लॉन्च हुआ पहला स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर Vikram-32 chip, जानिए क्यों है भारत के लिए गेमचेंजर?

केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह प्रोसेसर और चार अन्य स्वीकृत परियोजनाओं के टेस्ट चिप्स भेंट किए। (Image-X/AshwiniVaishnaw)
Vikram-32 chip: भारत ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए पहली बार स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम’ पेश किया है। इस चिप को इसरो की सेमीकंडक्टर लैब (SCL) ने विकसित किया है। इस चिप को खास तौर पर रॉकेट और सैटेलाइट्स के लिए बनाया गया है। यह सिर्फ एक चिप नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में वह उपलब्धि है, जो भारत को विदेशी प्रोसेसर पर निर्भरता से मुक्त कर सकती है। आखिर इस चिप का इस्तेमाल कैसे होगा, यह क्या कर सकती है, इसमें नया क्या है और क्यों यह भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। यहां हम इसकी पूरी जानकारी दे रहे हैं।
क्या है विक्रम 32-बिट प्रोसेसर ?
विक्रम 3201 एक सेमीकंडक्टर माइक्रोप्रोसेसर है। यह स्मार्टफोन या लैपटॉप में इस्तेमाल होने वाले प्रोसेसर की तरह नहीं है, बल्कि इसे खास तौर पर रॉकेट और सैटेलाइट के लिए डिजाइन किया गया है। पहली बार भारत ने इस स्तर और स्पेसिफिकेशन का प्रोसेसर खुद तैयार और निर्मित किया है। यह लॉन्च व्हीकल एवियोनिक्स के लिए बनाया गया है। यह प्रोसेसर विक्रम 1601 का अपग्रेडेड वर्जन है, जो 2009 से इसरो के लॉन्च व्हीकल्स को पावर दे रहा है।
विक्रम 32-बिट प्रोसेसर क्या करेगा?
इस चिप का मुख्य काम लॉन्च व्हीकल्स में नेविगेशन, कंट्रोल और मिशन मैनेजमेंट संभालना है। यह रॉकेट को स्टेबल और सही दिशा में रखने के लिए पल-पल में जटिल गणनाएं करता है। स्पेस का माहौल बेहद कठोर होता है, इसलिए इस चिप को मिलिट्री-ग्रेड मानकों पर तैयार किया गया है। यह भारी गर्मी, भारी सर्दी, कंपन और रेडिएशन जैसी परिस्थितियों में भी काम कर सकता है।
16-बिट से 32-बिट तक: अपग्रेड क्यों जरूरी था?
नया विक्रम 3201 प्रोसेसर पुराने विक्रम 1601 की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली है। इसमें 64-बिट फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशन्स की सुविधा है, जो सटीक ट्रैजेक्टरी और गाइडेंस कैलकुलेशन के लिए बेहद अहम है। यह Ada प्रोग्रामिंग भाषा को सपोर्ट करता है, जो एयरोस्पेस सिस्टम्स में व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है।
इसमें ऑन-चिप 1553B बस इंटरफेस भी है, जो रॉकेट के अन्य एवियोनिक्स मॉड्यूल्स से विश्वसनीय कनेक्टिविटी देता है। इसे 180-नैनोमीटर CMOS तकनीक से इसरो की चंडीगढ़ स्थित SCL लैब में निर्मित किया गया है।
क्या विक्रम 3201 को स्पेस में टेस्ट किया गया है?
हां, विक्रम 3201 को पहले ही अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक परखा जा चुका है। इसे PSLV-C60 मिशन में प्रयोग किया गया था, जहां इसने PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (POEM-4) पर मिशन मैनेजमेंट कंप्यूटर को पावर दी। सफल इन-ऑर्बिट टेस्टिंग के बाद इसरो अब इसे बड़े स्तर पर अपनाने की तैयारी कर रहा है। इस साल 5 मार्च 2025 को विक्रम 3201 और एक अन्य प्रोसेसर कल्पना 3201 के पहले बैच इसरो को सौंपे गए। कल्पना 32-बिट SPARC V8 RISC माइक्रोप्रोसेसर है, जिसे ओपन-सोर्स टूलचेन के साथ संगत बनाया गया है।
भारत के लिए क्यों अहम है विक्रम 3201?
