अध्यात्म

हरतालिका तीज की संपूर्ण व्रत कथा यहां देखें, जानिए कैसे लोकप्रिय हुआ ये व्रत

हरतालिका तीज की व्रत कथा माता पार्वती और भगवान शिव से जुड़ी हुई है। कहते हैं सबसे पहले माता पार्वती ने ही ये कठोर व्रत किया था। जिसके पुण्य प्रभाव से उन्हें भगवान शिव की प्राप्ति हुई थी। चलिए जानते हैं हरतालिका तीज व्रत की संपूर्ण कथा।

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हरतालिका तीज व्रत सिर्फ सुहागिन महिलाओं ही नहीं बल्कि कुंवारी लड़कियों के लिए भी खास होता है। कहते हैं इस व्रत को करने से पति को लंबी आयु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत में महिलाएं प्रदोष काल में शिव-पार्वती की विधि विधान पूजा करती हैं। साथ ही इस दौरान हरतालिका तीज की कहानी भी जरूर सुनती हैं। जिसके बिना तीज व्रत पूरा नहीं माना जाता। चलिए जानते हैं हरतालिका तीज की व्रत कथा हिंदी में यहां।

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हरतालिका तीज व्रत कथा

पौराणिक कथा अनुसार माता पार्वती ने अपने पिछले जन्म में भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने हिमालय पर गंगा के तट पर बाल्यावस्था में ही अधोमुखी होकर कठिन तप किया। अपनी इस तपस्या के दौरान वे सिर्फ सूखे पत्ते चबाकर ही रहीं। अन्न का बिल्कुल भी सेवन नहीं किया। इसके बाद कई वर्षों तक उन्होंने सिर्फ हवा ही ग्रहण कर अपना जीवन गुजारा। जब उनके पिता ने अपनी बेटी की ऐसी दशा देखी तो वे बहुत दुखी हुए।

कुछ समय बाद महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वतीजी के लिए विवाह प्रस्ताव लेकर आए। इस विवाह प्रस्ताव को पार्वती जी के पिता ने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया। जब माता पार्वती को ये बात पता चली तो वह बहुत दु:खी हुईं और जोर-जोर से रोने लगीं। जब माता पार्वती की सखी को उनके दुख का कारण पता चला तो वे उन्हें घने वन में लेकर चली गईं और फिर वहीं पार्वती जी एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना में लग गईं। कहते हैं मां पार्वती के इस तपस्वनी रूप को ही नवरात्रि में शैलपुत्री के नाम से पूजा जाने लगा।

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