हजारों साल से आबाद हैं भारत के ये 7 शहर, कहीं आपकी सिटी भी इनमें से एक नहीं?
भारत का हर शहर एक कहानी है और कुछ ऐसे हैं जो सिर्फ ऐतिहासिक नहीं बल्कि हजारों सालों से लगातार बसे हुए हैं। ये शहर संस्कृति, आस्था और विरासत के अनमोल प्रतीक माने जाते हैं। इनकी गलियों में आज भी अतीत की गूंज सुनाई देती है। ऐसे में आइए जानते हैं इन शहरों के बारे में।

अयोध्या (Ayodhya), उत्तर प्रदेश
सरयू नदी के किनारे बसा अयोध्या एक पौराणिक और अत्यंत पवित्र शहर है, जिसे रामायण में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है। यह हिंदुओं के सात पवित्र नगरों (सप्तपुरी) में से एक है। ऐतिहासिक रूप से इसकी पहचान साकेत नामक प्राचीन बौद्ध केंद्र के रूप में भी की गई है, जो 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में प्रमुख था। त्रेता के ठाकुर, गुप्तार घाट, गुलाब बाड़ी और बहू बेगम की समाधि जैसे स्थल इसकी ऐतिहासिक गरिमा को और बढ़ाते हैं।

वाराणसी (Varanasi), उत्तर प्रदेश
गंगा नदी के तट पर बसा वाराणसी, जिसे बनारस या काशी के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया के सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक है। यह शहर भारतीय वैदिक संस्कृति की जन्मस्थली है और आज भी अपने 84 घाटों, धार्मिक क्रियाकलापों और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है। वाराणसी न केवल धर्म और दर्शन का केंद्र रहा है, बल्कि यह शिक्षा, वस्त्र निर्माण (विशेष रूप से रेशम और ब्रोकेड) और व्यापार का भी एक अहम केंद्र रहा है।

कन्नौज (Kannauj), उत्तर प्रदेश
कन्नौज का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है और यह कभी तीन प्रमुख राजवंशों का राजनीतिक केंद्र रहा। ‘कन्याकुब्ज’ से बना इसका नाम दर्शाता है कि यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध स्थल रहा है। इसे ‘भारत की इत्र राजधानी’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां पारंपरिक इत्र और गुलाब जल का निर्माण होता है। अजयपाल मंदिर, राजा जयचंद्र का किला और बाबा गौरीशंकर मंदिर यहां के प्रसिद्ध आकर्षण हैं।

पटना (Patna), बिहार
गंगा नदी के तट पर बसा पटना, प्राचीन काल में ‘पाटलिपुत्र’ के नाम से प्रसिद्ध था। यह मौर्य साम्राज्य की राजधानी और नालंदा व विक्रमशिला जैसे महान विश्वविद्यालयों का पड़ोसी रहा है। यह नगर विद्वानों और विचारकों का गढ़ रहा, जिनमें आर्यभट्ट और चाणक्य प्रमुख हैं। पादरी की हवेली, गोलघर और पटना संग्रहालय इस शहर के ऐतिहासिक वैभव की झलक आज भी देते हैं। आधुनिक काल में पटना बिहार की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है।

उज्जैन (Ujjain), मध्य प्रदेश
क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित उज्जैन एक प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक नगर है, जिसकी जड़ें महाभारत काल तक जाती हैं। यह कभी अवंती साम्राज्य की राजधानी रहा और 600 ईसा पूर्व में मध्य भारत का एक प्रमुख सांस्कृतिक और साहित्यिक केंद्र था। उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, सिंहस्थ कुंभ मेला और भैरोगढ़ की विशिष्ट टाई-डाई कपड़ों के लिए प्रसिद्ध है। यहां कालिदास जैसे कवियों ने भी अपनी अमर रचनाएं रची हैं।

मदुरै (Madurai), तमिलनाडु
मदुरै का उल्लेख तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के यूनानी लेखों में मिलता है। मेगस्थनीज, इब्न बतूता और मार्को पोलो जैसे यात्रियों ने भी अपनी यात्रा में इस नगर की समृद्धि और महत्व को दर्शाया है। रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार करने वाला यह नगर आज भी मीनाक्षी अम्मन मंदिर और तिरुमलाई नायक पैलेस जैसे ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यह तमिलनाडु का दूसरा सबसे बड़ा शहर भी है।

तंजावुर (Thanjavur), तमिलनाडु
पहले 'तंजौर' नाम से जाना जाने वाला तंजावुर, तंजावुर चित्रकला और चोल वंश की स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस शहर का नाम राक्षस तंजनासुर के नाम पर पड़ा, जिसे देवी आनंदवल्ली अम्मन और भगवान विष्णु ने पराजित किया था। बृहदेश्वर मंदिर और शिवगंगा किला यहां की प्रमुख धरोहरें हैं। यह शहर ग्रेट लिविंग चोल टेम्पल्स नामक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का हिस्सा भी है।

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