अध्यात्म

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में भूलकर भी न करें ये 3 गलतियां, वरना श्राद्ध और तर्पण के बाद भी सालों तक भुगतेंगे गंभीर परिणाम

Pitru Paksha 2025: हर साल पितृपक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से प्रारंभ होता है। ये 15 दिनों का होता है और इस दौरान लोग तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करते हैं। पितृपक्ष में कुछ ऐसे काम हैं जो बिल्कुल भी नहीं किए जाने चाहिए। अगर ये काम किए गए तो पूर्वज नाराज हो जाते हैं और घर में कई तरह की परेशानियां आ जाती हैं।

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Pitru Paksha 2025: भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तिथि हमारे पूर्वजों को यानी पितरों को समर्पित रहता है, इसलिए इसे पितृपक्ष कहते हैं। पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने की कोशिश की जाती है, जिससे घर में सुख-शांति आती है। लेकिन वहीं, अगर पूर्वज नाराज हो जाएं तो काफी बुरा असर पड़ता है और ये शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से नजर आता है। हम यहां आपको उन चीजों के बारे में बता रहे हैं जो आपको पितृपक्ष में नहीं करनी है।

पितृपक्ष में न करें ये गलतियां (AI Generated)

पितृपक्ष में न करें ये गलतियां-

  • पितृपक्ष में भूलकर भी न करें ये 3 गलतियां, वरना श्राद्ध और तर्पण के बाद भी सालों तक भूलतेंगे गंभीर परिणाम
  • पितृपक्ष के दौरान तामसिक भोजन मदिरा का सेवन इत्यादि बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए, इससे पितृ नाराज हो सकते हैं और घर पर बुरा असर पड़ सकता है।
  • पितृपक्ष के दौरान मांगलिक कार्य जैसे जनेऊ,शादी विवाह, मुंडन,गृह प्रवेश इत्यादि बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए। इसका बुरा प्रभाव झेलना पड़ सकता है।
  • अगर आपने कहीं जमीन लिया हो और नये घर का निर्माण करना चाह रहे हैं तो पितृपक्ष में बिल्कुल भी शुरुआत ना करें।
  • पितृपक्ष में नया घर, प्रॉपर्टी या नया वाहन भी बिल्कुल भी ना खरीदे। इससे पितर नाराज हो सकते हैं।
  • अगर पितृपक्ष के दौरान आपके घर की चौखट पर गाय,काला कुत्ता या काला कौवा आ जाए तो भूखे बिल्कुल भी ना लौटाये पितृ नाराज हो सकते हैं।
  • पितृपक्ष में दाढ़ी,मूंछ, बाल और नाखून नहीं काटना चाहिए। ये अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितर नाराज हो जाते हैं।
  • पितृपक्ष में जमीन में उगने वाली सब्जियां जैसे आलू, बंगन, खीरा, मूली, अरबी, साग ये सब नहीं खाना चाहिए।

पितृपक्ष में क्या करना चाहिए?

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पितृ पक्ष में पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए तर्पण और पिंडदान के साथ-साथ दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराना, गरीबों को अन्न और वस्त्र देना और पक्षियों को दाना-पानी खिलाना पुण्यकारी माना जाता है। घर में साफ-सफाई बनाए रखना, सात्विक भोजन करना और श्रद्धा के साथ पितरों का स्मरण करना जरूरी है।

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