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दोहा पर आखिर इजरायल ने हमला क्यों किया? नेतन्याहू के सामने अब क्या हैं मुश्किलें

इजरायल ने आखिर बीते मंगलवार को हमास के उस कथित राजनीतिक नेतृत्व पर हमला क्यों किया जो संभावित सीजफायर प्रस्ताव योजना पर अमेरिका और उससे वार्ता कर रहा था। कतर ही इस सीजफायर वार्ता का मेजबान देश था। इजरायल के इस हमले में हमास के पांच सदस्य और कतर का एक सुरक्षाकर्मी मारा गया।
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बीते मंगलवार को इजरायल ने दोहा पर किए हवाई हमले। तस्वीर-AP

Israel attack on Doha : दोहा पर इजरायल के हमले के बाद मध्य पूर्व एक नए तनाव का सामना कर रहा है। इस हमले को कतर की संप्रुभता पर हमला बताया जा रहा है। खाड़ी देशों सहित दुनिया के कई मुल्कों ने इजरायल के हमले की निंदा की है। भारत ने भी संप्रभुता का सम्मान करने की बात कही है। इस हमले के खिलाफ खाड़ी के मुस्लिम देश एकजुट हो रहे हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि कतर पर इजरायल का यह हमला नए तरह के जियोपॉलिटिक्स की शक्ल देगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि कतर अमेरिका का मध्य पूर्व में करीबी सहयोगी देश है। कतर में अमेरिका का बहुत बड़ा सैन्य बेस भी है।

इजरायल की इस कार्रवाई ने अमेरिका को भी पसोपेश में डाल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इजरायल के इस हमले का न तो खुलकर समर्थन कर रहे हैं और न ही विरोध। सवाल यह भी है कि इजरायल ने आखिर बीते मंगलवार को हमास के उस कथित राजनीतिक नेतृत्व पर हमला क्यों किया जो संभावित सीजफायर प्रस्ताव योजना पर अमेरिका और उससे वार्ता कर रहा था। कतर ही इस सीजफायर वार्ता का मेजबान देश था। इजरायल के इस हमले में हमास के पांच सदस्य और कतर का एक सुरक्षाकर्मी मारा गया। रिपोर्टें यह भी हैं कि वार्ता के लिए हमास की जो कोर टीम थी, वह इन हमलों में बच गई।

2023 के बाद मध्य-पूर्व के किसी देश पर पहला हमला

7 अक्टूबर 2023 के हमलों के बाद इजरायल का यह किसी सातंवें और मध्य पूर्व के किसी पहले देश पर हमला है। दोहा को निशाना बनाए जाने पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि आठ सितंबर को यरूशलम में जो आतंकी हमला हुआ, यह उसके जवाब में था। साथ ही यह सात अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हुए हमले के बाद हमास का खात्मा करने के लिए चलाए जा रहे उनके अभियान का भी हिस्सा है। दरअसल, दोहा हमले के जरिए इजरायल ने संकेत दे दिया है कि वह आतंकियों को खत्म करने के लिए कहीं पर भी हमला कर सकता है।

ट्रंप ने कहा-हमास का खात्मा करना सही

इस हमले के बाद नेतन्याहू ने दोहा में अपनी कार्रवाई की पूरी जिम्मेदारी ली और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को बताया कि इससे शांति स्थापित होने में मदद मिलेगी और उसके लक्ष्यों की प्राप्ति होगी। इसके जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उसका यह हमला उसके अथवा अमेरिका के लक्ष्यों को पाने की दिशा में एक बाधा खड़ी करेगा लेकिन हमास का खात्मा करना सही है। ईरान पर इजरायली कार्रवाई की तरह ट्रंप प्रशासन ने दोहा हमले पर भी अपनी नाखुशी जाहिर की और कहा कि वह इस हमले में शामिल नहीं है लेकिन उसने एक तरह से इस हमले को अपनी स्वीकार्यता दे दी।

गाजा पट्टी में अभियान किया तेज

इस बीच हमास के खिलाफ इजरायल ने अपने अभियान को और तेज कर दिया है। नेतन्याहू ने साफ कर दिया है कि अब फिलिस्तीन जैसा कोई इलाका नहीं होगा। गाजा पट्टी पर वह पूरी तरह से नियंत्रण करने जा रहे हैं। दोहा पर कार्रवाई से पहले इजरायल ने गाजा सिटी पर कब्जा करने के लिए अभियान शुरू किया था। गाजा सिटी दक्षिणी क्षेत्र के उन आखिरी शहरी इलाकों में से एक है, जहां करीब 10 लाख से अधिक लोग भुखमरी झेल रहे हैं।

