अंतरिक्ष से कैसे मौसम का चल जाता है पता, कहां आएगा भूकंप और कहां आएगी सुनामी, कैसे पता लगा लेती है सैटेलाइट?
आधुनिक युग में मौसम की निगरानी के लिए सैटेलाइट्स का प्रयोग होता है, जो अंतिरक्ष से पृथ्वी पर नजर रखती है। सैटेलाइट्स पृथ्वी के वातावरण की लगातार तस्वीरें और डाटा भेजते हैं। ये सैटेलाइट्स बादलों की स्थिति, तापमान, हवा की गति, नमी, और बारिश के पैटर्न को मापते हैं। इससे मौसम के बदलावों का पता चलता है और तूफान, बारिश, या सूखे की भविष्यवाणी की जा सकती है। भूकंप को सीधे सैटेलाइट से भांपा नहीं जा सकता, क्योंकि भूकंप जमीन के अंदर होता है। लेकिन सैटेलाइट्स भू-भाग में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों को डिटेक्ट कर सकते हैं। इसके साथ ही, ज़मीन के कंपन को महसूस करने वाले सेंसर (सेस्मोमीटर) और जमीन की सतह में हल्की हलचल को सैटेलाइट से देखा जा सकता है। इससे वैज्ञानिक भूकंप के संभावित क्षेत्रों की पहचान कर पाते हैं।

मौसम निगरानी के लिए सैटेलाइट्स का काम
मौसम के बदलावों को समझने के लिए पृथ्वी की कक्षा में माउंट किए गए मौसम सैटेलाइट लगातार बादलों, हवा, तापमान और नमी की तस्वीरें और डाटा भेजते हैं। ये डाटा मौसम विभागों को मौसमी पैटर्न की सटीक जानकारी देते हैं। (फोटो- Copilot AI)

बादलों और तूफानों की पहचान
सैटेलाइट इन्फ्रारेड और रडार तकनीक से बादलों की मोटाई, गति और दिशा को ट्रैक करते हैं। इससे आने वाले तूफानों, चक्रवातों और बारिश की संभावना का पूर्वानुमान लगाया जाता है। (फोटो- Canva)

सैटेलाइट से तापमान और हवा की जानकारी
सैटेलाइट की मदद से धरती और समुद्र की सतह का तापमान नापा जाता है, साथ ही हवा की गति और दिशा भी पता लगाई जाती है, जो मौसम के पूर्वानुमान के लिए जरूरी होते हैं। (फोटो- Canva)

भूकंप के संभावित क्षेत्र की पहचान
भूकंप सीधे सैटेलाइट से मापा नहीं जा सकता, लेकिन सैटेलाइट से ज़मीन की सतह में होने वाले सूक्ष्म बदलावों को डिटेक्ट किया जा सकता है। ये बदलाव भूकंप आने के पहले हो सकते हैं। इसके अलावा, ज़मीन पर लगे सेस्मोमीटर सेंसर कंपन को रिकॉर्ड करते हैं। (फोटो- Canva)

भू-भाग की सतह की निगरानी
सैटेलाइटों की मदद से प्लेट टेक्टोनिक्स यानी ज़मीन की सतह की गति का पता लगाया जाता है, जिससे भूकंप के सक्रिय जोन समझे जा सकते हैं। (फोटो- Canva)

डाटा के संयोजन से पूर्वानुमान
सैटेलाइट के डाटा को जमीन पर लगे सेंसर, समुद्री ब्वॉयज़ और मौसम स्टेशनों से मिले डाटा के साथ मिलाकर वैज्ञानिक सटीक पूर्वानुमान बनाते हैं, जिससे समय रहते चेतावनी जारी की जा सके। (फोटो- Canva)

सुनामी की शुरुआती चेतावनी
सुनामी समुद्र में भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट से होती है। सैटेलाइट समुद्र की सतह की ऊंचाई और लहरों की गति को मॉनिटर करते हैं। अचानक लहरों में बदलाव आने पर यह चेतावनी देते हैं। (फोटो- Canva)

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