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कौन हैं नेपाल के सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल? Gen Z प्रदर्शन के बीच चर्चा में आए, संभाल सकते हैं देश की कमान

सिगडेल का जन्म 1 फरवरी 1967 को लुम्बनी प्रांत के रूपनदेही जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। सिगडेल पांच भाई-बहन हैं। इनके पिता बिश्वराज सिगडेल मध्य नेपाल के तनाहुन से तौलिहवा और फिर भैरहवा आ गए। जबकि अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए सिगडेल अपने चाचा के साथ काठमांडू पहुंचे। सेना में शामिल होने से पहले वह राष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज और एक कुशल ताइक्वांडो खिलाड़ी थे।
Ashok Raj Sigdel

नेपाल में नौ सितंबर को हुआ ओली सरकार का तख्तापलट। तस्वीर-PTI

Who is Ashok Raj Sigdel : हिंसा, उपद्रव और आगजनी के बाद नेपाल शांत है। ओली सरकार के खिलाफ मंगलवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों एवं आगजनी में देश को भारी नुकसान हुआ है। संसद, सुप्रीम कोर्ट, सरकारी इमारतें और प्रतिष्ठान आग और तोड़-फोड़ की भेंट चढ़ गए। आक्रोशित भीड़ ने ओली सरकार के मंत्रियों को चुन-चुनकर निशाना बनाया। उनके साथ मारपीट की और घर जला दिए। हिंसा और उपद्रव का तांडव इस कदर था कि नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री झालनाथ खनाल की पत्नी राज्यलक्ष्मी चित्रकार को भी भीड़ ने नहीं बख्शा। बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने खनाल के घर पर धावा बोला और बाहर से उसमें आग लगा दी। बुरी तरह आग में झुलसी चित्रकार ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा, उनकी पत्नी, विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा और कैबिनेट मंत्रियों पर हमले हुए।

नेपाल में पहली बार संसद को जलाया गया

आगजनी, उपद्रव का यह हिंसक दौर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद जाकर थमा। Gen Z का यह उग्र प्रदर्शन नेपाल के इतिहास में अनूठा है। पहले भी यहां विरोध-प्रदर्शन, हिंसा एवं आगजनी हुई है लेकिन पहली बार संसद को जलाया गया। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार पुलिस और सुरक्षाकर्मी सड़क पर थे तो लेकिन युवाओं एवं प्रदर्शनकारियों के गुस्से के आगे उन्होंने एक तरह से अपनी हार मान ली। वे रास्ते से हट गए और प्रदर्शनकारियों को अपने मन की करने दिया। प्रदर्शनकारी तख्तापलट पर उतारू थे और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद यह हो भी गया। रिपोर्टों में कहा गया है कि केपी शर्मा ओली ने हिंसा पर काबू पाने के लिए सेना की मदद मांगी। उन्होंने सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल को फोन किया लेकिन सेना प्रमुख ने ओली से कहा कि वह उनके इस्तीफे के बाद ही दखल देंगे। इसके बाद ओली ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया।

सिगडेल के हाथ में आ सकती है देश की कमान

ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल में फिलहाल शांति है। अब सेना ने मोर्चा संभाल लिया है और प्रदर्शनकारियों से शांत रहने के लिए कहा है। सेना और जेनजी प्रदर्शनकारियों के बीच बुधवार को बैठक होने वाली है। इस बैठक में नेपाल में नई व्यवस्था क्या हो, सरकार का मुखिया कौन हो, इस पर चर्चा हो सकती है। इन सबमें नेपाल की सेना और उसके आर्मी चीफ सिगडेल की मुख्य भूमिका रहने वाली है। चर्चा यह भी है कि नई व्यवस्था या सरकार के बनने तक नेपाल की कमान सेना प्रमुख सिगडेल के हाथ में रह सकती है। अगर ऐसा होता है तो सिगडेल नेपाल के सबसे ताकतवर व्यक्ति होंगे। सरकार की कमान उनके हाथ में होगी। ऐसे में सिगडेल के बारे में थोड़ा विस्तार से जानने की जरूरत है।

