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Jitiya Puja Samagri List: जितिया पूजा में क्या-क्या सामान लगता है? फटाफट नोट कर लें पूरी सामग्री लिस्ट

Jitiya Puja Samagri List In Hindi (जितिया व्रत पूजा सामग्री): साल 2025 में 14 सितंबर को जितिया का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। जितिया की पूजा में कौन-कौन सा सामान लगता है, इसकी पूरी लिस्ट आप यहां से देख सकते हैं।

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Jitiya Puja Samagri List In Hindi (जितिया व्रत पूजा सामग्री): हिंदू धर्म में जितिया व्रत यानी जीवित्पुत्रिका का विशेष महत्व माना जाता है। ये त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। जितिया का ये व्रत शादीशुदा महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। व्रत निर्जला होता है, यानी इसमें खाना और पानी कुछ भी नहीं ले सकते हैं। इस व्रत की शुरुआत आश्विन कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर नहाय खाय के साथ होती है और नवमी तिथि के दिन इसका पारण हो जाता है। जितिया की पूजा पूरे विधि विधान से होती है। इस पूजा में कई तरह के सामान भी लगते हैं। आप यहां से जितिया की पूजा में लगने वाले सामान की लिस्ट देख सकते हैं। यहां जितिया व्रत पूजा सामग्री मौजूद है।

जितिया व्रत पूजा सामग्री (pic credit: iStock)

जितिया पूजा सामग्री लिस्ट (Jitiya Puja Mein Kya Kya Saman Lagta Hai)-

  • कुश (जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाने के लिए)
  • गाय का गोबर (चील व सियारिन की आकृति बनाने के लिए)
  • अक्षत यानि चावल
  • पेड़ा
  • दूर्वा की माला
  • श्रृंगार का सामान
  • सिंदूर पुष्प
  • पान और सुपारी
  • लौंग और इलायची
  • मिठाई
  • फल
  • फूल
  • गांठ का धागा
  • धूप-दीप
  • बांस के पत्ते
  • सरसों का तेल

जितिया व्रत पूजा विधि (Jitiya Vrat Puja Vidhi In Hindi)-

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जितिया व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर विधि विधान पूजा करें। फिर पूरे दिन निर्जला व्रत रहें। शुभ मुहूर्त में पूजा के लिए कुशी से बनी भगवान जीमूतवाहन की मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित किया जाता है। धूप, दीप, फल, फूल आदि। भगवान को अर्पित किये जाते हैं। इसके अलावा, सियारों और चील की मूर्ति को गाय के गोबर से लीपा जाता है और फिर मूर्ति पर लाल सिन्दूर लगाया जाता है। जितिया व्रत पूजा करने के बाद भगवान जीमूतवाहन और जितिया व्रत की कथा सुनी जाती है। फिर अगले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें और निर्जला व्रत खोलें।

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