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फायदा नहीं तो गठबंधन तोड़ दे बीजेपी- संजय निषाद ने अपनाए बागी तेवर, कहा- अकेले लड़ाई को तैयार

गठबंधन और बीजेपी को लेकर इस तरह के तेवर संजय निषाद ने पहली बार नहीं दिखाया है। इससे कुछ ही दिन पहले दिल्ली में अपनी पार्टी के अधिवेशन में भी यूपी सरकार को धमकी देते हुए कहा था कि अगर निषादों की समस्या का समाधान नहीं होता है तो हम विधानसभा का घेराव करेंगे।
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निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद (फोटो- Times Now Navbharat)

उत्तर-प्रदेश में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद के तेवर बगावती नजर आ रहे हैं। मंगलवार को संजय निषाद गोरखपुर में प्रेस कांफ्रेस को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान संजय निषाद ने कहा कि पार्टी की नींव गोरखपुर से रखी गई है, लेकिन अफसोस की बात है कि गोरखपुर और प्रदेश के कुछ नेता लगातार पार्टी और मेरी छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। संजय निषाद ने सवालों के जवाब के दौरान कहा कि अगर भाजपा को लगता है कि सहयोगी दलों ने उन्हें फायदा नहीं मिल रहा है तो बीजेपी गठबंधन तोड़ सकती है।निषाद पार्टी अपने आस्तित्व की लड़ाई अकेले भी लड़ने के लिए तैयार है।

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कुछ दिनों पहले भी दी थी धमकी

गठबंधन और बीजेपी को लेकर इस तरह के तेवर संजय निषाद ने पहली बार नहीं दिखाया है। इससे कुछ ही दिन पहले दिल्ली में अपनी पार्टी के अधिवेशन में भी यूपी सरकार को धमकी देते हुए कहा था कि अगर निषादों की समस्या का समाधान नहीं होता है तो हम विधानसभा का घेराव करेंगे। आज भी गोरखपुर में संजय निषाद ने कहा कि आरक्षण का निर्णय भारतीय जनता पार्टी को लेना है। क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों जगह उनकी ही सरकार है और निषाद पार्टी भाजपा की सहयोगी है। केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों ही स्तर पर इस मुद्दे पर सकारात्मक पहल हो रही है। मगर कुछ तथाकथित निषाद नेता समाज और पार्टी को गुमराह कर केवल कड़वाहट फैलाने का काम कर रहे हैं।

क्यों चल रहे हैं नाराज

निषाद शायद इन दिनों भाजपा से खफा चल रहे हैं उनके ताजा बयान से तो यही जाहिर होता है। संजय निषाद ने कहा, “क्या ये वही लोग हैं जो ‘हाथी’ से आए और इम्पोर्ट होकर भाजपा में शामिल हुए? मैंने अखबारों में पढ़ा कि वे कह रहे थे कि भाजपा निषाद समाज को टिकट देगी। इसका तो हम स्वागत करते हैं। हम तो चाहते हैं कि पूरा विधानसभा ‘निषादमय’ हो जाए और 403 में से 403 विधायक निषाद जीत कर आएं। लेकिन एक सवाल है – जो लोग निषादों को टिकट दिलाने की पैरवी कर रहे हैं, क्या वे भाजपा से यह गारंटी लेकर आए हैं कि 2027 में उन्हें टिकट मिलेगा? 2024 में भी तो वे खाली हाथ ही रह गए। कभी एक कुंभ, कभी दूसरा सम्मेलन…नतीजा क्या? जीरो बट्टा सन्नाटा।”

याद दिलाई जीत की कहानी

इतना ही नही संजय निषाद ने कहा कि किसी को इस बात का घमंड नहीं होना चाहिए कि उत्तर प्रदेश की जीत केवल भाजपा की थी। यह जीत सभी सहयोगी दलों के योगदान से मिली है। आशीष भाई पटेल समाज को, राजभर भाई राजभर समाज को, रालोद जाट समाज को और निषाद पार्टी मछुआ समाज को भाजपा से जोड़कर खड़ी है। 2018 की जीत सबको याद रखनी चाहिए। 2022 के चुनाव में जब रालोद और राजभर भाई समाजवादी पार्टी से जुड़े, तो समाजवादी पार्टी की संख्या 45 से बढ़कर 125 हो गई थी। बाकी आप सभी समझदार हैं।”

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    विनोद मिश्रा author

    दिल्ली से लेकर यूपी की राजधानी लखनऊ में करीब दो दशक से टीवी पत्रकारिता कर रहें है। यूपी की सियासत की नब्ज और ब्यूरोकेसी की समझ है। पत्रकारिता एक पैशन ...और देखें

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