कृषि

Potato Price Crash, किसानों को हो रहा करोड़ों का घाटा

पश्चिम बंगाल में थोक बाजार में आलू की कीमतों में भारी गिरावट आई है, जिससे किसानों को मोटा नुकसान हुआ है। इस साल बंगाल के कोल्ड स्टोरेज में 70.85 लाख मीट्रिक टन आलू स्टोर किया गया है, जो अब तक का रिकॉर्ड है। इनमें से करीब 10 लाख टन आलू पिछली बार लॉकडाउन की वजह से बचे हुए स्टॉक का हिस्सा है।
Potato

Potato (Pic Credit: iStock)

पश्चिम बंगाल में थोक बाजार में आलू की कीमतों में भारी गिरावट आई है, जिससे किसानों और कोल्ड स्टोरेज (ठंडे भंडारण केंद्रों) के मालिकों को बड़ा नुकसान हो रहा है। वेस्ट बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन (WBCSA) ने इस स्थिति पर चिंता जताई है और सरकार से तुरंत मदद की मांग की है ताकि ग्रामीण इलाकों में फैलते आर्थिक संकट को रोका जा सके।

संघ के अध्यक्ष सुनील कुमार राणा ने कहा कि किसानों के पास इस साल करीब 80% आलू का भंडार है, लेकिन थोक और खुदरा कीमतों में अंतर के कारण उन्हें घाटा हो रहा है। उन्होंने कहा, “आलू की खेती और उसका भंडारण करने वाला पूरा सिस्टम खतरे में है।”

कितना है आलू स्टॉक?

इस साल बंगाल के कोल्ड स्टोरेज में 70.85 लाख मीट्रिक टन आलू स्टोर किया गया है, जो अब तक का रिकॉर्ड है। इनमें से करीब 10 लाख टन आलू पिछली बार लॉकडाउन की वजह से बचे हुए स्टॉक का हिस्सा है।

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डब्ल्यूबीसीएसए के उपाध्यक्ष सुभाजीत साहा ने बताया कि 'ज्योति' नाम की आलू की किस्म की कीमत पहले 15 रुपये प्रति किलो थी, जो अब घटकर सिर्फ 9 रुपये प्रति किलो रह गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार फौरन दखल नहीं देती और 15 रुपये प्रति किलो की कीमत तय नहीं करती, तो किसान अगली बार आलू की खेती से मुंह मोड़ सकते हैं। संघ ने आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों से 11 लाख टन आलू खरीदने का जो वादा किया था, वो अब तक पूरा नहीं किया गया है।

ये मिले सुझाव

WBCSA ने सरकार से कई सुझाव दिए हैं, जैसे:

तुरंत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर आलू की खरीद शुरू हो

आलू के राज्य के बाहर और विदेशों में व्यापार को बढ़ावा दिया जाए

सरकारी योजनाओं जैसे मिड-डे मील में आलू को शामिल किया जाए

दूसरे राज्यों में आलू भेजने के लिए ट्रांसपोर्ट पर सब्सिडी दी जाए

राणा ने कहा कि अगर सरकार ने तुरंत कदम नहीं उठाए, तो आलू की मांग और सप्लाई में बड़ा अंतर आएगा, जिससे अगली बार किसान आलू कम बोएंगे और कोल्ड स्टोरेज भी खाली रहेंगे। इससे बंगाल की 10,000 करोड़ रुपये की आलू इंडस्ट्री पर संकट आ सकता है, और इसका असर गांवों की पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

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रिचा त्रिपाठी author

लखनऊ शहर से आने वाली रिचा त्रिपाठी ने नोएडा में अपनी अलग पहचान बनाई है। रिचा त्रिपाठी टाइम्स नाउ नवभारत में सीनियर कॉपी एडीटर हैं। रिचा 7 साल से मीडि...और देखें

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