कुछ समस्याओं की जड़ें अतीत से जुड़ी हैं, इनमें से कुछ का समाधान निकाल लिया है, कुछ में थोड़ा समय लगेगा: जयशंकर

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर।
S Jaishankar : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की विदेश नीति को लेकर कांग्रेस को घेरा है। अहमदाबाद में गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि एक वह भी समय था जब भारत के प्रधानमंत्री 'चाइना फर्स्ट' की बात करते थे लेकिन आज 'इंडिया फर्स्ट' की बात होती है। आज कई ऐसे मुद्दे हैं जिनकी जड़ें अतीत से जुड़ी हैं। मौजूदा सरकार इनमें से कई मुद्दों का समाधान कर चुकी है जबकि कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिनमें थोड़ा और समय लगेगा। विदेश मंत्री ने कहा कि पूर्व गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने के पक्ष में नहीं थे लेकिन नेहरू ने उनकी बात नहीं मानी।
कुछ मुद्दों को सुलझाने में थोड़ा और समय लगेगा-विदेश मंत्री
विदेश मंत्री ने कहा कि 'यहां तक कि पाकिस्तान के मामले में मुझे लगता है कि लोग जानते हैं कि सरदार पटेल कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने के पक्ष में नहीं थे। संयुक्त राष्ट्र में मौजूद एक जज की मानसिकता के बारे में वह जानते थे। लेकिन हम कश्मीर के मसले को लेकर यूएन में गए। वहां जाने पर हम पर युद्धविराम के लिए दबाव पड़ा। आज जब हम अपनी सीमाओं के बारे में बात करते हैं तो कुछ लोग इसे दोबारा तय करने की बात करते हैं। हमारी सीमाएं आज भी हमारी सीमाएं हैं। उनके बारे में हमें कोई संदेह नहीं करना चाहिए। लेकिन मुद्दा अतीत में जो हुआ उसे लेकर है। हमारी सरकार ने बीते 10 वर्षों में अतीत से जुड़े कई मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की है। इनमें से कुछ मुद्दों का समाधान सफलतापूर्वक निकल गया है जबकि कुछ थोड़ा और समय लगेगा।'
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पूर्ववर्ती सरकारों पर साधा निशाना
जयशंकर इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या भारत को पीओके और चीन द्वारा कब्जाए गए भारतीय क्षेत्रों की स्थिति के साथ सामंजस्य बिठाना चाहिए या इन्हें वापस पाने के लिए प्रयास करना चाहिए। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से भाजपा नेता कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को सौंपे जाने के मुद्दे पर नेहरू और इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों पर निशाना साध रहे हैं। जयशंकर ने कहा, ‘1950 में (तत्कालीन गृह मंत्री) सरदार पटेल ने नेहरू को चीन के प्रति आगाह किया था। पटेल ने नेहरू से कहा था कि आज पहली बार हम दो मोर्चों (पाकिस्तान और चीन) पर ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं जिसका सामना भारत ने पहले कभी नहीं किया था।
नेहरू चीनी खतरे को पूरी तरह से खारिज कर रहे थे-जयशंकर
पटेल ने नेहरू से यह भी कहा था कि वह चीन की बातों पर विश्वास नहीं करते क्योंकि उनके इरादे कुछ और ही प्रतीत होते हैं और हमें सावधानी बरतनी चाहिए।’मंत्री ने कहा, ‘नेहरू ने पटेल को उत्तर दिया था कि आप अनावश्यक रूप से चीन पर संदेह करते हैं। नेहरू ने यह भी कहा था कि हिमालय से हम पर हमला करना किसी के लिए भी असंभव है। नेहरू इसे (चीनी खतरे को) पूरी तरह से खारिज कर रहे थे।’
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‘हम अभी भारत प्रथम की नीति पर चल रहे हैं'
जयशंकर ने कहा, ‘इतना ही नहीं, जब संयुक्त राष्ट्र (सुरक्षा परिषद) की स्थायी सदस्यता के विषय पर बहस हुई और हमें इसकी पेशकश की जा रही थी, तब नेहरू का रुख यह था कि हम इसके हकदार हैं लेकिन पहले चीन को यह मिलना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘हम अभी भारत प्रथम की नीति पर चल रहे हैं, लेकिन एक समय था जब नेहरू कहते थे कि भारत बाद में, चीन पहले।’
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साल 2011 था जब इंद्रप्रस्थ से पत्रकारिता के सफर की सीढ़ियां चढ़ना शुरू किया । कुछ साल जयपुर रहा और अब ठिकाना अवध है। माइक पकड़ कर कोशिश करता हूं कि आम...और देखें

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