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वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर का निधन, पत्रकारिता की संवेदनशील और निर्भीक आवाज हमेशा के लिए खामोश

वरिष्ठ पत्रकार और अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ के संपादक संकर्षण ठाकुर का जन्म 1962 में पटना में हुआ था। वे वरिष्ठ पत्रकार जनार्दन ठाकुर के पुत्र थे। उन्होंने पटना के सेंट जेवियर्स स्कूल और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई की।
Sankarshan Thakur

वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर का निधन

वरिष्ठ पत्रकार और अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ के संपादक संकर्षण ठाकुर का सोमवार को गुरुग्राम के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 63 वर्ष के थे। उनके निधन से भारतीय पत्रकारिता ने एक निर्भीक, संवेदनशील और गहराई से सोचने वाली आवाज खो दी है।

पत्रकारिता में चार दशकों का सफर

संकर्षण ठाकुर ने 1984 में संडे पत्रिका से पत्रकारिता की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस, तहलका, और द टेलीग्राफ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम किया। उन्होंने अपनी रिपोर्टिंग और लेखन में जिस तीक्ष्ण दृष्टि और विश्लेषण की धार दिखाई, वह उन्हें पत्रकारिता की दुनिया में अलग स्थान दिलाती है।

बिहार और राजनीति के गहरे जानकार

बिहार उनके लेखन और रिपोर्टिंग का केंद्र रहा। उन्होंने राज्य की राजनीति को समझने और समझाने का जो कार्य किया, वह अभूतपूर्व है। ठाकुर ने बिहार के दो दिग्गज नेताओं – लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार – पर गहन और चर्चित जीवनी लिखी, जिनमें "Subaltern Saheb", "Single Man: The Life and Times of Nitish Kumar of Bihar", और "The Brothers Bihari" शामिल हैं।

ग्राउंड रिपोर्टिंग की मिसाल

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ठाकुर को एक निडर ग्राउंड रिपोर्टर बताया। उन्होंने कारगिल युद्ध, भोपाल गैस त्रासदी, 1984 के सिख विरोधी दंगे, कश्मीर संकट, श्रीलंका का गृहयुद्ध, और पाकिस्तान की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति जैसे जटिल और संवेदनशील मुद्दों पर जमीनी रिपोर्टिंग की। उनकी लेखनी में तथ्यों की ताकत और संवेदना का संतुलन हमेशा बना रहा।

न्याय और असहमति की आवाज

ठाकुर ने हमेशा सत्ता से सवाल पूछे। चाहे वह जम्मू-कश्मीर की रिपोर्टिंग हो या बिहार की जातीय राजनीति, उन्होंने तथ्यों की पड़ताल के साथ लेखनी को आवाज दी, न कि किसी विचारधारा को।

पुरस्कार और सम्मान

उनके योगदान को सम्मानित करते हुए, उन्हें प्रेम भाटिया पुरस्कार (2001) और अप्पन मेनन फेलोशिप (2003) से नवाजा गया। उनके लेख न केवल पत्रकारिता के लिए मार्गदर्शक थे, बल्कि सामाजिक विमर्श का हिस्सा भी बनते थे।

भावुक श्रद्धांजलियां

  • ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने ठाकुर के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी एक पत्रकार और लेखक, दोनों रूप में एक जबरदस्त प्रतिष्ठा थी। गिल्ड ने एक बयान में कहा कि एक निडर ग्राउंड रिपोर्टर के रूप में, उन्होंने भारत की कुछ सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं -- कारगिल युद्ध के मोर्चे से लेकर भोपाल (गैस) त्रासदी, 1984 के सिख विरोधी दंगे और इंदिरा गांधी की हत्या, कश्मीर की समस्याओं, श्रीलंका का गृहयुद्ध और बिहार तथा पाकिस्तान की सामाजिक-राजनीतिक समस्याओं -- पर लिखा।
  • जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा सहित कई नेताओं ने ठाकुर को उनके लेखन के लिए याद किया।
  • अब्दुल्ला ने कहा कि ठाकुर उन गिने-चुने पत्रकारों में से एक थे जिन्होंने जम्मू कश्मीर में व्यापक रूप से यात्रा करने का प्रयास किया और यात्रा के दौरान, निष्पक्षता के साथ लोगों की बातें सुनीं। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘वह एक उत्कृष्ट पत्रकार थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। उनके परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं।’’
  • राज्यसभा सदस्य रमेश ने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘वह भारतीय राजनीति के एक बहुत ही प्रभावशाली विश्लेषक थे और बिहार तथा जम्मू कश्मीर पर उनके कई लेखों ने उनकी प्रतिष्ठा स्थापित की।’’
  • राजद सांसद मनोज झा ने एक पोस्ट में कहा कि बिहार और जम्मू कश्मीर पर ठाकुर के विचारों से कोई सहमत या असहमत हो सकता है, लेकिन जमीनी स्तर पर उनकी अंतर्दृष्टि के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ठाकुर को ‘‘धारा के विपरीत तैरना’’ पसंद था।
  • वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रशीद किदवई ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ठाकुर अपने लेखन में बेहद वस्तुनिष्ठ थे और अपनी व्यक्तिगत पसंद या नापसंद को कभी भी अपनी रिपोर्टिंग पर हावी नहीं होने देते थे। असल में, 10-15 दिन पहले ही मेरी उनसे बात हुई थी और हमेशा की तरह, वह जीवंत लग रहे थे - कहानियां सुना रहे थे, हंस रहे थे। वह ऐसे व्यक्ति नहीं थे जो अपनी बीमारी को बड़ा मुद्दा बनाते।’’
  • बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर के निधन पर शोक व्यक्त किया।

जीवन परिचय

संकर्षण ठाकुर का जन्म 1962 में पटना में हुआ था। वे वरिष्ठ पत्रकार जनार्दन ठाकुर के पुत्र थे। उन्होंने पटना के सेंट जेवियर्स स्कूल और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई की।

शब्दों से संवेदना रचने वाला पत्रकार

लेखिका नीलांजना रॉय ने उन्हें "एक संपादक का प्रकाश स्तंभ" कहा, जबकि वरिष्ठ पत्रकार ए जे फिलिप ने "कवि की तरह लिखने वाला पत्रकार" बताते हुए कारगिल युद्ध के समय उनके गहन और संवेदनशील संदेशों को याद किया।

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शिशुपाल कुमार author

शिशुपाल कुमार टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल के न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं और उन्हें पत्रकारिता में 13 वर्षों का अनुभव है। पटना से ताल्लुक रखने वाले शिशुपा...और देखें

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