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Uttarakhand helicopter crash: घाटी के दुर्गम इलाकों में नहीं है adc और imd के सर्वर, उत्तराखंड के सरकारी अधिकारी ने कही यह बात

उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में रविवार को हुए हेलीकॉप्टर हादसे को लेकर नया खुलासा हुआ है। उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी की सचिव ने सोनिका मीणा ने कहा है कि घाटी के दुर्गम स्थानों में बिना एयर डिफेंस क्लीयरेंस सर्वर और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग सर्विलांस के उड़ान हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहे हैं।
HELI CRASH

सीमित तकनीकी बुनियादी ढांचे से हेलीकॉप्टर संचालन जोखिम भरा

नई दिल्ली: उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में हेलीकॉप्टर संचालन से संबंधित हाल के हादसों और सुरक्षा चिंताओं ने बिना एयर डिफेंस क्लीयरेंस (एडीसी) सर्वर और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के सर्विलांस के उड़ान भरने की समस्या को उजागर किया है। जो एक बेहद गंभीर विषय है कि आखिर कैसे बिना एटीसी की निगरानी के हैली सेवाएँ धड़ल्ले से चल रही हैं।

चारधाम यात्रा का एक प्रमुख तीर्थस्थल, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। हेलीकॉप्टर सेवाएँ श्रद्धालुओं के लिए एक सुविधाजनक और समय बचाने वाला विकल्प हैं, खासकर दुर्गम पहाड़ी रास्तों को देखते हुए। हालांकि, इस क्षेत्र की जटिल भौगोलिक स्थिति, अस्थिर मौसम, और सीमित तकनीकी बुनियादी ढांचे ने हेलीकॉप्टर संचालन को जोखिम भरा बना दिया है। हाल की खबरों और विशेषज्ञों के बयानों के अनुसार, केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्टर उड़ानें कई बार बिना रडार निगरानी, एडीसी सर्वर (जो उड़ान की सुरक्षा के लिए रक्षा मंजूरी देता है), और आईएमडी के वास्तविक समय के मौसम डेटा के बिना संचालित हो रही हैं। यह स्थिति हादसों की प्रमुख वजह बन रही है।

हाल की घटनाएँ 2025 में केदारनाथ मार्ग पर हेलीकॉप्टर से संबंधित कई गंभीर हादसे हुए, जो सुरक्षा खामियों को दर्शाते हैं:

15 जून 2025: आर्यन एविएशन का एक हेलीकॉप्टर गौरीकुंड और त्रिजुगीनारायण के बीच क्रैश हो गया, जिसमें पायलट और एक शिशु सहित सात लोगों की मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में खराब मौसम और कम दृश्यता को कारण बताया गया। हेलीकॉप्टर विजुअल फ्लाइट रूल्स (VFR) के तहत उड़ रहा था, जो पहाड़ी क्षेत्रों में जोखिम भरा है।

7 जून 2025: केस्ट्रेल एविएशन का एक हेलीकॉप्टर बदासू के पास तकनीकी खराबी के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग पर आपात लैंडिंग करने को मजबूर हुआ। इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन पायलट को मामूली चोटें आईं। 8 मई 2025: गंगोत्री धाम जाते समय एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें छह लोगों की मौत हुई।इन हादसों ने हेलीकॉप्टर उड़ानों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, खासकर तब जब उड़ानें बिना उचित रडार और मौसम निगरानी के हो रही हैं।

एडीसी सर्वर और आईएमडी सर्विलांस की कमी

एडीसी सर्वर:

एयर डिफेंस क्लीयरेंस (एडीसी) एक अनिवार्य प्रक्रिया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि हेलीकॉप्टर उड़ानें सैन्य और नागरिक हवाई क्षेत्र में सुरक्षित हों। केदारनाथ क्षेत्र में रडार कवरेज और एडीसी सर्वर की अनुपस्थिति के कारण हेलीकॉप्टर पायलट पूरी तरह से मैनुअल नेविगेशन और दृश्य संदर्भों पर निर्भर हैं। यह विशेष रूप से खराब मौसम में खतरनाक है, क्योंकि पायलट को हवाई ट्रैफिक या अन्य बाधाओं की जानकारी नहीं मिलती।

आईएमडी सर्विलांस:

