अक्षय तृतीया और जगन्‍नाथ यात्रा का क्‍या है आपस में संबंध, क्‍यों इस तिथि‍ से पुरी में शुरू हो जाती है हलचल

Puri Jagannath Rathyatra Akshay Tritiya Relation: ओडिशा में बुधवार को अक्षय तृतीया का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस तिथि का बहुत बड़ा संबंध भगवान जगन्नाथ की सालाना होनेवाली रथयात्रा से भी है और इसकी तैयारी आज ही के पावन दिन से शुरु हो जाती है। अक्षय तृतीया का सीधा संबंध जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारी से भी है। ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ के भव्य रथों के निर्माण की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन से ही शुरु हो जाती है। अक्षय तृतीया जिसे अक्षी तृतीया भी कहा जाता है, वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। सनातन धर्म में इस दिन को विशेष दिन माना गया है और इस दिन को किसी भी कार्य के शुभारंभ के लिए सर्वश्रेष्ण माना जाता है।

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जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारी का शुभारंभ

अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व भी गहरा है। इस दिन पुरी में भगवान जगन्नाथ की चंदन यात्रा शुरू होती है, जो मंदिर के अनुष्ठान कैलेंडर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मान्यता है कि इसी दिन गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी। सत्य युग की शुरुआत और भगवान विष्णु का सत्यनारायण रूप में जन्म भी इसी दिन हुआ था। भविष्य पुराण और विष्णु धर्मोत्तर पुराण के अनुसार, इस दिन किए गए दान और धार्मिक कार्य अनंत फल देते हैं।

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Photo : PHOTO CREDIT- (Wikimedia Commons )

रथयात्रा के निर्माण की शुरु होती है प्रक्रिया

पुरी के जगन्नाथ मंदिर में अक्षय तृतीया के दिन वार्षिक रथ यात्रा के लिए तीन रथों के निर्माण की औपचारिक शुरुआत होती है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के लिए बनने वाले रथों के निर्माण स्थल पर पवित्र अग्न्या माला ले जाकर प्रक्रिया शुरू की जाती है।

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Photo : PHOTO CREDIT- (Wikimedia Commons )

12 तरह की लकड़ियों से बनता है रथ

पुरी के भगवान जगन्नाथ की रथों में 12 तरह के पेड़ों की लकड़ियां लगती हैं। लेकिन लकड़ियों में आसन, धौरा और फासी अहम हैं। आसन की लकड़ी से रथ का दंडा बनता है। फासी से पहिए और तुंभ, धौरा से अख चढ़ेई बनते हैं।

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Photo : PHOTO CREDIT- (Wikimedia Commons )

रथ की लकड़ियों से से सालभर बनता है प्रसाद

रथ यात्रा के बाद तीनों रथों की लकड़ी भगवान की रसोई में रखी जाती है। इन लकड़ियों को जलाकर सालभर भगवान का महाप्रसाद बनता है। यह प्रसाद हर दिन 30 हजार भक्तों को दिया जाता है।

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Photo : PHOTO CREDIT- (Wikimedia Commons )

27 जून से होगी रथयात्रा की शुरुआत

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 26 जून को दोपहर 01 बजकर 25 मिनट से होगी। वहीं, तिथि का समापन 27 जून को सुबह 11 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 27 जून से होगी।

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रथयात्रा के दौरान उमड़ती है भारी भीड़

हर साल आषाढ़ माह में ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ की यात्रा निकाली जाती है। यात्रा के दौरान तीन रथों पर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र विराजमान होते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान के रथ को स्पर्श करने मात्र से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी में इस अद्भुत आयोजन में शामिल होने के लिए आते हैं।