ईरान और इजरायल के बीच नाजुक सीजफायर को बनाए रखने में कितनी चुनौतियां, क्या है ट्रंप का अगला प्लान?

कब तक बरकरार रह पाएगा सीजफायर?
Iran Israel Ceasefire: ईरान और इजरायल के बीच आखिरकार सीजफायर हो गया है, लेकन इस नाजुक युद्धविराम को बनाए रखने में कई चुनौतिया हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मध्यस्थता में कराए गए सीजफायर के बाद 12 दिनों के संघर्ष का फिलहाल अंत हो गया है। युद्धविराम के बावजूद, तनाव उच्च स्तर पर बना हुआ है। उधर, ट्रंप प्रशासन ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में नई बातचीत के लिए दबाव बना रहा है, जिसका उद्देश्य 2018 में मूल समझौते से अमेरिकी के निकलने के बाद एक संशोधित परमाणु समझौते पर लौटना है। फिलहाल ईरान और इजरायल ने शांति की इच्छा जताई है, लेकिन हालात जटिल बने हुए हैं। इजरायली अधिकारियों ने किसी भी तरह की ईरानी कार्रवाई का बेहद सख्त जवाब देने की बात कही है, जबकि ईरान दावा कर रहा है कि उसने अमेरिका को करारा जवाब दिया है।
अब तक क्या-क्या हुआ
- ईरान और इजरायल के बीच एक नाजुक युद्धविराम हुआ, जिसे अमेरिका ने मध्यस्थता की।
- दोनों पक्षों द्वारा युद्धविराम उल्लंघन के दावों के साथ सैन्य तनाव बना हुआ है।
- ट्रंप के 2018 में JCPOA से निकासी के बाद अमेरिका और ईरान के बीच नवीनीकरण परमाणु वार्ता के लिए दबाव।
- क्षेत्र को स्थिर करने और आगे के संघर्ष को रोकने में युद्धविराम का महत्व।
क्यों हुआ ईरान पर हमला?
- ईरान की परमाणु क्षमताओं की आशंका, जिससे इजरायल और अमेरिका को क्षेत्रीय सुरक्षा के बारे में चिंता में डाला।
- ईरानी मिसाइल लॉन्च और खतरों के खिलाफ इजराइल ने आत्मरक्षा का दावा करते हुए ईरान पर हमला बोला।
- क्षेत्र को स्थिर करने और परमाणु प्रसार को रोकने में अमेरिका की रणनीतिक रुचि के कारण हमले को अंजाम दिया गया।
युद्धविराम के बावजूद ईरान-इजरायल में तनाव
फिलहाल युद्धविराम के बावजूद ईरान-इजरायल के बीच तनाव बना हुआ है। इजरायली रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज ने कहा कि ईरान की ओर से युद्धविराम का उल्लंघन हुआ तो करारा जवाब देंगे। ईरान भी दम भर रहा है कि उसने इजरायल और अमेरिका को करारा जवाब दिया है। खास तौर पर कतर में अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर मिसाइलें दागे जाने को लेकर वह अपनी पीठ थपथपा रहा है। हालांकि, मिसाइल हमले पूरी तरह बेअसर रहे और ईरान को युद्धविराम पर भी राजी होना पड़ा।
अमेरिका की अगली रणनीति
अमेरिकी प्रशासन ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में नए कूटनीतिक संवाद की उम्मीद जताई है। विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने बातचीत की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि अब हमारे लिए ईरानियों के साथ एक व्यापक शांति समझौते पर पहुंचने का समय है। अमेरिका ने 2018 में संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) से निकलने का फैसला किया था जिसने अमेरिका-ईरान संबंधों पर बड़ा असर डाला।
नाजुक युद्धविराम ने अमेरिका-ईरान संबंधों के भविष्य और एक नए परमाणु समझौते की संभावनाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। युद्धविराम के बाद ट्रंप ने संकेत दिया कि वह क्षेत्र में शांति चाहते हैं। इससे पहले उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को हल करने का दावा किया था। युद्धविराम को अमेरिका के लिए ईरान के साथ कूटनीतिक रूप से फिर से जुड़ने और आगे के संघर्ष को कम करने के लिए एक अहम मौके के रूप में देखा जा रहा है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का सुझाव है कि युद्धविराम एक सकारात्मक कदम है, दोनों पक्षों की सैन्य प्रतिक्रियाएं शांति प्रक्रिया को खतरे में डाल सकती हैं। फिलहाल स्थिति नाजुक बनी हुई है। ईरानी नेतृत्व पूरी तरह अव्यवस्थित बताया जा रहा है, जिससे वार्ता की संभावना जटिल हो सकती है। एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी रे टेकेह ने कहा कि ईरान की लीडरशिप और शासन किसी भी तरह की बातचीत करने के लिए पर्याप्त एकजुट नहीं है।
कूटनीति के भविष्य की संभावनाएं
युद्धविराम कितना प्रभावी रहता है, यह दोनों देशों के बीच संवाद में शामिल होने की इच्छा पर निर्भर करेगी। अमेरिका ने परमाणु मुद्दे पर चर्चा करने की अपनी इच्छा जताई है। अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि वे ईरानी प्रतिनिधियों के साथ मिलने के लिए तैयार हैं। ईरान-इजरायल युद्धविराम मध्य पूर्व की कूटनीति में एक अहम मोड़ है। दोनों देशों को एक स्थायी समाधान खोजने के लिए अपनी जटिल इतिहासों और मौजूदा तनावों को कम करना होगा। सवाल है कि क्या कूटनीतिक प्रयास उन चुनौतियों को पार कर सकते हैं जो सामने स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।
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