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क्या पीटर नवारो के बयान बन रहे भारत-यूएस संबंधों के बीच रोड़ा, किन बयानों ने भड़काई आग?

अमेरिका में पीटर नवारो की पहचान एक विवादित शख्स के रूप में है। 2016 में अपने पहले राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दिनों से ही ट्रंप के वफादार रहे नवारो लंबे समय से टैरिफ को नीतिगत औजार के रूप में बढ़ावा देते रहे हैं। वे अर्थशास्त्र और लोक नीति के प्रोफेसर हैं और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है।

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी व व्हाइट हाउस ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो पिछले कुछ समय से अपने भारत विरोधी रुख के लिए लगातार चर्चा में हैं। उनके बयान भारत-अमेरिका संबंधों को लगातार चोट पहुंचे रहे हैं। ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ ने पहले ही भारत के साथ तनाव को बढ़ा दिया और रिश्ते बिखरने की कगार पर हैं। लेकिन एक दिन पहले ही ट्रंप ने भारत को लेकर कुछ नरमी के संकेत दिए, लेकिन पीटर नवारो सुधरने को तैयार नहीं दिखते। नवारो ने रूसी तेल खरीदने के बहाने एक बार फिर भारत को निशाने पर लिया। इस बार एक्स और एलन मस्क भी उनके निशाने पर रहे। कौन हैं पीटर नवारो और किस तरह भारत-अमेरिकी संबंधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं जानते हैं।

पीटर नवारो के बयानों से कितना नुकसान?

कौन हैं पीटर नवारो?

अमेरिका में पीटर नवारो की पहचान एक विवादित शख्स के रूप में है। 2016 में अपने पहले राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दिनों से ही ट्रंप के वफादार रहे नवारो लंबे समय से टैरिफ को नीतिगत औजार के रूप में बढ़ावा देते रहे हैं। हाल के वर्षों में नवारो अमेरिकी आर्थिक नीतिनिर्माण में सबसे विवादास्पद और ध्रुवीकरण करने वाले चेहरों में से एक हैं। प्रोफेसर से आर्थिक राष्ट्रवादी बने नवारो अपेक्षाकृत गुमनामी से उठकर ट्रंप के व्यापार एजेंडे के केंद्र में आ गए। नवारो के पास हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी है, लेकिन आलोचकों ने उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों को संदिग्ध बताते हैं। उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, इरविन में अर्थशास्त्र और सार्वजनिक नीति पढ़ाई लेकिन शीर्ष आर्थिक जर्नलों में उनका प्रकाशन बहुत कम रहा। इसके बजाय वे लेखन और मीडिया में अधिक सक्रिय रहे।

भारत को लेकर क्या है नवारो का तर्क?

नवारो ने भारत की तेल खरीद को अमेरिका के साथ उसके व्यापार घाटे से जोड़ते हुए कहा है कि इसने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध मशीन को वित्तीय जीवनरेखा प्रदान की है। वह कहते हैं, भारत के साथ हमारा 50 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है और वे हमारे डॉलर का इस्तेमाल रूसी तेल खरीदने के लिए कर रहे हैं। पिछले कुछ दशकों में भारत-अमेरिका संबंधों के प्रगाढ़ होने के मद्देनजर, यह स्पष्ट नहीं है कि नवारो की भारत-केंद्रित बयानबाजी के पीछे क्या कारण है। भारत उनके रडार पर पहले भी रहा है। ट्रंप और नवारो, दोनों ही पहले भारत को टैरिफ का महाराजा कह चुके हैं।

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