स्पेस में बड़ी दिलचस्प है सनराइस और सनसेट की पहेली? शुभांशु शुक्ला एक दिन इतनी बार देखेंगे सूर्योदय और सूर्यास्त

इस वक्त शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष पर जाने से एक बार फिर स्पेस की चर्चा सुर्खियों में है। अंतरिक्ष में सूर्योदय और सूर्यास्त बिल्कुल अलग होता है और धरती की तरह नहीं होता है। अंतरिक्ष में सूर्योदय और सूर्यास्त उस जगह पर निर्भर करता है कि वह पृथ्वी की रोशनी में है या उसकी छाया में। अंतरिक्ष यान तेजी से घूमने की वजह से वे बहुत जल्दी-जल्दी सूर्योदय और सूर्यास्त देखते हैं। अंतरिक्ष में दिन-रात का अनुभव बहुत ही तेज़ होता है।

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दोनों होते है अलग

अंतरिक्ष में सूर्यास्त और सूर्योदय का अनुभव पृथ्वी से थोड़ा अलग होता है।

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अंतरिक्ष में आसमान नहीं

अंतरिक्ष में सूरज कभी डूबता या उगता नहीं है क्योंकि वहां कोई हवा या आसमान नहीं है।

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सूर्योदय सूर्यास्त की अलग है पहेली

पृथ्वी पर सूर्योदय तब होता है जब सूरज जमीन के ऊपर उगता है और सूर्यास्त तब होता है जब सूरज नीचे चला जाता है

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90 मिनट का दिन और रात

ISS पृथ्वी के चारों तरफ 28163 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार चक्कर लगाता है। जिसके कारण ISS 24 घंटे में 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त का नजारा देखता है। ISS में 90 मिनट का दिन और 90 मिनट की रात होती है

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ऐसे होता है सूर्यास्त

अंतरिक्ष यान जब अंतरिक्ष यान पृथ्वी की छाया में आता है तो वहां सूरज छुप जाता है (सूर्यास्त जैसा)।

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ऐसे होता है सूर्योदय

जब यान छाया से बाहर निकलता है तब सूरज दिखाई देता है (सूर्योदय जैसा)।

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90 मिनट में सूर्योदय-सूर्यास्त

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर हर 90 मिनट में पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है, इसलिए वहां लगभग हर 90 मिनट में सूर्योदय और सूर्यास्त होता है।

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यान करता है परिक्रमा

पृथ्वी की सतह पर दिन-रात 24 घंटे में एक चक्र पूरा होता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जैसे यान लगभग हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। इसका मतलब है कि वहां 90 मिनट में सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों होते हैं!

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सूरज हमेशा चमकदार दिखता है।

अंतरिक्ष में सूर्य की रोशनी कभी भी पूरी तरह से नहीं छिपती क्योंकि वहां वायुमंडल नहीं है जो रोशनी को फैलाता या छुपाता है। इसलिए सूरज हमेशा चमकदार दिखता है। लेकिन पृथ्वी की छाया में आने पर सूरज अचानक गायब हो जाता है, जो कि वहां सूर्यास्त जैसा अनुभव है।