सुरक्षा ही नहीं, धार्मिक कारणों से भी बनाए जाते हैं नो फ्लाइंग जोन, जानें क्यों कुछ क्षेत्रों में उड़ान भरने की अनुमति नहीं होती
no flying zone ka matlab kya hota hai: नो फ्लाइंग ज़ोन (No Flying Zone) एक ऐसी जगह या आकाशीय क्षेत्र जहां किसी भी प्रकार के हवाई जहाज़, हेलिकॉप्टर या ड्रोन को उड़ान भरने की अनुमति नहीं होती। इसे हिंदी में उड़ान निषेध क्षेत्र या "विमानन निषेध क्षेत्र भी कहा जाता है।
नो-फ्लाई ज़ोन वह क्षेत्र होता है जहाँ हवाई जहाजों या ड्रोन का उड़ान भरना प्रतिबंधित होता है।
नो फ्लाइंग ज़ोन क्यों बनाया जाता है?सुरक्षा कारण:
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नो फ्लाइंग ज़ोन के नियम- कोई भी विमान या ड्रोन बिना अनुमति के इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकता।
- नियम तोड़ने पर भारी जुर्माना या कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
- कुछ नो फ्लाइंग ज़ोन समय-समय पर बदले भी जाते हैं, खासकर युद्ध या संकट के समय।
नो फ्लाइंग ज़ोन का उदाहरण
- राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन, संसद भवन के आसपास का क्षेत्र नो फ्लाइंग ज़ोन होता है।
- युद्ध या संघर्ष के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों के ऊपर भी नो फ्लाइंग ज़ोन लागू किया जाता है।
अमरनाथ यात्रा के दौरान नो फ्लाइंग जोन
राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन, संसद भवन के आसपास का क्षेत्र नो फ्लाइंग ज़ोन होता है।
भारत में नो फ्लाइंग जोन के प्रमुख क्षेत्र:
- रक्षा क्षेत्र
- सेना, नौसेना, वायु सेना के अड्डे और उनकी सीमाएँ।
- मिसाइल लॉन्च साइट्स और हथियार भंडार।
- सरकारी भवन और संवेदनशील क्षेत्र
- संसद भवन
- राष्ट्रपति भवन
- प्रधानमंत्री कार्यालय
- उच्च सुरक्षा वाले सरकारी कार्यालय और इमारतें
- हवाई अड्डे के आसपास
- सभी प्रमुख और क्षेत्रीय हवाई अड्डों के आस-पास के कुछ किलोमीटर के क्षेत्र।
- यह क्षेत्र ड्रोन के लिए सख्त प्रतिबंधित होता है।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में संवेदनशील क्षेत्र
- स्मारक और विरासत स्थल
- ताजमहल, कुतुब मीनार, लाल किला, इंडिया गेट आदि के आसपास।
- यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स के आसपास।
- कुछ औद्योगिक और ऊर्जा उत्पादन केंद्र
- परमाणु ऊर्जा संयंत्र
- तेल रिफाइनरियाँ और बड़े औद्योगिक क्षेत्र
- सैन्य अभ्यास क्षेत्र
- जहां नियमित सैन्य अभ्यास होते हैं, वहां उड़ान प्रतिबंध लागू होते हैं।
पत्रकारिता में मेरे सफर की शुरुआत 20 साल पहले हुई। 2002 अक्टूबर में टीवी की रुपहले दुनिया में दाखिल ...और देखें
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