Explained: वक्फ (संशोधन) अधिनियम में 'सुप्रीम कोर्ट' के फैसले के बाद क्या हुआ बदलाव, इन मुद्दों पर अभी भी विरोध?

वक्फ अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश (फोटो: टाइम्स नाउ नवभारत)
Waqf Amendment Act 2025: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कई महत्वपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगा दी जिनमें यह प्रावधान भी शामिल है कि केवल वह लोग ही किसी संपत्ति को वक्फ के रूप में दे सकते हैं जो पिछले पांच साल से इस्लाम (Islam) का पालन कर रहे हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पूरे कानून पर स्थगन से इनकार कर दिया। जानिए वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और उसकी अहम बातें...
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025, पुराने वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करके वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक आधुनिक, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने का प्रयास करता है, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है, जिससे कानूनी और राजनीतिक विवाद पैदा हो गए।
केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल को अधिनियम को अधिसूचित किया था। इससे पहले पांच अप्रैल को इस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुहर लगाई थी।
लोकसभा और राज्यसभा ने क्रमश: तीन और चार अप्रैल को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित किया था। अब इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, 'हमने कहा है कि हमेशा पूर्व धारणा कानून की संवैधानिकता के पक्ष में होती है और हस्तक्षेप केवल दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में किया जा सकता है।'
कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों की स्थिति पर निर्णय करने के लिए जिलाधिकारी को दी गई शक्तियों पर भी रोक लगा दी और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम भागीदारी के विवादास्पद मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया कि केंद्रीय वक्फ परिषद में 20 में से 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए और राज्य वक्फ बोर्डों में 11 में से 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए।
वक्फ क्या है? (What is Waqf)
वक्फ एक इस्लामी परंपरा है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी चल/अचल संपत्ति (जमीन, इमारत, दुकान आदि) समाज या धार्मिक कार्यों के लिए 'अल्लाह के नाम' समर्पित कर देता है। इस संपत्ति की देखरेख वक्फ बोर्ड करता है।
वक्फ संपत्ति क्या है? (What is Waqf Property)
वक्फ संपत्ति वह संपत्ति होती है जिसे कोई व्यक्ति (आम तौर पर मुसलमान) अपनी चल या अचल संपत्ति (जैसे ज़मीन, मकान, दुकान, खेत, पैसा आदि) समाज, धर्म, शिक्षा, गरीबों की मदद या धार्मिक स्थानों के रख-रखाव के लिए 'अल्लाह के नाम' हमेशा के लिए समर्पित (Dedicate) कर देता है।
Waqf की करीब 1.2 लाख करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने 2022 में लोकसभा में जानकारी दी थी जिसके अनुसार वक्फ बोर्ड के पास 8,65,644 एकड़ अचल संपत्तियां हैं। वक्फ की इन जमीनों की अनुमानित कीमत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपए है। यह संपत्ति इतनी ज्यादा है कि सेना और रेलवे के बाद वक्फ के पास सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी है।
क्या हैं खास बातें-
- एक बार संपत्ति वक्फ़ कर दी गई तो उसे वापस मालिक या उसके वारिस नहीं ले सकते।
- गैर-हस्तांतरणीय (Non-transferable)
- वक्फ संपत्ति न बेची जा सकती है, न गिरवी रखी जा सकती है, न दान दी जा सकती है।
- वक्फ संपत्तियों की देखभाल और उपयोग का प्रबंधन वक्फ बोर्ड करता है (राज्य या केंद्रीय स्तर पर)।
क्या हैं मुस्लिम संगठनों की आपत्तियां, तर्क और चिंताएं
कुछ मुस्लिम संगठनों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों का विरोध किया है, जिसे लेकर लिए कुछ चिंताएं जाहिर की गई हैं। उनमें से अहम बिंदु हैं यह-
धार्मिक स्वायत्तता का उल्लंघन
