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सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में सीधे अग्रिम जमानत याचिका दाखिल करने की प्रथा पर जताई आपत्ति

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में सीधे अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) याचिकाएँ दाखिल करने की प्रथा पर आपत्ति जताई है। अदालत ने कहा कि भले ही BNSS (पूर्व CrPC 438) के तहत सेशंस कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों को अधिकार प्राप्त हैं, परंतु न्यायिक अनुशासन की मांग है कि आरोपी पहले सेशंस कोर्ट का रुख करें। अपवादस्वरूप परिस्थितियों को छोड़कर, हाई कोर्ट को सीधे दायर याचिकाएँ स्वीकार नहीं करनी चाहिए। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि यह प्रथा बढ़ी तो हाई कोर्ट अग्रिम जमानत याचिकाओं से फ्लडेड हो जाएंगे।

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सुप्रीम कोर्ट ने उन मामलों पर कड़ी नाराज़गी जताई है, जहाँ आरोपी सीधे हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) की याचिका दाखिल करते हैं और सेशंस कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने से बचते हैं। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत सेशंस कोर्ट और हाई कोर्ट, दोनों को ही अग्रिम जमानत याचिका सुनने का समान अधिकार (Concurrent Jurisdiction) प्राप्त है।

Supreme Court of India

लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आरोपी सीधे हाई कोर्ट का रुख करें। अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट को ऐसी याचिकाएँ केवल विशेष कारणों और अपवादस्वरूप परिस्थितियों में ही स्वीकार करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायिक अनुशासन मांग है कि किसी भी आरोपी को सेशंस कोर्ट की अनदेखी करते हुए सीधे हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।

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