म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश के बाद अब नेपाल, बीते 4 साल में तख्तापलट-बगावत की भेंट चढ़ गईं ये सरकारें

नेपाल में 9 सितंबर को ओली सरकार का हुआ तख्तापलट। तस्वीर-AP
Regime change in South Asia : दक्षिण एशिया खासकर भारत के पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता बार-बार दस्तक दे रही है। कभी चुनी हुईं सरकारों को बदल दिया जाता है, तो कभी उनका तख्तापलट हो जाता है। व्यवस्था पत्ते की तरह बिखर जाती है। हाल के वर्षों में म्यांमार, अफगानिस्तान, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश में तख्तापलट का 'खेल' देखा जा चुका है। अब इसका ताजा शिकार नेपाल बना है। जहां कथित रूप से जेनजी ने रेजीम चेंज कर दिया है। कहा जाता है कि इन देशों में लोकतंत्र की जड़ें भारत की तरह मजबूत और गहरी नहीं हैं। चुनौतियों एवं अव्यवस्थाओं का ये देश सामना नहीं कर पाते। बीते तीन चार सालों में भारत के पड़ोसी और कुछ नजदीकी पड़ोसी देशों में हुए तख्तापलट और सरकार में बदलाव यानी रिजीम चेंज के बारे में यह यहां चर्चा करेंगे।
नेपालनेपाल की सरकार ने बीते दिनों फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब सहित 26 मीडिया प्लेटफॉर्मों पर बैन लगा दिया। खास बात यह है कि ओली सरकार ने यह बैन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करते हुए लगाया लेकिन बैन का यह फैसला किशोर एवं युवा पीढ़ी को पसंद नहीं आया। वह इसके खिलाफ सोमवार को सड़कों पर उतर आई और हिंसक प्रदर्शन किया। इस विरोध-प्रदर्शन में कम से कम 19 लोगों की मौत हुई। मृतकों की यह संख्या गुरुवार को बढ़कर 35 तक पहुंच गई। हिंसा एवं उपद्रव को देखते हुए ओली सरकार ने सोशल मीडिया से बैन तो हटा लिया लेकिन बैन हट जाने के बाद हिंसक विरोध-प्रदर्शन बंद नहीं हुआ। अगले दिन यानी मंगलवार को यह और भी तेज हो गया।
कहा गया मंगलवार का हिंसक प्रदर्शन और उपद्रव भ्रष्टाचार के खिलाफ था। प्रदर्शनकारी राजधानी काठमांडू सहित कई शहरों पर उपद्रव और उत्पात मचाने लगे। चुन-चुनकर पूर्व प्रधानमंत्रियों, कैबिनेट मंत्रियों, नेताओं पर हमले हुए और उन्हें सड़क पर दौड़ाकर मारा-पीटा गया। यहां तक कि पूर्व पीएम झालनाथ खनाल की पत्नी को आग के हवाले कर दिया गया। भीड़ ने संसद और सरकारी इमारतों को फूंक दिया। यह सब देश पीएम केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। नेपाल अभी सेना के हवाले है। यहां बांग्लादेश की तरह अंतिरम सरकार का गठन हो सकता है।
बांग्लादेशकरीब एक साल पहले बांग्लादेश में भी हिंसा, उत्पात, आगजनी का नेपाल जैसा ही नजारा देखने को मिला था। आरक्षण, भ्रष्टाचार, आर्थिक बदहाली और विरोधियों को दबाए जाने के खिलाफ बांग्लादेश के छात्रों ने हसीना सरकार के खिलाफ बगावत कर दी। सरकार विरोधी इस मुहिम में बाद में कट्टरपंथी तत्व भी शामिल हो गए। पांच अगस्त 2024 को प्रदर्शनकारियों ने हसीना के सरकारी आवास पर धावा बोल कर वहां जमकर उत्पात मचाया।
बंग बंधु की प्रतिमा तोड़ दी। अपनी जान बचाने के लिए शेख हसीना को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा और भारत में राजनीतिक शरण लेनी पड़ी। आठ अगस्त को मोहम्मद युनूस की अगुवाई में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। यहां भी एक चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया गया।