यह रणनीति इजरायल की शेष फिलिस्तीनी इलाकों पर कब्जा करने की योजना के अनुरूप है।

दोबारा मौका मिलेगा या नहीं, इजरायल को है संदेह

इजरायल को लगता है कि इस समय सैन्य अभियान में कोई भी ठहराव उस पर वैश्विक दबाव बढ़ा देगा और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि हमास के खिलाफ उसे दोबारा ऐसा अवसर कब मिलेगा। बीते मई में नेतन्याहू ने कहा था कि गाजा में युद्ध बंधकों की रिहाई के बावजूद उनकी कार्रवाई तब तक जारी रहेगी जब तक कि हमास का पूर्ण रूप से खात्मा नहीं हो जाता। अगस्त के आखिरी हफ्ते में, 15,000 से अधिक इजरायली नागरिक बंधकों की रिहाई को लेकर अपनाई गई नेतन्याहू की नीति के खिलाफ सड़कों पर उतरे।

तालिबान-अमेरिका के बीच वार्ता करा चुका है कतर

दोहा पर हुए हमले को कतर के प्रधानमंत्री ने अपनी संप्रभुता का अभूतपूर्व उल्लंघन और इसे 'राज्य प्रायोजित आतंकवाद' बताया। उन्होंने कहा कि कतर 'एक मध्यस्थ देश है, जो आधिकारिक तौर पर वार्ताओं और उस देश के प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी कर रहा था, जिसने वार्ता में शामिल दूसरे पक्ष के प्रतिनिधिमंडल पर मिसाइलें दागीं।' उन्होंने सवाल उठाया कि यह कार्रवाई कैसे स्वीकार्य हो सकती है। कतर का अपने मध्यस्थ की भूमिका पर जोर देना महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी ने हमले से एक दिन पहले हमास प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी और युद्धविराम पर जोर दिया था। कतर हमास नेतृत्व की मेजबानी न केवल एक सफल क्षेत्रीय मध्यस्थ बनने की इच्छा से करता है, बल्कि इजरायल और अमेरिका के कहने पर भी। पहली ट्रंप सरकार ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के लिए कतर का सहयोग लिया था। कतर ने अमेरिका की बातचीत तालिबान से कराई।

कतर की साख को लगा झटका

इजरायली के इस हवाई हमले ने कतर की लंबे समय से बनी उस साख को चोट पहुंचाई है, जिसके तहत उसे कठिन और संवेदनशील वार्ताओं का सुरक्षित और गुप्त सूत्रधार माना जाता रहा है। यह साख कतर के लिए अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता की कुंजी रही है, क्योंकि दोहा ने पहले भी अन्य खाड़ी अरब देशों से रिश्तों को जोखिम में डालकर क्षेत्रीय दरारों के पार अहम रिश्ते बनाए रखे।

सीमित या सांकेतिक कार्रवाई कर सकता है कतर

दोहा हमले के बाद कतर ने कहा कि उसने 'जवाब देने का अपना अधिकार सुरक्षित रखा' है। अधिकांश अरब और अन्य देशों ने इजरायली कार्रवाई की निंदा की है। सऊदी अरब ने कतर को अपनी तरफ से पूरी मदद देने का भरोसा दिया है। जानकार मानते हैं कि इजरायल के खिलाफ कतर की प्रतिक्रिया बेहद सीमित या प्रतीकात्मक हो सकती है क्योंकि अमेरिका कभी भी इजरायल को क्षति पहुंचाने वाले कदम का समर्थन हीं करेगा। कतर नहीं चाहेगा कि उसके किसी कदम से ट्रंप प्रशासन के साथ उसके रिश्ते खराब हों या उसमें किसी तरह का तनाव आए। बुधवार को, कनेसट स्पीकर ने दोहा हमले की तस्वीर X पर पोस्ट की और कहा कि 'यह पूरे मध्य पूर्व के लिए एक संदेश है'। खाड़ी के देश जिन्होंने पिछले दशक में ईरान के खिलाफ संतुलन बनाने की कोशिश की थी, अब इजरायल को एक ऐसी ताकत मानेंगे, जिसके खिलाफ संतुलन बनाना जरूरी है। दोहा हमले के बाद कतर और खाड़ी के देश इजरायल के खिलाफ किस तरफ की मोर्चेबंदी करते हैं, यह देखने वाली बात होगी।

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आलोक कुमार राव author

आलोक कुमार राव न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं। यूपी के कुशीनगर से आने वाले आलोक का पत्रकारिता में करीब 19 साल का अनुभव है। समाचार पत्र, न्यूज एजेंसी, टेल...और देखें

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