रूपनदेही जिले में मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म

सिगडेल का जन्म 1 फरवरी 1967 को लुम्बनी प्रांत के रूपनदेही जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। सिगडेल पांच भाई-बहन हैं। इनके पिता बिश्वराज सिगडेल मध्य नेपाल के तनाहुन से तौलिहवा और फिर भैरहवा आ गए। जबकि अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए सिगडेल अपने चाचा के साथ काठमांडू पहुंचे। सेना में शामिल होने से पहले वह राष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज और एक कुशल ताइक्वांडो खिलाड़ी थे। युवा अवस्था में सिगडेल की पहचान एक टेबल टेनिस खिलाड़ी के रूप में भी रही। सिगडेल 1986 में सशस्त्र सेना में शामिल हुए। 25वें बेसिक कोर्स की रैंकिंग में प्रथम आने के बाद एक कैडेट के रूप में वह कमीशन हुए। शिवापुरी के ऑर्म्ड कमांड एंड स्टॉफ कॉलेज से इन्होंने पढ़ाई की। आगे सिगडेल ने चीन के नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से स्नातक किया। फिर नागरकोट के आर्मी वार कॉलेज से इन्होंने हायर कमांड एंड मैनेजमेंट कोर्स की पढ़ाई की। भारत से सिगडेल ने डिफेंस मैनेजमेंट कोर्स भी किया।

त्रिभुवन विश्वविद्यालय से स्ट्रेटेजिक स्टडीज की डिग्री

त्रिभुवन विश्वविद्यालय से सिगडेल ने स्ट्रेटेजिक स्टडीज में मास्टर की डिग्री ली। चीन के नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से इन्होंने स्ट्रेटेजिक स्टडीज की पढ़ाई की। यानी नेपाल के सेना प्रमुख काफी पढ़े-लिखे हैं। दशकों के अपने कार्यकाल में इनकी अहम पदों पर तैनाती हो चुकी है। सिगडेल काउंटर इंसरजेंसी और जंगल वारफेयर स्कूल के कमांडेंट रह चुके हैं। इन्होंने इन्फैंट्री ब्रिगेड डिविजन का नेतृत्व भी किया है। वे पहले मिलिट्री ऑपरेशन्स निदेशालय के निदेशक और स्टाफ ड्यूटीज, पॉलिसी और प्लान्स विभाग के महानिदेशक रह चुके हैं। सिगडेल ने थलसेना प्रमुख के सैन्य सहायक के रूप में भी कार्य किया है। 2019 में वह कोविड संकट प्रबंधन केंद्र के सचिव रहे। साल 2022 में इन्होंने अमेरिकी-नेपाल तीसरी भूमि सेना वार्ता के लिए नेपाली सेना प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। वे पूर्व युगोस्लाविया, ताजिकिस्तान और लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में भी सेवा कर चुके हैं।

भारतीय सेना के मानद जनरल की उपाधि

अपने करियर के दौरान, सिगडेल कई सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं। इनमें कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिष्ठित सुप्रबल जनसेवाश्री III शामिल है। उन्हें दो बार थलसेना प्रमुख प्रशंसा बैज से भी सम्मानित किया गया है। सिगडेल को 2023 के अंत में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया और उन्होंने उप-थल सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला। अगस्त 2024 में, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उन्हें थलसेना प्रमुख नियुक्त किया। सितंबर 2024 में इन्होंने जनरल प्रभु राम शर्मा का स्थान लिया। दिसंबर 2024 में भारत की यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सिगडेल को भारतीय सेना के मानद जनरल की उपाधि प्रदान की। इससे पहले नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने काठमांडू में भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को नेपाली सेना के मानद जनरल की उपाधि दी थी। नेपाल और भारत के सेना प्रमुखों को मानद जनरल की उपाधि देने की अनोखी परंपरा 1950 से चली आ रही है। सिगडेल की पत्नी का नाम नीता सिगडेल है। वह काठमांडू से हैं। सिगडेल के पुत्र, अशुतोष स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं।

सेना ने मोर्चा संभाला, काठमांडू की सड़कें वीरान

नेपाली सेना मुख्यालय के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि हमने लूटपाट और तोड़फोड़ सहित किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अपने सैनिकों को तैनात किया है। प्राधिकारियों ने निवासियों को यह आदेश भी जारी किया है कि वे ‘अत्यंत आवश्यक' न होने तक घर से बाहर न निकले, ताकि आगे अशांति को रोका जा सके।' सुबह से ही काठमांडू की आम तौर पर चहल-पहल वाली सड़कें वीरान दिखीं। कुछ ही लोग घरों से बाहर निकले और वह भी खासकर रोजमर्रा की जरूरत की चीजें खरीदने के लिए। सड़कों पर सुरक्षाकर्मियों की कड़ी गश्त है। सेना ने लोगों से छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान लूटी गई या मिली बंदूकें, हथियार और गोलियां नजदीकी पुलिस चौकी या सुरक्षाकर्मियों को लौटाने का भी आग्रह किया। सेना ने चेतावनी दी कि अगर किसी के भी पास ऐसे हथियार या गोला-बारूद बरामद किए गए तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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