अहमद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बर (CRPF) से उसके मामले पर फिर से विचार करने की अपील की और दावा किया कि उसने नियमों के अनुसार सभी औपचारिकताएं पूरी की थीं और कुछ भी गलत नहीं किया है।
Dismissed CRPF Jawan: पाकिस्तानी महिला से शादी की बात छिपाने के आरोप में सेवा से बर्खास्त किए जाने के एक दिन बाद सीआरपीएफ जवान मुनीर अहमद ने रविवार को कहा कि पिछले साल बल मुख्यालय से अनुमति मिलने के करीब एक महीने बाद ही उसने अपनी ममेरी बहन से शादी की थी। यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जम्मू के घरोत्रा क्षेत्र के निवासी अहमद ने कहा कि उसकी शादी दोनों परिवारों ने तय की थी और वह अपनी बर्खास्तगी को अदालत में चुनौती देगा।
बर्खास्त CRPF जवान अहमद और उसकी पत्नी
मोदी-शाह से की अपील
अहमद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बर (CRPF) से उसके मामले पर फिर से विचार करने की अपील की और दावा किया कि उसने नियमों के अनुसार सभी औपचारिकताएं पूरी की थीं और कुछ भी गलत नहीं किया है। सीआरपीएफ ने अहमद को पाकिस्तानी महिला मीनल खान के साथ शादी की बात छिपाने के लिए बर्खास्त कर दिया है और कहा है कि उसका कृत्य राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक है।
सीआरपीएफ में 2017 में शामिल हुए अहमद ने संवाददाताओं से कहा, मेरी पत्नी मेरे मामा की बेटी है, जो 1947 में विभाजन के दौरान जम्मू से पाकिस्तान चले गए थे। उसने सोशल मीडिया पर आई उन खबरों को झूठा और मनगढ़ंत करार दिया, जिनमें कहा गया है कि दोनों ऑनलाइन मिले और उनमें प्यार हो गया। अहमद ने अपने इस दावे के समर्थन में कुछ दस्तावेज और तस्वीरें दिखाईं कि उसने सीआरपीएफ को अपनी शादी की सूचना दी थी और बल मुख्यालय से मंजूरी मिलने के बाद ही मीनल से निकाह रचाया।
उसने कहा, मुख्यालय से मंजूरी मिलने के बाद हमारे परिजनों ने वीजा का इंतजार किए बिना ही ऑनलाइन निकाह करवाने का फैसला किया, क्योंकि मेरे पिता कैंसर से पीड़ित थे और उनकी हालत बिगड़ गई थी। उनके इलाज का खर्च भी बल ने ही उठाया। अहमद ने कहा, मुझे मीडिया में आई खबरों से अपनी बर्खास्तगी के बारे में पता चला। कुछ ही समय बाद मुझे सीआरपीएफ से एक पत्र मिला, जिसमें मुझे बर्खास्तगी के बारे में बताया गया, जो मेरे और मेरे परिवार के लिए एक झटका था, क्योंकि मैंने मुख्यालय से एक पाकिस्तानी महिला से शादी करने की अनुमति मांगी थी और मुझे अनुमति मिल गई थी।
पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद मामला सामने आया
अहमद और मीनल की शादी का मामला तब सामने आया, जब भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद उठाए गए कूटनीतिक कदमों के तहत पाकिस्तानी नागरिकों से देश छोड़ने के लिए कहा। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। मीनल 28 फरवरी को वाघा-अटारी सीमा के रास्ते भारत में दाखिल हुई थी और उसका अल्पकालिक वीजा 14 मार्च को समाप्त हो गया था। हालांकि, उच्च न्यायालय ने मीनल के दीर्घकालिक वीजा (एलटीवी) आवेदन के विचाराधीन होने के मद्देनजर उसे पाकिस्तान भेजने पर रोक लगा दी और वह फिलहाल अहमद के जम्मू स्थित आवास में रह रही है।
अहमद का दावा, सभी दस्तावेज दिखाए
अहमद ने बताया, मैंने 31 दिसंबर 2022 को पहला पत्र लिखा, जिसमें मैंने एक पाकिस्तानी नागरिक से शादी करने की अपनी इच्छा बताई। मुझसे पासपोर्ट, विवाह कार्ड और हलफनामे की प्रतियां संलग्न करने जैसी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कहा गया। उसने कहा, मैंने अपना हलफनामा और साथ ही अपने माता-पिता, सरपंच और जिला विकास परिषद के सदस्य के हलफनामे उचित माध्यम से पेश किए और आखिरकार 30 अप्रैल 2024 को मुख्यालय से (शादी की) मंजूरी मिल गई।
अहमद के मुताबिक, उसने अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे बताया गया कि ऐसा कोई प्रावधान उपलब्ध नहीं है और उसने नियमों के अनुसार विदेशी नागरिक से अपनी शादी के बारे में सरकार को सूचित करके औपचारिकताएं पहले ही पूरी कर ली हैं। अहमद ने कहा, हमने पिछले साल 24 मई को वीडियो कॉल पर निकाह कर लिया। इसके बाद, मैंने अपनी शादी की तस्वीरें, निकाह के कागजात और विवाह प्रमाणपत्र 72वीं बटालियन में जमा करा दिए, जहां मैं तैनात था।
हाई कोर्ट ने पत्नी को भेजे जाने पर लगाई रोक
उसने कहा, जब वह (मीनल) पहली बार 28 फरवरी को 15 दिन के वीजा पर आई थी, तब ही हमने मार्च में दीर्घकालिक वीजा के लिए आवेदन कर दिया था और साक्षात्कार सहित आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं। अहमद ने कहा कि इससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय द्वारा बुधवार को अंतिम समय में उसकी पत्नी को पाकिस्तान भेजने पर रोक लगाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। अहमद के अनुसार, वह अपनी छुट्टी की अवधि समाप्त होने पर ड्यूटी पर लौटा और उसे 25 मार्च को सुंदरबनी स्थित बटालियन मुख्यालय में रिपोर्ट करने को कहा गया था।
उसने बताया, हालांकि, 27 मार्च को मुझे स्थानांतरण आदेश थमा दिया गया और 15 दिन की अनिवार्य कार्यभार ग्रहण अवधि दिए बिना ही भोपाल (मध्यप्रदेश) में 41वीं बटालियन में तैनात कर दिया गया।
अदालत में देगा चुनौती
अहमद ने कहा, मुझे आदेश की प्रति दी गई और तुरंत कार्यमुक्त कर दिया गया, जिससे मेरे पास भोपाल जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा, जहां मैंने 29 मार्च को कार्यभार संभाला। वहां पहुंचने पर कमांडिंग ऑफिसर और उनके अधीनस्थ ने मेरा साक्षात्कार लिया और मैंने दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया भी पूरी की, जिसमें स्पष्ट रूप से एक पाकिस्तानी महिला से मेरी शादी का जिक्र था। अहमद के मुताबिक, उसने अपनी बटालियन डेटा रिकॉर्ड बुक में भी इसकी प्रविष्टि की। उसने कहा कि वह अपनी बर्खास्तगी के फैसले को अदालत में चुनौती देगा। (PTI-Bhasha Input)