Pitru Paksha 2025 Dates: पितृ पक्ष कब है? प्रतिपदा से सर्वपितृ अमावस्या तक का पूरा श्राद्ध कैलेंडर

Pitru Paksha 2025 Dates
Pitru Paksha 2025 Dates: पितृ पक्ष का पर्व अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान करने का सबसे शुभ समय माना जाता है। यह पर्व कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है, जिसे प्रतिपदा श्राद्ध कहा जाता है। पितृ पक्ष का समापन कृष्ण अमावस्या पर होता है, जिसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
पितृ पक्ष की अवधि चंद्रमा की तिथियों के अनुसार 14, 15 या 16 दिनों की होती है, हालांकि पारंपरिक रूप से इसे 15 तिथियों (चंद्र दिवस) का माना जाता है। इस दौरान लोग श्राद्ध, पिंड दान, ब्राह्मण भोज, पंचबली अनुष्ठान आदि करते हैं, ताकि उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिल सके। यह समय पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी सबसे अनुकूल माना जाता है।
पितृ पक्ष कब शुरू होगा?
पितृ पक्ष 7 सितंबर 2025, रविवार को शुरू होगा।
पितृ पक्ष कब समाप्त होगा?
पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष 21 सितंबर 2025, रविवार को समाप्त होगा, जो कि अश्विन कृष्ण अमावस्या के दिन है, जिसे सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है।
प्रतिपदा श्राद्ध
चूंकि अश्विन कृष्ण प्रतिपदा 8 सितंबर को है, इसलिए प्रतिपदा श्राद्ध भी उसी दिन मनाया जाएगा। इस दिन तर्पण, पिंड दान, दान और श्राद्ध जैसे अनुष्ठान उन पूर्वजों के लिए किए जाते हैं, जिन्होंने प्रतिपदा तिथि को देह त्याग किया था।
प्रतिपदा श्राद्ध के लिए शुभ समय
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:31 AM – 05:17 AM
- अभिजीत मुहूर्त: 11:53 AM – 12:44 PM
पितृ पक्ष श्राद्ध कैलेंडर 2025
- पूर्णिमा श्राद्ध - रविवार, 7 सितंबर
- प्रतिपदा श्राद्ध - सोमवार, 8 सितंबर
- द्वितीया श्राद्ध - मंगलवार, 9 सितंबर
- तृतीया श्राद्ध - बुधवार, 10 सितंबर
- चतुर्थी श्राद्ध - बुधवार, 10 सितंबर
- पंचमी श्राद्ध - गुरुवार, 11 सितंबर
- षष्ठी श्राद्ध - शुक्रवार, 12 सितंबर
- सप्तमी श्राद्ध - शनिवार, 13 सितंबर
- अष्टमी श्राद्ध - रविवार, 14 सितंबर
- नवमी श्राद्ध - सोमवार, 15 सितंबर
- दशमी श्राद्ध - मंगलवार, 16 सितंबर
- एकादशी श्राद्ध - बुधवार, 17 सितंबर
- द्वादशी श्राद्ध - गुरुवार, 18 सितंबर
- त्रयोदशी श्राद्ध - शुक्रवार, 19 सितंबर
- चतुर्दशी श्राद्ध - शनिवार, 20 सितंबर
- सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध - रविवार, 21 सितंबर
पितृ पक्ष का यह पर्व श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके लिए अनुष्ठान करते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले। यह समय परिवार के साथ एकजुट होने और अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का भी है।
डिस्केलमर: यह लेख लोकप्रिय विश्वासों पर आधारित है। यहां दी गई जानकारी की सटीकता और पूर्णता के लिए टाइम्स नाउ जिम्मेदार नहीं है।
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