म्यांमारभारत के इस पड़ोसी देश में 2021 में सेना ने तख्तालपट कर दिया। यहां तख्तापलट भ्रष्टाचार के खिलाफ हुआ। लोकतंत्र समर्थकों पर कार्रवाई हुई। म्यांमार की सेना जिसे जुंटा कहा जाता है, उस पर लोकतंत्र समर्थकों पर ज्यादती करने के आरोप लगे। तब से यहां सेना का शासन है। म्यांमार कभी लोकतांत्रिक रूप से उभरता हुआ देश था लेकिन अब यह आपसी टकराव और संघर्ष से घिर चुका है।
यह देश अब ड्रग, मनी लॉन्ड्रिंग और ऑनलाइन स्कैम का एक बहुत बड़ा अड्डा बन चुका है। यहां संघर्ष शुरू होने के बाद करीब तीस लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र ने यहां मलेरिया, एचआईवी और टीवी के बढ़ते मामलों पर चेतावनी जारी की है।
श्रीलंकाजुलाई 2022 में श्रीलंका में जनता सरकार के खिलाफ हो गई। महंगाई, भ्रष्टाचार और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था से हताश और निराश लोग राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के खिलाफ सड़कों पर आ गए। लोग राष्ट्रपति भवन में घुस गए और वहां तोड़फोड़ मचाया। गोटाबाया को यहां से जान बचाकर भागना पड़ा। कुछ समय बाद आई नई सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई अहम कदम उठाए। खासकर भारत सरकार ने खाने-पीने की चीजों से लेकर जरूरत की चीजें वहां भेजीं। आज श्रीलंका आर्थिक रूप से स्थिर है और आगे बढ़ रहा है।
पाकिस्तानपाकिस्तान में अप्रैल 2022 में 'नो कॉन्फिडेंस मोशन' यानी अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान खान को सत्ता से बाहर किया गया। यहां सेना के दबाव में इमरान सरकार को समर्थन देने वाली पार्टियों ने अपना समर्थन वापस ले लिया। अविश्वास प्रस्ताव पेश होने पर इमरान खान अपनी सरकार बचा नहीं पाए और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। बाद में अगस्त 2023 में भ्रष्टाचार के मामलों में उनकी गिरफ्तारी हुई। इस पर पीटीआई के समर्थक सड़कों पर आ गए और सेना के कमांडरों के आवास और सेना कार्यालय पर हमले किए।
पाकिस्तान में कई दिनों तक उत्पात चलता रहा। पाकिस्तान में बीच-बीच में पीटीआई विरोध-प्रदर्शन करती और अपने नेताओं एवं समर्थकों की आवाज दबाने का आरोप सेना पर लगाती आई है।
अफगानिस्तान
साल 2021 में भारत के इस निकट पड़ोसी देश में तालिबान सत्ता में आ गया। मई में अमेरिका सेना के अचानक अफगानिस्तान छोड़ने के बाद यहां के प्रांत एक-एक कर तालिबान के कब्जे में आते गए। 15 अगस्त को राजधानी काबुल पर तालिबान का कब्जा हो गया और राष्ट्रपति अशरफ घानी को देश छोड़कर भागना पड़ा। तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में स्थितियां लगातार बदहाल हुई हैं। पाकिस्तान के साथ सीमा पर संघर्ष से नई तरह की चुनौतियां खड़ी हुई हैं।
यह देश मोटे तौर पर विदेशी सहायता पर निर्भर है। शिक्षा, स्वास्थ्य सहित विकास के सभी मापदंडों पर यह देश पिछड़ा हुआ है। तालिबानी शासन के नियम और कानून काफी हद तक मध्ययुग वाले हैं। महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं दिया जाता और उन पर कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं।
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आलोक कुमार राव न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं। यूपी के कुशीनगर से आने वाले आलोक का पत्रकारिता में करीब 19 साल का अनुभव है। समाचार पत्र, न्यूज एजेंसी, टेल...और देखें

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