देश

अनुच्छेद 226 बनाम BNSS धारा 528: सुप्रीम कोर्ट ने बताया FIR और चार्जशीट रद्द करने का सही रास्ता

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि एफआईआर और चार्जशीट को संज्ञान से पहले अनुच्छेद 226 के तहत रद्द किया जा सकता है, लेकिन एक बार मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान ले लेने के बाद राहत पाने का रास्ता BNSS की धारा 528 ही है। अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश खारिज कर दिया और कहा कि हाई कोर्ट ने नीता सिंह बनाम यूपी केस को गलत तरीके से पढ़ा।
Supreme Court of India

Supreme Court of India

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि एफआईआर और चार्जशीट को संज्ञान लेने से पहले अनुच्छेद 226 के तहत रद्द किया जा सकता है, लेकिन एक बार मजिस्ट्रेट ने संज्ञान ले लिया जाए तो राहत केवल BNSS की धारा 528 से ही मिल सकती है।

अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसके तहत हाइकोर्ट ने एक याचिका को सिर्फ इसलिए निरस्त कर दिया था क्योंकि उसकी सुनवाई के दौरान चार्जशीट दाखिल हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने नीता सिंह बनाम यूपी (2024) के फैसले को गलत तरीके से समझा। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला राहत देते हुए याचिका को फिर से बहाल किया और साथ ही बॉम्बे हाई कोर्ट की रोस्टर बेंच को इसे नए सिरे से सुनने का निर्देश भी दिया।

सुप्रीम कोर्ट की मुख्य टिप्पणियां-

1. जब तक संज्ञान नहीं लिया गया है, तब तक अनुच्छेद 226 के तहत एफआईआर या चार्जशीट को रद्द किया जा सकता है।

2. लेकिन जैसे ही मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान का आदेश आ जाता है, तो संविधान के अनुच्छेद 226 का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उस स्थिति में BNSS की धारा 528 का सहारा लिया जा सकता है, जिसके तहत न केवल एफआईआर और चार्जशीट बल्कि संज्ञान लेने के आदेश को भी चुनौती दी जा सकती है, बशर्ते याचिका में यह मुद्दा ठीक से उठाया गया हो।

नीता सिंह केस और मौजूदा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नीता सिंह का केस अलग था क्योंकि वहां याचिका केवल अनुच्छेद 226 के तहत दायर हुई थी और तब तक संज्ञान लिया जा चुका था। लिहाजा, उस स्थिति में न्यायिक आदेश को writ jurisdiction यानी कि अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट को मिली शक्तियों से चुनौती नहीं दी जा सकती थी। लेकिन मौजूदा केस में याचिका अनुच्छेद 226 और BNSS धारा 528 दोनों के तहत दायर की गई थी। इसलिए बॉम्बे हाई कोर्ट को यह मामला सुनने का अधिकार था और वह एफआईआर, चार्जशीट और संज्ञान आदेश तीनों पर विचार कर सकता था।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। देश (India News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

Gaurav Srivastav author

टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पेंच से जुड़ी हर खबर आपको इस जगह मिलेगी। साथ ही चुना...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited