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गोवा के नए भूमि एवं संपत्ति विधेयक पर विपक्ष ने उठाए सवाल, निशाने पर प्रमोद सावंत सरकार

गोवा सरकार ने हाल ही में गोवा एस्केट्स, फॉरफीचर और बोना वैकेंशिया विधेयक पारित किया है, जो राज्य को बिना दावे वाली संपत्तियों पर नियंत्रण करने और सार्वजनिक लाभ या विकास उद्देश्यों के लिए उनका उपयोग करने की अनुमति देता है।
Goa assembly

गोवा विधानसभा में नया बिल पारित

Goa Assembly: गोवा में चल रहे विधानसभा में सरकार ने जमीन और संपत्ति को लेकर एक नया बिल पास किया है। इस विधेयक के तहत राज्य की सभी बेनामी और लावारिस जमीन सरकार के अधीन होगी जिसका इस्तेमाल जनता की सेवा और सुविधा के लिए किया जाएगा। लेकिन गोवा सरकार का ये अधिनियम अब विवादों में घिर चुका है। राज्य में विपक्ष ने एकजुट होकर नए विधेयक पर सवाल उठाए हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह राज्य द्वारा भूमि हड़पने में सहायक हो सकता है।

बिना दावे वाली संपत्तियों पर नियंत्रण देगा

गोवा सरकार ने हाल ही में गोवा एस्केट्स, फॉरफीचर और बोना वैकेंशिया विधेयक पारित किया है, जो राज्य को बिना दावे वाली संपत्तियों पर नियंत्रण करने और सार्वजनिक लाभ या विकास उद्देश्यों के लिए उनका उपयोग करने की अनुमति देता है। हालांकि, नए कानून के संभावित दुरुपयोग के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए विपक्षी दलों ने इस विधेयक की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस पार्टी ने सीएम प्रमोद सावंत के नेतृत्व वाली सरकार पर आरोप लगाया है कि यह कानून कुछ चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाएगा और ये गोवा वासियों के साथ अन्याय है।

एलडोना ने कानून को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया

एलडोना से कांग्रेस विधायक कार्लोस फेरेरा ने कहा, यह कानून मानवाधिकारों का उल्लंघन है और फिर आप किसी व्यक्ति को तीन महीने के भीतर उसे जमीन पर मालिकाना हक के दावे को साबित करने के लिए महज तीन महीने का वक्त देते हैं। कांग्रेस विधायक यूरी अलेमाओ ने इसे गोवा की जमीन को पूरे भारत के अमीरों को बेचने की साजिश तक करार दिया है। अलेमाओ ने कहा, गोवा एस्केट्स, फॉरफीचर एंड बोना वैकेंशिया बिल, 2024, सरकार को उन लोगों की जमीन पर कब्जा करने और स्वामित्व लेने का अधिकार देता है, जिन्होंने अपने पीछे कोई वारिस नहीं छोड़ा है या जिन जमीनों पर स्वामित्व स्पष्ट नहीं है, उन्हें छोड़ दिया है। ये सभी कानून सरकार की मंशा पर संदेह पैदा करते हैं। आज गोवा की जमीन बहुत कीमती हो चुकी है और बाहरी लोग (गैर गोवावासी) इस जमीन को हासिल करने के लिए कोई भी रकम देने को तैयार हैं।

आखिरकार, गोवा में कोई गोवावासी नहीं बचेगा और गोवा की पहचान अपने आप खत्म हो जाएगी। सरकार की यह योजना कि वह जितनी भी जमीन हड़प सकती है, उसे हड़प ले, यह उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है, जिन्होंने औपनिवेशिक शक्तियों से इस जमीन को वापस लिया और उन लोगों का भी अपमान है, जिन्होंने राज्य की विशिष्ट पहचान को बनाए रखने के लिए जनमत सर्वेक्षण के दौरान लड़ाई लड़ी। गोवा फॉरवर्ड पार्टी के प्रमुख विजय सरदेसाई ने कहा कि सरकार को 12 साल तक दावा की गई संपत्ति को बेचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार लोगों को समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर सकती है या अपनी जमीन खोने का जोखिम उठा सकती है।

गोवा सरकार ने नए विधेयक का बचाव किया

गोवा सरकार का दावा है कि नया कानून गोवा के लोगों के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह राज्य को बेनामी और दावा रहित संपत्तियों पर नियंत्रण करने और सार्वजनिक विकास के लिए इसका उपयोग करने की अनुमति देता है। विधेयक का उद्देश्य उचित भूमि प्रबंधन और यह सुनिश्चित करना है कि जो भूमि बेकार या खाली पड़ी है उसका गोवा के लोगों के लाभ के लिए उचित उपयोग किया जाए।

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    अरुणील सदड़ेकर author

    अरुणील सदड़ेकर टाइम्स नाउ नवभारत में प्रिंसिपल कॉरेस्पोंडेंट हैं। 10 साल से वह पत्रकारिता की दुनिया में है और महाराष्ट्र की सियासत पर पैनी नजर रखते हैं...और देखें

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