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Nepal Gen-Z Revolution: सोशल मीडिया बैन के खिलाफ नेपाल में हिंसक प्रदर्शन, संसद में घुसे प्रदर्शनकारी, 9 की मौत, दर्जनों घायल

Nepal Gen-Z Revolution: नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ युवाओं के नेतृत्व में काठमांडू में हिंसक प्रदर्शन हुए। इसमें 9 लोगों की मौत और 42 घायल हुए। हालात काबू में रखने के लिए रात 10 बजे तक कर्फ्यू लगाया गया। सरकार ने 26 अपंजीकृत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब, एक्स) पर प्रतिबंध लगाया है। पीएम के.पी. शर्मा ओली का कहना है कि “देश को कमजोर करना बर्दाश्त नहीं होगा।” जबकि जनता का आरोप है कि सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दबा रही है।
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नेपाल में हिंसक प्रदर्शन में 9 लोगों की मौत।(फोटो सोर्स: एएनआई)

Nepal Protests: नेपाल में सोशल मीडिया साइटों पर बैन लगाने के विरोध में युवाओं की लीडरशिप में सोमवार को काठमांडू में हिंसक प्रदर्शन तेज हो गए। नेपाल पुलिस ने जानकारी दी है कि हिंसक प्रदर्शन में नेपाल के 9 लोगों की मौत हो गई है। वहीं, कम से कम 42 लोग जख्मी हो गए हैं। राजधाने की कई हिस्सों में एक दिन का कर्फ्यू लगा दिया गया है।काठमांडू में रात 10 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है।

सरकार के खिलाफ युवाओं में आक्रोश

हाल में नेपाल सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाया गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगने से युवाओं में काफी आक्रोश है। लोगों के मुताबिक सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दबाने की कोशिश कर रही है।

नेपाल सरकार का क्या कहना है?

नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने रविवार को अपंजीकृत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले पर बोलते हुए कहा कि देश को कमज़ोर किया जाना कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जबकि विभिन्न समूहों ने इस कदम का विरोध किया। मंत्रालय द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, सोशल मीडिया कंपनियों को पंजीकरण के लिए 28 अगस्त से सात दिन का समय दिया गया था। बुधवार रात समय सीमा समाप्त होने के बाद भी, मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप), अल्फाबेट (यूट्यूब), एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे सोशल मीडिय प्लेटफॉर्म को बैन कर दिया गया था।

सरकार का दावा था कि कुछ प्लेटफॉर्म्स पर फेक आईडीज़ से गलत सूचना, हेट स्पीच और अपराध फैलाए जा रहे हैं। ये कार्रवाई “जिम्मेदारी और निगरानी” सुनिश्चित करने का प्रयास है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन: NHRC

मानवाधिकार संगठनों, प्रेस फ्रीडम समूहों और नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन (NHRC) ने इस कदम की आलोचना की, यह कहते हुए कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। NHRC ने सरकार से वैकल्पिक और लोकतांत्रिक उपाय अपनाने का अनुरोध किया।

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    Piyush Kumar author

    मैं Times Now नवभारत डिजिटल के न्यूज़ डेस्क में Senior Copy Editor के पद पर कार्यरत हूं। देश और दुनिया में चल रही घटनाओं पर बारीकी से नज़र रखना और उन्...और देखें

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