Budget 2024: टैक्स से राहत के लिए टैक्सपेयर्स इस आस में हैं कि सरकार 80C की कटौती की लिमिट को बढ़ाकर 2 लाख रुपये या इससे अधिक कर सकती है। इस बजट से खासतौर पर देश के टैक्सपेयर्स ने कई उम्मीदें लगा रखी हैं। टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि सरकार इस बजट में इनकम टैक्स में राहत देगी।
Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को देश का आम बजट संसद में पेश करेंगी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल पहला बजट होगा। इस बजट से खासतौर पर देश के टैक्सपेयर्स ने कई उम्मीदें लगा रखी हैं। टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि सरकार इस बजट में इनकम टैक्स में राहत देगी। साल 2012-13 में आखिरी बार सरकार ने इनकम टैक्स के स्लैब में बदलाव किया था। अब इस बदलाव के 12 साल हो चुके हैं और टैक्सपेयर्स राहत की आस लगाए बैठे हैं, क्योंकि पिछले एक दशक में महंगाई दर में इजाफा हुआ और इसका बोझ उनपर भी बढ़ा है।
बजट से टैक्स में राहत की उम्मीद।
टैक्स का बोझ
टैक्स संबंधित मामलों की जानकारी रखने वाले जानकारों का कहना है कि ज्यादातर टैक्सपेयर्स ने टैक्स के बोझ को कम करने के लिए ओल्ड टैक्स रीजिम को चुना है। क्योंकि इसमें डिडक्शन उपलब्ध है। न्यू टैक्स रीजिम में उन्हें ये सुविधा नहीं मिलती है। दैनिक भास्कर अखबार में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर 12 साल में महंगाई की बढ़ती रफ्तार और टैक्स स्लैब की तुलना करें, तो महंगाई का इंडेक्स 81.5 फीसदी बढ़कर 200 से 363 पर पहुंच चुका है। लेकिन इसके मुताबिक टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं हुए हैं। जानकारों का कहना है कि अगर महंगाई अनुसार टैक्स स्लैब में बदलाव होता, तो टैक्सपेयर्स पर टैक्स का बोझ कम पड़ता।
12 साल में महंगाई की तुलना में रुपये की वैल्यू कम हुई है। अगर आप साल 2012-13 में एक रुपया की कमाई कर रहे थे, तो महंगाई से तुलना करने पर 2024-25 में उसकी वैल्यू 55 पैसे रह गई है। यानी अगर आप 2012-13 में 10 लाख रुपये कमा रहे थे, तो 12 साल बाद यानी अब उसकी वैल्यू 5.50 लाख रुपये रह गई है। अगर आपको 2012-13 की तरह अपनी पर्चेजिंग पावर को बनाए रखना चाहते हैं, तो आपको अब 10 लाख रुपये की जगह 18.15 लाख रुपये सालाना कमाने की दरकार है।
80C की लिमिट में इजाफे की आस
टैक्स से राहत के लिए टैक्सपेयर्स इस आस में हैं कि सरकार 80C की कटौती की लिमिट को बढ़ाकर 2 लाख रुपये या इससे अधिक कर सकती है। इससे उन्हें राहत मिलेगी। इनकम टैक्स एक्ट 1961 की बदौलत इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट केल जरिए टैक्स बचा सकते हैं। हर वित्तीय वर्ष में टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत डिडक्शन का लाभ उठाकर 1.5 लाख रुपये अपनी टैक्सबेल इनकन से बचा सकते हैं।
पुरानी टैक्स व्यवस्था में उपलब्ध
80C डिडक्शन इंडिविजुअल और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) के लिए उपलब्ध है। टैक्सपेयर्स धारा 80C के तहत अपनी कुल आय से अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं। बता दें कि 80C डिडक्शन का लाभ सिर्फ ओल्ड टैक्स रीजिम को चुनने वाले टैक्सपेयर्स ही उठा सकते हैं। नई टैक्स रीजिम में 80C के तहत डिडक्शन की सुविधा उपलब्ध नहीं है।