अध्यात्म

Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर मौन क्यों रहा जाता है? जानिए इसका कारण और महत्व

Mauni Amavasya 2025: माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन मौन रहकर व्रत किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि मौनी अमावस्या के दिन मौन क्यों रहा जाता है। इसके पीछे कारण और महत्व।

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Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या का व्रत हर साल माघ मास की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। इस अमावस्या को माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस साल मौनी अमावस्या का व्रत 29 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। इसी दिन महाकुंभ मेले में तीसरा शाही स्नान किया जाएगा। शास्त्रों में अमावस्या तिथि को बहुत ही खास माना जाता है। ये तिथि गंगा स्नान, दान और पितरों की पूजा के लिए समर्पित होती है। हर अमावस्या का अपना विशेष अर्थ और महत्व होता है, लेकिन मौनी अमावस्या को शास्त्र में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इस अमावस्या के दिन साधक को मौन रहकर व्रत करना होता है। मौनी अमावस्या की तिथि जप, तप और साधना करने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने के कई कारण है। ऐसे में आइए जानते हैं कि मौनी अमावस्या के दिन मौन क्यों रहा जाता है।

Mauni Amavasya 2025

मौनी अमावस्या पर क्यों रहते हैं मौन

मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विधान है। इस दिन साधक मौन रहकर व्रत रखते हैं। मौन व्रत साधु संतों के द्वारा किया जाता है। इस व्रत को रखने से मन को नियंत्रित किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन जप और तप करने का विधान है। इस दिन मौन व्रत रखने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है और साधना में भी मन लगता है। जो व्यक्ति इस दिन मौन व्रत रखने से मुनि पद की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार मौन व्रत रखने से व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मौनी अमावस्या व्रत नियम (Mauni Amavasya Niyam)

  • मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान किया जाता है और ध्यान किया जाता है।
  • उसके बाद पूरे दिन मौन रहकर व्रत किया जाता है और जप तप किया जाता है।
  • इस तिथि के समाप्ति के बाद मौन व्रत पूर्ण होता है। उसके बाद बोल सकते हैं।
  • व्रत खोलने के बाद भगवान राम का नाम लेना चाहिए।
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