स्पेस-ग्रेड प्रोसेसर बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होते। इन्हें खासतौर पर रेडिएशन, तापमान और लॉन्च की कंपन जैसी स्थितियों को झेलने के लिए डिजाइन किया जाता है। पहले भारत को कई मिशनों में विदेशी प्रोसेसर पर निर्भर रहना पड़ता था। विक्रम 3201 के आने से भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता मिली है। यह न सिर्फ आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि सप्लाई चेन में आने वाली बाधाओं से भी सुरक्षा देगा।
सॉफ्टवेयर और टूल्स भी स्वदेशी
इसरो ने विक्रम 3201 के साथ-साथ पूरा सॉफ्टवेयर इकोसिस्टम भी विकसित किया है। इसमें Ada कंपाइलर, असेंबलर, लिंकर्स, सिम्युलेटर और इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एनवायरनमेंट शामिल हैं। इसके अलावा, C कंपाइलर भी विकसित किया जा रहा है ताकि प्रोग्रामिंग की और लचीलापन मिल सके।
अतिरिक्त स्वदेशी उपकरण
विक्रम 3201 के साथ इसरो ने लॉन्च व्हीकल एवियोनिक्स को मिनिएचराइज्ड करने के लिए चार अन्य स्वदेशी उपकरण भी पेश किए हैं:
- दो प्रकार के Reconfigurable Data Acquisition Systems (RDAS)
- एक Relay Driver IC
- एक Multi-Channel Low Drop-out Regulator IC
- ये सभी मिलकर भारत की विदेशी इलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भरता को काफी हद तक कम करेंगे।
स्वदेशी 32-बिट चिप 'विक्रम'
केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह प्रोसेसर और चार अन्य स्वीकृत परियोजनाओं के टेस्ट चिप्स भेंट किए। न्यूज एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, इसरो की सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (एससीएल) द्वारा 'विक्रम' नामक पहला पूर्णतः स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर विकसित किया गया है। इसे स्पेस लॉन्च व्हीकल्स की कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो आयातित चिप्स पर निर्भरता कम करने के भारत के प्रयासों में एक मील का पत्थर है।
देश के लिए गर्व का क्षण: अश्विनी वैष्णव
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "पहले 'मेड इन इंडिया' चिप्स। यह किसी भी देश के लिए गर्व का क्षण है। आज भारत ने यह उपलब्धि हासिल कर ली है।" केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने 'सेमीकॉन इंडिया 2025' कार्यक्रम में भारत के सेमीकंडक्टर इंफ्रास्ट्रक्चर पर जानकारी देते हुए कहा वर्तमान में पांच सेमीकंडक्टर यूनिट का निर्माण तेजी से चल रहा है। हमने अभी-अभी प्रधानमंत्री मोदी को पहली 'मेड-इन-इंडिया' चिप भेंट की है।" सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा ने गति पकड़ी है।
सेमीकंडक्टर पर तेजी से हो रहा काम
सरकार पहले ही हाई-वॉल्यूम फैब्रिकेशन यूनिट्स (फैब्स), 3डी हेटेरोजेनस पैकेजिंग, कंपाउंड सेमीकंडक्टर और आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्टिंग (ओएसएटी) जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में 10 परियोजनाओं को मंजूरी दे चुकी है। इसके अलावा, डिजाइन-केंद्रित पहलों ने 280 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों और 72 स्टार्ट-अप्स को एडवांस्ड टूल्स से सहायता प्रदान की है, जबकि डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना के तहत 23 स्टार्ट-अप्स को मंजूरी दी गई है।
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