एक्सप्लेनर्स

क्या है रिंग ऑफ फायर, जहां आते रहता है जलजला, कभी लावा से मचती है तबाही तो कभी हिल जाती है धरती

रिंग ऑफ फायर पृथ्वी का वह क्षेत्र है जो प्रशांत महासागर के चारों ओर फैला हुआ है और यह दुनिया का सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र माना जाता है। यहां कई टेक्टोनिक प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती या एक-दूसरे के नीचे धंसती हैं, जिससे जमीन के भीतर बहुत ज़्यादा तनाव पैदा होता है। इसी वजह से रिंग ऑफ फायर में दुनिया के 90% से अधिक भूकंप आते हैं।
ring of fire

क्या है रिंग ऑफ फायर, जहां आते हैं सबसे ज्यादा भूकंप (फोटो- usgs.gov)

रिंग ऑफ फायर हमारी धरती पर मौजूद एक ऐसा विशाल भूगर्भीय क्षेत्र है, जहां सबसे ज्यादा भूकंप आते हैं। इस क्षेत्र में आने वाले देशों में लगातार जलजला आते रहता है। दुनिया का सबसे खतरनाक भूकंप इसी क्षेत्र में आता है। रिंग ऑफ फायर पृथ्वी के प्रशांत महासागर के किनारों के चारों ओर एक घुमावदार आकार में फैला हुआ है। इसे "आग की अंगूठी" कहा जाता है क्योंकि यह जगह लगातार ज्वालामुखी विस्फोटों और भूकंपों के लिए जानी जाती है। यहां की सतह पर असंख्य भूकंपीय हलचलें होती रहती हैं, जिससे यह दुनिया के सबसे सक्रिय और खतरनाक इलाकों में शुमार होता है।

क्या है रिंग ऑफ फायर

इस क्षेत्र में धरती की टेक्टोनिक प्लेटें लगातार हिलती-डुलती रहती हैं, जिससे यहां जमीन में भूकंप आते हैं और कई जगहों पर ज्वालामुखी फटते हैं। यह क्षेत्र लगभग 40,000 किलोमीटर लंबा है और इसमें जापान, इंडोनेशिया, अमेरिका के पश्चिमी तट, चिली, पेरू, न्यूजीलैंड जैसे कई देश शामिल हैं। रिंग ऑफ फायर में पृथ्वी के लगभग 75% सक्रिय ज्वालामुखी और 90% भूकंप आते हैं, इसलिए इसे दुनिया का सबसे खतरनाक और सक्रिय भूगर्भीय क्षेत्र माना जाता है। रिंग ऑफ फायर का कारण है पृथ्वी की सतह पर टेक्टोनिक प्लेटों का आपस में टकराना, फिसलना और नीचे दबना। इन प्लेटों की हलचल से ऊर्जा निकलती है, जो भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट का कारण बनती है।

रिंग ऑफ फायर में कितने देश

रिंग ऑफ फायर में दुनिया के 15 से ज्यादा देश आते हैं। इन देशों में भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियां सामान्य हैं, और ये प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील हैं। रिंग ऑफ फायर के कारण इन क्षेत्रों में भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और सुनामी जैसी घटनाएं होती रहती हैं।

जापान – यहां कई सक्रिय ज्वालामुखी और भूकंप आते रहते हैं।

  1. जापान
  2. इंडोनेशिया
  3. फिलीपींस
  4. न्यूजीलैंड
  5. चिली
  6. पेरू
  7. कोलंबिया
  8. अमेरिका (अलास्का)
  9. कनाडा (ब्रिटिश कोलंबिया)
  10. मेक्सिको
  11. ग्वाटेमाला
  12. एल सल्वाडोर
  13. होंडुरास
  14. निकारागुआ
  15. कोस्टा रिका
  16. पनामा
  17. रूस (कुशल द्वीप)

क्यों पड़ा रिंग ऑफ फायर का नाम

"रिंग ऑफ फायर" (Ring of Fire) का नाम इसके भूगर्भीय और भौगोलिक गुणों से प्रेरित है। यह नाम विशेष रूप से प्रशांत महासागर के चारों ओर स्थित एक सक्रिय भूकंपीय और ज्वालामुखीय क्षेत्र का वर्णन करता है, जो अपने आकार और गतिविधियों के कारण "आग की अंगूठी" के रूप में जाना जाता है। प्राचीन काल में, जब वैज्ञानिकों के पास पृथ्वी के आंतरिक संरचना के बारे में सीमित जानकारी थी, तो ज्वालामुखियों को पृथ्वी के भीतर जलती हुई आग से जोड़ा जाता था। यही कारण है कि "रिंग ऑफ फायर" जैसे नामों का प्रचलन हुआ, जो इन क्षेत्रों की सक्रियता और विनाशकारी क्षमता को दर्शाते थे। हालांकि, आधुनिक भूविज्ञान में यह समझा गया है कि ज्वालामुखीय गतिविधियाँ पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की गतियों के कारण होती हैं, न कि आंतरिक आग के कारण। फिर भी, "रिंग ऑफ फायर" का नाम आज भी प्रचलित है, क्योंकि यह क्षेत्र की भूकंपीय और ज्वालामुखीय सक्रियता को प्रभावी रूप से व्यक्त करता है।