संगठन कहते हैं कि वक्फ़ संपत्ति और वक्फ बोर्ड का प्रबंधन एक धार्मिक न्याय-क्षेत्र है, जिस पर समुदाय की अपनी पारंपरिक भूमिका होनी चाहिए। नए संशोधन से सरकार का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा।
संवैधानिक अधिकारों का हनन
संगठन दावा करते हैं कि अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है जो धर्म की आज़ादी और धार्मिक/चैरिटेबल संस्थाएं स्थापित करने व उन्हें प्रबंधित करने का अधिकार देते हैं।
सूचना और परामर्श की कमी
कुछ संगठनों ने ये भी कहा है कि संसद की प्रक्रिया में मुसलमानों और वक्फ प्रबंधन निकायों की चिंताओं को पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। जागरूकता और सुझावों को शामिल करने की बजाय अधिनियम पारित किया गया।
वक्फ के मामलों में विधि-विधान और न्यायपालिका को कम करके कार्यपालिका तथा अधिकारी-नियुक्तियों को बड़ी शक्तियाँ देना, धार्मिक संस्थाओं की आजादी को प्रभावित करेगा।
'पांच साल इस्लाम पालन' की शर्त
अधिनियम में वक्फ़ की घोषणा करने वाले व्यक्ति के लिए कम से कम पांच साल तक इस्लाम धर्म का पालन करने की शर्त शामिल है। इस शर्त को भी धार्मिक स्वतंत्रता और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ माना जा रहा है।
राजस्व अधिकारियों / कलेक्टर को शक्तियों का हस्तांतरण
अधिनियम प्रावधानों में विवादित वक्फ संपत्तियों की मालिकाना हक, सर्वेक्षण आदि मामलों में कलेक्टर या राज्य-राजस्व अधिकारियों को अधिकार दिए जाने की बात है। इससे वक्फ बोर्ड की भूमिका कमजोर होगी और राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव की संभावना बढ़ेगी।
अन्य धार्मिक संस्थानों से भेदभाव
मुस्लिम संगठनों का तर्क है कि ये संशोधन विशिष्ट रूप से मुसलमानों के वक्फों के अधिकारों को लाक्षित कर रहे हैं, जबकि अन्य धार्मिक/चैरिटेबल संस्थाओं को ऐसी शक्तियां नहीं दी जा रही हैं। यह 'धार्मिक भेदभाव' के दायरे में आता है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में क्या है (SC on Waqf Amendment Act 2025)
विशेष रूप से उस प्रावधान पर रोक लगी जिसमें कहा गया था कि कोई व्यक्ति तभी वक्फ घोषित कर सकता है यदि उसने कम से कम पांच वर्ष तक इस्लाम धर्म का पालन किया हो। कोर्ट ने कहा यह शर्त धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) का उल्लंघन करती प्रतीत होती है।
कलेक्टर/कार्यपालिका की शक्ति पर रोक उस प्रावधान पर भी रोक लगी जिसमें कलेक्टर या कार्यपालिका अधिकारी को यह तय करने का अधिकार दिया गया था कि कोई संपत्ति वक्फ है या सरकारी। कोर्ट ने कहा कि यह अधिकार न्यायिक/अर्ध-न्यायिक निकाय के पास होना चाहिए, कार्यपालिका को ऐसा निर्णय देने की शक्ति नहीं हो सकती।यह संविधान के (शक्तियों के पृथक्करण) सिद्धांत के खिलाफ है।बाकी प्रावधान लागू रहेंगे।
केवल विवादित प्रावधानों को रोका गया
वक्फ़ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिलाओं की सदस्यता का प्रावधान वैध माना गया और उस पर रोक नहीं लगी। सर्वे, रिकॉर्ड-अपडेट, वक्फ़ परिषद की भूमिका जैसे प्रशासनिक सुधार अभी भी लागू रहेंगे। केवल विवादित प्रावधानों को रोका गया है, लेकिन अधिनियम का शेष भाग प्रभावी है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। एक्सप्लेनर्स (Explainer News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
रवि वैश्य 'Times Now नवभारत' डिजिटल के 'न्यूज डेस्क' में Assistant Editor के रूप कार्यरत हैं, 'खबरों के संसार' में काम करते हुए करीब 20 साल से ज्यादा ...और देखें

EXPLAINER: भारत अगले राउंड में पहुंचा, जानिए क्या होगा अगर पाकिस्तान ने यूएई से होने वाले मैच का बहिष्कार किया

खतरे में नैनीताल, माल रोड पर उभरी दरार हुई चौड़ी; जानें कब-कब हुए बड़े लैंडस्लाइड

Explainer: जेनरेशन-Z के विद्रोह से नेपाल में आए क्या-क्या बदलाव, किस ओर जा रहा देश?

क्या है रिंग ऑफ फायर, जहां आते रहता है जलजला, कभी लावा से मचती है तबाही तो कभी हिल जाती है धरती

11,000 KM प्रति घंटे की रफ्तार, 1000 KM की मारक क्षमता; रूस ने अपने पिटारे से निकाली सबसे खतरनाक जिरकोन मिसाइल
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited