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भारत में 400 हिमनद झीलों का हो रहा विस्तार, उत्तराखंड- हिमाचल समेत कई राज्यों के लिए खतरे की घंटी

भारत के हिमालयी क्षेत्रों में हिमनद झीलों का यह निरंतर और तेजी से होता विस्तार जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को उजागर करता है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट न केवल चेतावनी देती है, बल्कि सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के लिए स्पष्ट संकेत भी देती है कि अब विलंब की कोई गुंजाइश नहीं है।
glacial lakes himalayas

हिमालय की 400 से अधिक हिमनद झीलों का विस्तार हो रहा (प्रतीकात्मक फोटो- CANVA)

केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने अपनी जून 2025 की मासिक निगरानी रिपोर्ट में एक गंभीर चेतावनी जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 400 से अधिक हिमनद झीलें तेजी से अपने आकार में विस्तार कर रही हैं और इनका यह बढ़ता आकार आपदा की दृष्टि से बेहद चिंताजनक है। इन झीलों के फटने की आशंका के चलते सीडब्ल्यूसी ने इन्हें गहन निगरानी के लिए चिह्नित किया है।

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हिमालयी राज्यों में खतरे की घंटी

पीटीआई के अनुसार सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में स्थित 432 हिमनद झीलों को विशेष रूप से हाई-रिस्क श्रेणी में रखा गया है। ये झीलें कभी भी अचानक और विनाशकारी बाढ़ ला सकती हैं, जिसे ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) कहा जाता है। "ग्लेशियल लेक एटलस-2023" के अनुसार, भारत में स्थित कुल 681 हिमनद झीलों में से 432 झीलों ने जून 2025 के दौरान जल क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जो इनके अस्थिर होने का संकेत देती है।

बाढ़ और भूस्खलन

यह रिपोर्ट उस समय आई है जब देश के कई हिस्से पहले से ही बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी वर्षा के कारण भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं, जिनमें कम से कम सात लोगों की जान चली गई। पंजाब में लगातार बारिश से सामान्य जनजीवन ठप हो गया है और स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं।

तेजी से फैल रही हिमनद झीलें

सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हिमनद झीलों का कुल क्षेत्रफल वर्ष 2011 में 1,917 हेक्टेयर था, जो वर्ष 2025 में बढ़कर 2,508 हेक्टेयर हो गया है। यह 30.83% की वृद्धि दर्शाता है। हालांकि यह विश्लेषण 100 प्रमुख झीलों में से केवल 55 पर आधारित है, लेकिन यह प्रवृत्ति व्यापक संकट की ओर इशारा करती है।

क्या है समाधान?

सीडब्ल्यूसी ने चेतावनी दी है कि हिमालयी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों से जूझ रहा है। हिमनदों का पिघलना और झीलों का फैलना वातावरण के गर्म होने के स्पष्ट और गंभीर संकेत हैं। रिपोर्ट में तत्काल कदम उठाने की सिफारिश की गई है, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख उपाय शामिल हैं:

  • वास्तविक समय आधारित निगरानी प्रणाली की स्थापना
  • उपग्रह-आधारित अलर्ट सिस्टम का विकास
  • पूर्व चेतावनी तंत्र का निर्माण, विशेषकर निचले इलाकों के लिए
राज्यवार स्थिति

रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक विस्तारित झीलें अरुणाचल प्रदेश (197) में पाई गई हैं। इसके बाद लद्दाख (120), जम्मू और कश्मीर (57), सिक्किम (47), हिमाचल प्रदेश (6) और उत्तराखंड (5) का स्थान है। कुल मिलाकर, जून 2025 में हिमालयी क्षेत्र की 1,435 हिमनद झीलों ने विस्तार दर्ज किया, जबकि 1,008 झीलों में कमी और 108 में कोई बदलाव नहीं देखा गया।

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शिशुपाल कुमार author

शिशुपाल कुमार टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल के न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं और उन्हें पत्रकारिता में 13 वर्षों का अनुभव है। पटना से ताल्लुक रखने वाले शिशुपा...और देखें

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