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Nepal Crisis: नेपाल में तनाव और कर्फ्यू के बाद पानीटंकी के रास्ते लौटे भारतीय, कई लोग हवाई अड्डे पर फंसे

नेपाल में चल रहे 'जेन जेड' विरोध प्रदर्शनों के बीच स्थिति अस्थिर बनी हुई है। हिंसक विरोध प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहने के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। वहीं, कई भारतीय एयरपोर्ट पर फंस गए हैं।
Indians in nepal

नेपाल में फंसे कई भारतीय (ANI)

Indians Stranded in Nepal: पड़ोसी देश नेपाल में तनावपूर्ण स्थिति और कर्फ्यू के बीच कई भारतीय नागरिक बुधवार को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के पानीटंकी में भारत-नेपाल सीमा पार कर भारत लौट आए। एएनआई से बात करते हुए ऐसे ही एक युवा भारतीय ने कहा कि वहां स्थिति नियंत्रण से बाहर है... हड़ताल 10-15 दिनों तक जारी रहेगी... हम असम से हैं और नेपाल से लौट रहे हैं। भारत लौटकर अच्छा लग रहा है। जान वापस आ गई।

कई भारतीय एयरपोर्ट पर फंसे

वहीं, कई भारतीय अभी भी नेपाल में फंसे हुए हैं। मुंबई के मयूर पाटिल ने कहा, हम भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन और नेपाल के दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए आए थे... हम 8 सितंबर को यहां पहुंचे थे। हमने पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन किए, लेकिन अब हम विरोध प्रदर्शनों के कारण फंस गए हैं। हमने भारतीय दूतावास को फोन किया और उन्होंने हमें जहां भी हैं, वहीं सुरक्षित रहने को कहा। वे हमें बताएंगे कि आगे क्या करना है। हमारा 8 दिनों का टूर प्लान था... हमारे ग्रुप में 15 लोग हैं।

नेपाल में संकट गहराया

नेपाल में चल रहे 'जेन जेड' विरोध प्रदर्शनों के बीच स्थिति अस्थिर बनी हुई है। यह एक व्यापक आंदोलन है जिसका नेतृत्व छात्र और युवा नागरिक कर रहे हैं और सरकार से अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। देश के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहने के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। स्थानीय मीडिया के अनुसार, उनके सचिवालय ने उनके इस्तीफे की पुष्टि की। इससे पहले चार मंत्री अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं।

प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शन

सरकार द्वारा कर राजस्व और साइबर सुरक्षा संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, 8 सितंबर को काठमांडू और पोखरा, बुटवल और बीरगंज सहित अन्य प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। इसी गुस्से को और बढ़ाते हुए, प्रदर्शनकारी शासन में संस्थागत भ्रष्टाचार और पक्षपात को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार अपनी निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक जवाबदेह और पारदर्शी हो। प्रदर्शनकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध हटाने की भी मांग कर रहे हैं, जिसे वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के प्रयास के रूप में देखते हैं।

जैसे-जैसे तनाव बढ़ता गया, जमीनी स्तर पर स्थिति तेजी से बिगड़ती गई। सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में कम से कम 19 लोग मारे गए और 500 घायल हुए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काठमांडू सहित कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया। विदेश मंत्रालय (MEA) ने नेपाल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा सलाह जारी की है।

इस विद्रोह का मूल कारण सरकार द्वारा फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और यूट्यूब सहित 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने का फैसला था, जिसमें गलत सूचनाओं और नियामक अनुपालन की आवश्यकता का हवाला दिया गया था। नागरिकों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला और असहमति को दबाने का एक तरीका मानते हुए पूरे नेपाल में विद्रोह कर दिया और मंत्रियों को भागने पर मजबूर कर दिया।

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अमित कुमार मंडल author

पत्रकारिता के सफर की शुरुआत 2005 में नोएडा स्थित अमर उजाला अखबार से हुई जहां मैं खबरों की दुनिया से रूबरू हुआ। यहां मिले अनुभव और जानकारियों ने खबरों ...और देखें

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