रिंग ऑफ फायर में कितनी ज्वालामुखियां

रिंग ऑफ फायर में लगभग 450 ज्वालामुखी हैं, जो विश्व के कुल सक्रिय ज्वालामुखियों का लगभग 75% हिस्सा हैं। यह क्षेत्र पृथ्वी की सबसे सक्रिय ज्वालामुखीय और भूकंपीय क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। रिंग ऑफ फायर में मौजूद ज्वालामुखियों में ज़्यादातर stratovolcanoes होते हैं, जो विस्फोटक तरीके से फटते हैं।

रिंग ऑफ फायर में प्रमुख ज्वालामुखी

  • माउंट फूजी (जापान)- यह जापान का सबसे ऊंचा और सबसे प्रसिद्ध ज्वालामुखी है, जो अपनी सुंदर शंकु जैसी आकृति के लिए जाना जाता है।
  • माउंट सेंट हेलेन्स (संयुक्त राज्य अमेरिका)- 1980 में इसके फटने के कारण भारी विनाश हुआ था, जिससे भूवैज्ञानिकों को ज्वालामुखी गतिविधि को समझने में मदद मिली।
  • क्राकाटोआ (इंडोनेशिया)- 1883 में इसके विनाशकारी विस्फोट के कारण समुद्र में सुनामी आई थी, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही हुई थी।
  • माउंट मेरापी (इंडोनेशिया)- यह इंडोनेशिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है और अपने लगातार लावा प्रवाह और राख उत्सर्जन के लिए जाना जाता है।
  • माउंट पिनाटुबो (फिलीपींस)- 1991 में इसके फटने से इतिहास के सबसे बड़े विस्फोटों में से एक हुआ था, जिससे वैश्विक तापमान पर भी असर पड़ा था।

रिंग ऑफ फायर में हर साल कितने भूकंप के झटके

प्रशांत महासागर के चारों ओर स्थित रिंग ऑफ फायर (Ring of Fire) में हर साल औसतन लगभग 1,500 भूकंप आते हैं। यह आंकड़ा वैश्विक भूकंपों का लगभग 90% हिस्सा है, जो इस क्षेत्र की अत्यधिक भूकंपीय गतिविधि को दर्शाता है। हालांकि, भूकंपों की आवृत्ति वर्ष दर वर्ष बदल सकती है। उदाहरण के लिए, 2024 में इस क्षेत्र में 4.0 या उससे बड़े 15,000 से अधिक भूकंप दर्ज किए गए थे, जो पिछले वर्षों की तुलना में एक महत्वपूर्ण वृद्धि थी। इस वृद्धि का कारण क्षेत्रीय टेक्टोनिक गतिविधियों में बदलाव और प्लेटों के आपसी टकराव को माना जा रहा है। रिंग ऑफ फायर में भूकंपों की आवृत्ति और तीव्रता विभिन्न देशों और क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए, जापान के टोकारा द्वीप समूह में हाल ही में दो सप्ताह में 900 से अधिक भूकंप दर्ज किए गए, जिनमें से कुछ की तीव्रता 5.5 तक थी।

भारत और रिंग ऑफ फायर

भारत रिंग ऑफ फायर के सीधे इलाके में नहीं आता, लेकिन हमारे देश के कुछ उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और हिमालयी इलाके भी भूकंप सक्रिय क्षेत्र हैं, जहां समय-समय पर ज़मीन हिलती रहती है। रिंग ऑफ फायर के प्रभाव वाले देशों के मुकाबले भारत में ज्वालामुखी कम सक्रिय हैं, लेकिन भूकंपीय जोखिम यहां भी मौजूद है। भारत भारतीय प्लेट पर स्थित है, जो एशियाई प्लेट से अलग एक स्वतंत्र टेक्टोनिक प्लेट है। यह प्लेट उत्तर की ओर गति कर रही है और यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है, जिसके कारण हिमालय का निर्माण हुआ है। भारत के पूर्वोत्तर की तरफ इंडोनेशिया, फिलिपींस, और जापान जैसे देश रिंग ऑफ फायर में आते हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। एक्सप्लेनर्स (Explainer News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

शिशुपाल कुमार author

शिशुपाल कुमार टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल के न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं और उन्हें पत्रकारिता में 13 वर्षों का अनुभव है। पटना से ताल्लुक रखने वाले शिशुपा...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited