ताले-चाबी की नगरी कहलाता है भारत का यह शहर, मुगलों और अंग्रेजों से जुड़ा है यहां का इतिहास

भारत का एक ऐतिहासिक शहर अपनी अनोखी ताला-चाबी की कारीगरी के लिए दुनिया भर में मशहूर है। यहां बने ताले मजबूती और गुणवत्ता के प्रतीक माने जाते हैं और इनका इतिहास मुगलों व अंग्रेजों दोनों से जुड़ा है। सदियों पुरानी यह कला आज भी कारीगरों के हाथों से जीवित है, जो इसे एक पहचान दिलाती है। तो आइए जानते हैं इस शहर के बारे में।

ताले-चाबी की नगरी
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​ताले-चाबी की नगरी

भारत का अलीगढ़ शहर तालों के लिए प्रसिद्ध है। इसे ताले-चाबी की नगरी भी कहा जाता है। यहाँ के तालों की गुणवत्ता और मजबूती के कारण यह दुनिया भर में मशहूर है। (फोटो: iStock)

ऐतिहासिक महत्व
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​ऐतिहासिक महत्व

1870 में, एक ब्रिटिश व्यापारी ने अलीगढ़ में ताला बनाने की फैक्ट्री खोली, जिससे इस उद्योग को और बढ़ावा मिला। (फोटो: iStock)

मुगल काल से जुड़ाव
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​मुगल काल से जुड़ाव

अलीगढ़ के तालों का इतिहास मुगल काल से जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि यहां बादशाह अकबर के संरक्षण में कुशल कारीगरों ने खजानों और किलों की सुरक्षा के लिए जटिल ताले बनाए। (फोटो: Canva)

ताले की कारीगरी
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​ताले की कारीगरी

अलीगढ़ के ताले आज भी मुख्य रूप से कारीगरों द्वारा हाथों से बनाए जाते हैं, जिनमें 90 से अधिक प्रक्रियाएं शामिल हैं। (फोटो: Canva)

आर्थिक महत्व
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​आर्थिक महत्व

अलीगढ़ के ताला उद्योग शहर की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और कई लोगों के लिए आजीविका का स्रोत है। (फोटो: Canva)

सुरक्षा के लिए इस्तेमाल
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​सुरक्षा के लिए इस्तेमाल

आज, अलीगढ़ में ताला उद्योग एक प्रमुख उद्योग है और यहां के ताले न केवल घरों, दुकानों और गोदामों में, बल्कि बैंकों और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में भी सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होते हैं। (फोटो: Canva)

भौगोलिक संकेतक
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​भौगोलिक संकेतक

अलीगढ़ के तालों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग भी मिला हुआ है, जो इस बात का प्रमाण है कि ये ताले असली अलीगढ़ के बने हुए हैं और इनकी गुणवत्ता उच्च है। (फोटो: Canva)

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