अध्यात्म

Shanivar Vrat Katha, Aarti: शनिवार के दिन जरूर पढ़ें ये कथा और आरती, देखें राजा विक्रमादित्य और शनि देव की कथा

Shanivar Vrat Katha, Aarti: शनि महाराज को शनिवार के अधिष्ठाता देव माना गया है। शनिवार के दिन व्रत रखने से भक्तों को कई‌ लाभ मिलते हैं। जिस पर शनिदेव की कुदृष्टि होती है उन्हें शनिवार के दिन यहां दी गई कथा का पाठ जरूर करना चाहिए और साथ ही आरती भी करनी चाहिए।

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Shanivar Vrat Katha, Aarti: शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित है। शनि को कर्मफलदाता माना गया है जो लोगों को उनके अच्छे बुरे दोनों कर्मों का फल देते हैं। अगर जातक की कुंडली में शनि की दशा शुभ हो तो व्यक्ति खूब तरक्की करता है। वहीं अगर शनि पीड़ित है तो व्यक्ति को तमाम कष्टों का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में हर व्यक्ति चाहता है कि उस पर शनि की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहे। शनि को प्रसन्न करने के लिए शनिवार व्रत बेहद लोकप्रिय है। ये व्रत करने से सारे दुख, संकट, पीड़ा दूर हो जाते हैं। घरों में सुख, शांति, समृद्धि का आगमन होता है। यहां से आप शनिवार व्रत कथा और आरती देख सकते हैं।

शनिवार व्रत कथा और आरती (pic credit: iStock)

Shaniwar Vrat Katha (शनिवार व्रत कथा)

एक समय की बात है जब सभी नवग्रहों यानी सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति,शुक्र, शनि, राहु और केतु में विवाद छिड़ गया कि इनमें सबसे बड़ा कौन है? सभी आपस में लड़ पड़े तभी सारे देवराज इंद्र के पास पहुंचे। इंद्रदेव घबराए और निर्णय करने में अपनी असमर्थता जताई। लेकिन उन्होंने सुनवाए लिए राजा विक्रमादित्य का नाम बताया और कहा वो इस समय पृथ्वी पर अति न्यायप्रिय हैं। आपकी मदद वही कर सकते हैं। सभी ग्रह एक साथ राजा विक्रमादित्य के पास पहुंचे, और अपनी समस्या रखी।

राजा विक्रमादित्य संकट में आ गए। क्योंकि वे जानते थे कि जिस किसी को भी छोटा घोषित किया जायेगा वह क्रोधित हो उठेगा। तब राजा ने एक उपाय बताया। उन्होंने स्वर्ण, रजत, कांस्य, पीतल, सीसा, रांगा, जस्ता, अभ्रक और लौह से 9 सिंहासन बनवाया। इस सिंहासन को इसी क्रम से रख दिया। फिर उन सबसे निवेदन किया कि आप सभी सिंहासन पर स्थान ग्रहण करें। इनमें से जो अंतिम सिंहासन पर बैठेगा, वही सबसे छोटा माना जाएगा।

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