मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण, WHO ने Ozempic जैसी दवाओं को ‘Essential Medicines’ की List में किया शामिल

WHO ने Ozempic जैसी दवाओं को ‘Essential Medicines’ की List में किया शामिल (WHO& Canva)
मोटापा अब सिर्फ एक लाइफस्टाइल समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है और इस दिशा में एक बड़ा बदलाव लाया है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने। WHO ने पहली बार एंटी-ओबेसिटी दवाओं को अपनी Essential Medicines List (EML) में जगह दी है। इस सूची में Ozempic जैसी लोकप्रिय और वैज्ञानिक रूप से प्रभावी दवाएं शामिल की गई हैं, जिन्हें अब मोटापे और उससे जुड़ी बीमारियों के इलाज में "अनिवार्य" माना जाएगा।
उम्मीद की एक नई किरण
WHO के इस ऐतिहासिक फैसले को मोटापे से जूझ रहे करोड़ों लोगों के लिए उम्मीद की एक नई किरण बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल इन दवाओं की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि उनकी कीमतों में भी वैश्विक स्तर पर गिरावट आ सकती है। खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में यह एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
क्या है Ozempic?
Ozempic (सेमाग्लूटाइड) एक ऐसी दवा है जो डायबिटीज़ टाइप-2 के इलाज में उपयोग होती रही है, लेकिन इसके वज़न कम करने के प्रभाव को देखते हुए हाल के वर्षों में इसे मोटापे के इलाज में भी उपयोग किया जाने लगा। यह दवा GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट नामक श्रेणी में आती है, जो शरीर की भूख नियंत्रित करने में मदद करती है।
WHO का यह कदम क्यों खास है?
- यह पहली बार है जब मोटापे से जुड़ी दवाओं को WHO की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल किया गया है।
- इससे संकेत मिलता है कि अब मोटापा एक वैश्विक महामारी के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त कर चुका है।
- इस सूची को 150 से ज्यादा देशों की स्वास्थ्य नीतियों में अहम स्थान दिया जाता है, जिससे दवा नीति में बड़े स्तर पर बदलाव संभव होंगे।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
दिल्ली के एंडोक्रिनोलॉजिस्ट का कहना है कि यह फैसला न केवल चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि अब हम मोटापे को गंभीरता से ले रहे हैं।"
क्या होगा आगे?
अब सरकारें और स्वास्थ्य एजेंसियां WHO की सूची के आधार पर इन दवाओं की खरीद, वितरण और सब्सिडी तय करेंगी। इससे लाखों ऐसे मरीज़ों को राहत मिल सकती है जो अब तक इन महंगी दवाओं का खर्च वहन नहीं कर पाते थे। WHO का यह कदम न केवल चिकित्सा नीति में बदलाव का संकेत है, बल्कि यह सामाजिक चेतना के स्तर पर भी बदलाव की शुरुआत है। अब मोटापा ‘लाइफस्टाइल इशू’ नहीं, बल्कि “एक चिकित्सा ज़रूरत” बन चुका है और इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मूल की भावना ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIMC से 2014 में पत्रकारिता की पढ़ाई की. 10 सालों से मीडिया में काम कर रही हैं. न्यू...और देखें

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