी डिबेट्स की तरह है, जो इतिहास के पन्नों को खंगालने बैठती हैं बिना ये सोचे-समझे कि इसका वर्तमान पर क्या असर पड़ेगा। इतिहास की गलतियों पर बात करना गलत नहीं है लेकिन वो की जानी चाहिए लेकिन उस चर्चा का एंड गोल समाज को बेहतर करना होना चाहिए न कि खुद ये भूल जाना कि हमने चर्चा शुरू ही क्यों शुरू की थी।

Image Source: The Bengal Files Movie
कास्ट एंड क्रू
The Bengal Files Review in Hindi: बॉलीवुड पिछले कुछ समय से कई पॉलिटिकल फिल्में दर्शकों को परोस रहा है, जिन पर एक-तरफा होने के आरोप लगते रहे हैं। डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री का नाम भी उन डायरेक्टर्स में शुमार है, जिन पर ये आरोप लगते हैं लेकिन वो किसी बात की चिंता किए बिना आगे बढ़ रहे हैं... न ही वो डर रहे हैं और न ही उन्हें किसी बात का खौफ है। द ताशकंद फाइल्स, द कश्मीर फाइल्स के बाद अब वो अपनी 'फाइल्स ट्रायलॉजी' की तीसरी फिल्म द बंगाल फाइल्स लाए हैं, जो 40 के दशक के बंगाल की सूरत दिखाती है और बताती है कि बंगाल का सूरत-ए-हाल आजादी के 7 दशकों में बेहतर होने की जगह, बिगड़ा ही है...
भारत के बंटवारे के सीन से शुरू हुई द बंगाल फाइल्स दो अलग-अलग टाइमलाइन में आगे बढ़ती है। एक दौर भारत के बंटवारे का है और दूसरा वक्त आज का है, जब भारत को आजादी मिले 75 साल से ज्यादा हो चुके हैं। डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने इन दो अलग-अलग टाइमलाइन के माध्यम से ये समझाने की कोशिश की है कि धर्म के नाम पर जैसे 40 के दशक में बंगाल में खून खराबा हो रहा था, वो आजादी के इतने सालों के बाद भी थमा नहीं है। 'डायरेक्ट एक्शन डे' पर जैसे 40 हजार हिन्दुओं के मारा गया था, वैसे 'डायरेक्ट एक्शन डे' बंगाल में कई दफा हो चुके हैं। इस तरह के धार्मिक दंगे कल भी राजनीति से प्रेरित थे और आज के राजनेता भी वोट बैंक के लिए लोगों की आंखों पर धर्म की पट्टी चढ़ाकर खुद मौज में जिंदगी बिताते हैं। दंगों में मरते हैं "वी द पीपुल ऑफ इंडिया", जो हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध आदि में बंटे हुए हैं।
द बंगाल फाइल्स के सीन्स डरावने और खौफनाक हैं। विवेक अग्निहोत्री ने आजादी के वक्त के बंगाल में हो रहे दंगों को काफी रियल रखा है, जिन्हें देखकर आंखें कई दफा झटके से बंद होती हैं। इतिहास का ये पन्ना बंगालवासियों के जहन में आज भी ताजा है लेकिन बाकी देश को शायद ये याद तक नहीं है। विवेक अग्निहोत्री ने साफगोई से ये बताया है कि 'डायरेक्ट एक्शन डे' पर कैसे एक साजिश के तहत हिन्दुओं को मौत के घाट उतारा गया था। यहां तक उनके इरादों पर शक नहीं होता है कि वो देशवासियों को बंगाल का इतिहास बताना चाहते हैं लेकिन जब हम 'डायरेक्ट एक्शन डे' की वजहों पर जाते हैं तो विवेक के पास सिर्फ एक खास धर्म को दोष देने के अलावा कुछ ज्यादा नजर नहीं आता है।
यहां पर एक डायरेक्टर के तौर पर उनकी हार हो जाती है और उनके वो दावे भी खोखले नजर आते हैं, जिनमें वो कहते हैं कि द बंगाल फाइल्स बनाने के लिए उन्होंने खुद वहां रहकर रिसर्च की है। ये हम सब जानते हैं कि दंगों में भले ही दो धर्म और दो जातियों की भिड़ंत हो लेकिन जीत केवल राजनेताओं की होती है। विवेक अग्निहोत्री फिल्म द बंगाल फाइल्स में बार-बार गांधी-नेहरू के माथे दोष मढ़ते नजर आते हैं लेकिन उन मुसलमानों को किनारे कर देते हैं जिन्होंने भारत को चुना था।
द बंगाल फाइल्स का बोझ दर्शन कुमार के कंधों पर था, जो एक सीबीआई ऑफिसर बने हैं। दर्शन कुमार के नाजुक कंधे ये बोझ उठा नहीं पाए हैं। दर्शन कुमार ना तो कश्मीर से भगाए गए कश्मीरी पंडित शिवा पंडित का दर्द ठीक से जाहिर कर पाए हैं और न ही वो बंगाल के दर्द के साथ ठीक तरह से जुड़ पाते हैं। अनुपम खेर, पल्लवी जोशी, मिथुन चक्रवर्ती, सिमरत कौर, नमाशी चक्रवर्ती, सौरव दास, पुनीत इस्सर, मोहन कपूर, दिब्येन्दु भट्टाचार्या और राजेश खेरा हार्ड हिटिंग सीन्स को अच्छे से परफॉर्म करते नजर आते हैं। मिथुन चक्रवर्ती, सास्वता चटर्जी और पल्लवी जोशी मंझे हुए कलाकार हैं, जो अपनी परफॉर्मेंसेज से हर सीन को ऊपर ले जाते हैं लेकिन द बंगाल फाइल्स में नमाशी और सिमरत सरप्राइज पैकेज हैं।
अगर कम शब्दों में कहा जाए तो 2 घंटे 20 मिनट की द बंगाल फाइल्स आत्माहीन पॉलिटिकल ड्रामा है, जो न तो ठीक से हिस्ट्री बता पाती है और न ही पॉलिटिक्स की असली तस्वीर पेश कर पाती है। विवेक अग्निहोत्री की द कश्मीर फाइल्स हर शाम टीवी न्यूज चैनल पर चलने वाली उन पॉलिटिकस डिबेट्स की मिक्सचर है, जिनका न तो कोई आधार होता है और न ही कोई एंड गोल। विवेक अग्निहोत्री की द बंगाल फाइल्स नाक की सीध में लड़खड़ाते-लड़खड़ाते चलती हुई एक पॉलिटिकल ड्रामा है, जो सटीक सॉल्यूशन नहीं दे पाती है। हम अपनी ओर से इस फिल्म को 2.5 स्टार्स देते हैं।
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