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) वास्तविक समय में मौसम डेटा प्रदान करता है, जो उड़ान सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। केदारनाथ घाटी में मौसम स्टेशन और रडार की कमी के कारण पायलटों को सटीक मौसम पूर्वानुमान नहीं मिलता। हिमालयी क्षेत्र में मौसम पल-पल बदलता है, और बिना आईएमडी डेटा के उड़ानें जोखिम भरी हो जाती हैं। एक वरिष्ठ पायलट ने बताया कि क्षेत्र में "कोई एयर ट्रैफिक कंट्रोल नेटवर्क या मौसम स्टेशन नहीं है," जिससे हादसों की संभावना बढ़ जाती है।

हादसों के प्रमुख कारणविशेषज्ञों और जांच रिपोर्टों के अनुसार, निम्नलिखित कारक हेलीकॉप्टर हादसों का कारण बन रहे हैं

अस्थिर मौसम: हिमालयी क्षेत्र में घना कोहरा, तेज हवाएँ, और अचानक बारिश दृश्यता को शून्य कर देती हैं।रडार और निगरानी की कमी: बिना रडार और एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) के, पायलटों को अन्य हेलीकॉप्टरों या बाधाओं की जानकारी नहीं मिलती।

तकनीकी खराबी:

पुराने हेलीकॉप्टर और अपर्याप्त रखरखाव भी हादसों का कारण हैं। अधिक उड़ानें: चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर उड़ानों की संख्या बढ़ गई है। पहले एक घंटे में 25-30 उड़ानें होती थीं, जो अब 9-10 तक सीमित कर दी गई हैं, लेकिन फिर भी दबाव बना रहता है।

अपर्याप्त प्रशिक्षण: उच्च ऊंचाई और जटिल इलाकों में उड़ान के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, जो सभी पायलटों के पास नहीं है।

सरकारी और प्रशासनिक प्रतिक्रियाहाल के हादसों के बाद, उत्तराखंड सरकार और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने कुछ कदम उठाए हैं:

उड़ानों में कटौती:

डीजीसीए ने हेलीकॉप्टर उड़ानों को 25-35% कम कर दिया और केस्ट्रेल एविएशन की सेवाओं पर रोक लगा दी।

सुरक्षा मानकों का सख्तीकरण:

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेलीकॉप्टर की तकनीकी जांच और मौसम डेटा के बिना उड़ान न करने के निर्देश दिए। एक तकनीकी समिति गठित की गई है, जो नए मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) की समीक्षा करेगी।

हेली सेवाओं का निलंबन:

15 जून के हादसे के बाद केदारनाथ की सभी हेली सेवाएँ अगले आदेश तक निलंबित कर दी गईं।

जांच: एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने हादसों की प्रारंभिक जांच शुरू की है।

चुनौतियाँ और समाधानचुनौतियाँ:केदारनाथ का दुर्गम इलाका और संकीर्ण घाटियाँ आपात लैंडिंग को मुश्किल बनाती हैं।

रडार और मौसम स्टेशनों की स्थापना में लागत और भौगोलिक बाधाएँ।निजी हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों द्वारा सुरक्षा नियमों की अनदेखी।

संभावित समाधान:

रडार और मौसम स्टेशन स्थापित करना: आईएमडी के सहयोग से स्थानीय मौसम स्टेशन और रडार नेटवर्क स्थापित किए जाएँ।

एडीसी सर्वर लागू करना:

सैन्य और नागरिक समन्वय के साथ एडीसी प्रक्रिया को अनिवार्य किया जाए।

आधुनिक हेलीकॉप्टर:

पुराने हेलीकॉप्टरों को उन्नत मॉडलों से बदला जाए।

पायलट प्रशिक्षण:

उच्च ऊंचाई और खराब मौसम में उड़ान के लिए विशेष प्रशिक्षण अनिवार्य हो।

उड़ान नियमन: प्रति घंटा उड़ानों की संख्या को और कम किया जाए ताकि भीड़भाड़ से बचा जाए।

केदारनाथ में हेलीकॉप्टर उड़ानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एडीसी सर्वर और आईएमडी सर्विलांस की कमी को तत्काल दूर करना होगा। हाल के हादसों ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना उचित तकनीकी और मौसम निगरानी के उड़ानें जानलेवा हो सकती हैं। सरकार और डीजीसीए के हालिया कदम सकारात्मक हैं, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश, सख्त नियम, और ऑपरेटरों की जवाबदेही जरूरी है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए हेली सेवाओं को और अधिक व्यवस्थित और सुरक्षित करना होगा

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    अभिषेक सिन्हा author

    पत्रकारिता में 23वर्षों का अनुभव पिछले 19 वर्षों से उत्तराखंड की छोटी से लेकर बड़ी ख़बरों को करने में अहम योगदान एवं सबसे आगे, दिल्ली एनसीआर में जैन ट...और देखें

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