Gyan Bharatam Portal: क्या है 'ज्ञान भारतम' पोर्टल? पांडुलिपियों के संरक्षण में इसे क्यों माना जा रहा अहम

'ज्ञान भारतम' पोर्टल भारत सरकार की खास पहल (फोटो: टाइम्स नाउ नवभारत)
What is Gyan Bharatam Portal: 'ज्ञान भारतम' पोर्टल (Gyan Bharatam) भारत सरकार की खास पहल है जिसका उद्देश्य देश की पांडुलिपि (Manuscripts) विरासत को संरक्षित करना और डिजिटल रूप से आम जनता व शोधकर्ताओं के लिए सुलभ बनाना है। इसका मकसद भारत की पुरानी विद्या, संस्कृति, साहित्य, धर्म, विज्ञान आदि से सम्बंधित ज्ञान को संरक्षित करके भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाना है। इस काम में डिजिटलीकरण, AI आदि के इस्तेमाल से इस काम की राह आसान होगी।
यह पहल भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। 'ज्ञान भारतम' पोर्टल को पांडुलिपियों के संरक्षण में अहम इसलिए माना जा रहा है क्योंकि यह सिर्फ संग्रह का काम नहीं करता, बल्कि संरक्षण के साथ डिजिटलीकरण (Manuscripts Digitization) और सार्वजनिक पहुंच यानी तीनों को एकसाथ जोड़ता है। ज्ञान भारतम मिशन का लक्ष्य है कि एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों को इस प्रक्रिया के अंतर्गत लाया जाए।
इसे लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने ज्ञान भारतम पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हजारों पीढ़ियों का चिंतन मनन, भारत के महान आचार्यों और विद्वानों का बोध और शोध, हमारी ज्ञान परंपराएं, हमारी वैज्ञानिक धरोहरें, ज्ञान भारतम मिशन के जरिए हम उन्हें डिजिटाइज्ड करने जा रहे हैं। इससे जुड़ा पोर्टल भी लॉन्च किया गया है। ये एक सरकारी या एकेडेमिक इवेंट नहीं है। ज्ञान भारतम् मिशन, भारत की संस्कृति, साहित्य और चेतना का उद्घोष बनने जा रहा है।
'इतिहास के क्रूर थपेड़ों में लाखों पांडुलिपियां जल गईं, लुप्त हो गईं...'
पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा अत्यंत समृद्ध है इसकी नींव चार प्रमुख स्तंभ संरक्षण, नवाचार, संवर्धन और अनुकूलन पर टिकी है। आज भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा पांडुलिपि संग्रह है। करीब 1 करोड़ पांडुलिपियां हमारे पास हैं। इतिहास के क्रूर थपेड़ों में लाखों पांडुलिपियां जल गईं, लुप्त हो गईं, लेकिन जो बची हैं, वे इसका साक्षी हैं कि ज्ञान और विज्ञान पठन-पाठन के लिए हमारे पूर्वजों की निष्ठा कितनी गहरी और व्यापक थी।
क्या है ज्ञान भारतम? (What is Gyan Bharatam)
यह संस्कृति मंत्रालय की योजना है, जिसे केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित किया गया था। इसके अंतर्गत भारत भर में मौजूद पांडुलिपियों का सर्वेक्षण, दस्तावेजीकरण, संरक्षण और डिजिटलीकरण किया जाएगा। इसके लिए एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म यानी 'ज्ञान भारतम पोर्टल' बनाया जा रहा है, जिससे इस पांडुलिपि विरासत तक सार्वजनिक पहुंच में तेजी आएगी।
एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों का सर्वेक्षण और डिजिटलीकरण किया जाएगा। ये पांडुलिपियां आयुर्वेद, खगोल विज्ञान, योग, दर्शन, संगीत, गणित जैसे विषयों से जुड़ी हैं।ये पांडुलिपियाँ विश्वविद्यालयों, संग्रहालयों, पुस्तकालयों और निजी संग्रहों में फैली हुई हैं।
क्या है इसके उद्देश्य (What is its Purpose)
- भारत की ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करना।
- दुर्लभ और मूल्यवान पांडुलिपियों को डिजिटल रूप में संरक्षित करना।
- संरक्षण यानी कि पुराने और दुर्लभ पाण्डुलिपियों को प्राकृतिक या अन्य खराबी से बचाना।
- दस्तावेजीकरण यानी उनकी पहचान करना, लिपि, भाषा, सामग्री आदि का रिकॉर्ड तैयार करना।
- पांडुलिपियों को स्कैन कर डिजिटल प्रारूप में सुरक्षित करना ताकि इंटरनेट के माध्यम से भी देखा जा सके।
- शोधकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को इनका ऑनलाइन एक्सेस देना।
- भारत को फिर से वैश्विक ज्ञान परंपरा का मार्गदर्शक बनाना।
- अत्याधुनिक डिजिटलीकरण तकनीक, मेटाडेटा मानक, और AI आधारित संरचना का उपयोग किया जा रहा है।
- विशेष कार्य समूह बनाए गए हैं जो संरक्षण, कानूनी ढांचे, सांस्कृतिक कूटनीति और लिपि विश्लेषण जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
जान लें कि क्या है इसका महत्व (What is its Importance)
भारत की पुरानी विद्या, संस्कृति, साहित्य, धर्म, विज्ञान आदि से सम्बंधित ज्ञान को संरक्षित करके भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाना।
तकनीक और पारंपरिक ज्ञान का संयोग: डिजिटलीकरण, AI आदि के इस्तेमाल से राह आसान होगी। भारत को 'ज्ञान धरोहर' के मामले में वैश्विक मंच पर मजबूती प्रदान करना।
आखिर क्यों पड़ी इसकी आवश्कता
भारत में अनुमानत एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियां फैली हुई हैं। ये संस्कृत, पालि, प्राकृत, तमिल, अरबी, फ़ारसी जैसी कई भाषाओं और ताड़पत्र, भोजपत्र, कपड़ा, चमड़ा, धातु जैसी विभिन्न सामग्रियों पर लिखी गई हैं। इनका बिखराव मंदिरों, मठों, निजी संग्रहों और पुस्तकालयों में है। कीड़े, नमी, तापमान के साथ मानवीय उपेक्षा और संसाधनों की कमी से इनके नष्ट होने का खतरा बना हुआ है।अगर समय रहते इन्हें सुरक्षित नहीं किया गया तो बहुमूल्य ज्ञान हमेशा के लिए खो सकता है। इसलिए यह पहल की गई है।
इसके फायदे क्या होंगे (What Will its Benefits)
- डिजिटलीकरण और आसान पहुंच
- पोर्टल के माध्यम से इन्हें स्कैन करके ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा।
- इसका फायदा होगा कि मूल पांडुलिपि बिना छुए-छेड़े सुरक्षित रहेगी और लोग उसकी डिजिटल कॉपी देख सकेंगे।
- प्रमाणीकरण व दस्तावेज़ीकरण
- पोर्टल हर पांडुलिपि का केंद्रीकृत रिकॉर्ड तैयार करेगा
- इससे भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा का व्यवस्थित डाटाबेस बनेगा।
पांडुलिपियों में सिर्फ धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि गणित, खगोल, आयुर्वेद, कला, कृषि, वास्तु, राज्यनीति, दर्शन आदि के अमूल्य ग्रंथ भी हैं।इनका संरक्षित और डिजिटलीकृत होना भारत को 'ज्ञान गुरु' के रूप में पुनः स्थापित करने में मदद करेगा। इसलिए 'ज्ञान भारतम पोर्टल' को पांडुलिपियों के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक और अहम कदम माना जा रहा है।
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